2017-09-25 15:55:00

ईश्वर किसी को नहीं छोड़ते बल्कि चाहते हैं कि सभी उनके पास पहुँचें


वाटिकन सिटी, सोमवार, 25 सितम्बर 2017 (रेई): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 24 सितम्बर को, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, ″अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।″

सुसमाचार के प्रस्तुत पृष्ट पर (मती.20:16-16) हम मज़दूरों के दृष्टांत को पाते हैं जिसको येसु स्वर्ग राज्य के दो आयामों को समझाने के लिए बतलाते हैं, पहला कि येसु सभी लोगों को स्वर्ग राज्य हेतु कार्य करने के लिए निमंत्रण देते हैं और दूसरा कि वे अंत में सभी को समान इनाम देना चाहते हैं जो है मुक्ति या अनन्त जीवन।

संत पापा ने कहा, ″दाखबारी का मालिक ईश्वर का प्रतीक है जो सुबह निकला ताकि अपने अंगूर उद्यान में मजदूर लगाये। उसने मज़दूरों को एक सिक्का प्रतिदिन के हिसाब से काम पर लगाया। फिर लगभग नौ बजे वह बाहर गया तो और मज़दूरों को बाजार में खड़े देखा। उसने उनसे कहा, ″तुम भी अंगुरी उद्यान में जाओ और जो उचित होगा वह मैं तुम्हें दूँगा।″ इस तरह वह उस दिन शाम पाँच बजे भी फिर बाहर गया और अन्य मज़दूरों को काम पर लगाया जो कि बेकार खड़े थे। सांयकाल होने पर दाखबारी के स्वामी ने प्रबंधकर्ताओं को बुलाकर कहा, ″मज़दूरों को बुलाओं और अंत में आने वालों से आरम्भ कर, पहले आने वाले तक सब मज़दूरों को उनकी मजदूरी दो।″ जब वे मजदूर आये जो एक घंटा दिन रहे काम पर लगाये गये थे तो उन्हें एक-एक दीनार मिला। जब पहले मजदूर आये तो वे समझ रहे थे कि हमें अधिक मिलेगा लेकिन उन्हें भी एक-एक दीनार ही मिला। उसे पाकर वे यह कहते हुए भूमिधर के विरूद्ध भुनभुनाते थे, इन पिछले मजदूरों ने केवल घंटा भर काम किया, तब भी आप ने हमें इनके बराबर बना दिया जो कठोर परिश्रम करते और धूप सहते रहे। उसने उनमें से एक को यह कहते हुए उत्तर दिया, ″भाई मैं तुम्हारे साथ अन्याय नहीं कर रहा हूँ। क्या तुमने मेरे साथ एक दीनार तय नहीं किया था। क्या मैं अपनी इच्छा अनुसार अपनी सम्पति का उपयोग नहीं कर सकता? तुम मेरी उदारता पर क्यों जलते हो?″

संत पापा ने कहा कि वास्तव में मालिक का यह व्यवहार दृष्टांत सुनने वालों को सतह से ऊपर उठ कर समझने के लिए प्रेरित करता है। यहाँ येसु काम की समस्या के बारे बात नहीं कर रहे हैं और न ही उचित मजदूरी की, बल्कि वे स्वर्ग राज्य के संबंध में बतलाना चाहते हैं। इसका संदेश यह है कि ईश्वर के राज्य में कोई बेरोजगार नहीं है, हर कोई अपना कार्य पूरा करने के लिए बुलाया गया है और अंत में सभी के लिए इनाम दिया जाएगा जो मानवीय न्याय से नहीं किन्तु दिव्य न्याय से हमारे सु भाग्य के लिए आता है। संत पापा ने कहा कि यही मुक्ति है जिसे येसु ख्रीस्त ने अपनी मृत्यु एवं अपने पुनरूत्थान द्वारा अर्जित किया है। वह मुक्ति जिसको पाने के योग्य हम नहीं हैं, हमें मुफ्त में मिला है, इस प्रकार जो पिछले हैं वे अगले हो जायेंगे और जो अगले हैं वे पिछले हो जायेंगे।" (मती.20:16) इस दृष्टांत के द्वारा येसु पिता के प्रेम को समझने हेतु हमारा हृदय खोलना चाहते हैं जो कि मुफ्त और उदार है। हम ईश्वर के तरीक़ों एवं विचारों से चकित और मोहित होते हैं। जैसा कि नबी इसायस स्मरण दिलाते हैं कि वे हमारे विचार एवं हमारे मार्ग नहीं हैं। (इसा. 55: 8)

मनुष्यों के विचार हमेशा स्वार्थ एवं अहंकार मिश्रित होते हैं। हमारे दयनीय और घुमावदार मार्ग की तुलना प्रभु के चौड़े और सीधे मार्ग से नहीं की जा सकती। वे दया करते हैं, वे क्षमा प्रदान करते। वे उदारता एवं भलाई से पूर्ण हैं और उसे हम प्रत्येक पर बरसाते हैं। वे हमारे लिए अपने प्रेम एवं दया के असीम भण्डार को खोल देते हैं क्योंकि केवल वही मानव हृदय को परिपूर्ण आनन्द प्रदान करता है। 

येसु हमें स्वामी की दृष्टि पर चिंतन करने की प्रेरणा देते हैं जो काम का इंतजार कर रहे प्रत्येक मजदूर को देखता तथा उन्हें अपनी दाखबारी में काम करने हेतु भेजता है। यह दृष्टि, ध्यान और भलाई की दृष्टि है यह ऐसी दृष्टि है जो उठने तथा चलने का निमंत्रण देती है क्योंकि यह हम सभी के लिए जीवन की कामना करती है। यह एक परिपूर्ण जीवन है, जो खोखलापन एवं निष्क्रियता से सुरक्षित है। ईश्वर किसी को नहीं छोड़ते बल्कि चाहते हैं कि सभी उनकी पूर्णता तक पहुँचें। यही हमारे ईश्वर का प्रेम है, ईश्वर जो हमारे पिता हैं। 

धन्य कुँवारी मरियम हमारे जीवन में प्रेम के तर्क को स्वीकार करने में मदद दे, जो हमें ईश्वर के इनाम का सही तर्क करने एवं नकारात्मक न्याय करने से बचने हेतु मुक्त करता है।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना के उपरांत उन्होंने देश-विदेश से एकत्रित सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया, उन्होंने कहा, ″मैं रोमवासियों तथा विश्व के विभिन्न हिस्सों से आये सभी तीर्थयात्रियों का अभिवादन करता हूँ, खासकर, बर्न के काथलिक मिशनरी, रोम के सहयोग एवं निवारण दल तथा विल्ला दोसोला, ओफानेंगो एवं नोला के विश्वासी।″

अंत में प्रार्थना का आग्रह करते हुए संत पापा ने सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।








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