वाटिकन सिटी,गुरुवार,21 सितम्बर 2017(रेई) : संत पापा फ्राँसिस ने सुसमाचार लेखक और प्रेरित संत मत्ती के पर्व के दिन प्रेरितिक आवास संत मार्था में पवित्र मिस्सा बलिदान अर्पित किया।
संत पापा ने दैनिक पाठ के आधार पर अपने प्रवचन में संत मत्ती के मनपरिवर्तन और बुलाहट को तीन चरणों में विभक्त किया : बुलावा, समारोह तथा ठोकर।
मत्ती एक नाकेदार था और चुंगीघर में चुंगी जमा करता था। शास्त्री और फरीसी उन्हें पापी तथा अपने देश और अपने लोगों के प्रति धोखेबाज समझते थे। येसु ने मत्ती को बुलाने से पहले एक लकवाग्रस्त व्यक्ति को चंगा किया। उसने मत्ती को चुंगीघर में चुंगी जमा करते हुए पाया और उससे कहा,″मेरे पीछे चले आओ।″
संत पापा एक प्रसिद्ध कारावाजो तस्वीर की याद करते हैं जिसमें मत्ती की एक नजर उसके थैले पर थी और दूसरी येसु पर। उसकी नजरों में प्रतिरोध झलकती थी। येसु की नजरों में मत्ती के लिए प्यार और करुणा झलकती थी। उस करुणा के आगे धन चाहने वाले मत्ती का प्रतिरोध "विफल" हो गया और मत्ती उठकर येसु के पीछे हो लिया।
संत पापा ने कहा,"दया और पाप के बीच संघर्ष होता है।″ येसु के प्रेम को मत्ती अनुभव कर पाया क्योंकि वह जानता था कि वह एक पापी था और लोग उसे प्यार नहीं करते थे यहाँ तक कि उससे तुच्छ करते थे। पापी होने का ज्ञान ही येसु के प्यार के लिए हृदय रुपी द्वार को खोल दिया। मत्ती अपना सबकुछ पीछे छोड़कर येसु के साथ नई यात्रा के लिए निकल पड़ा।
संत पापा ने कहा, "उद्धार की पहली स्थिति है, खुद को खतरे में महसूस करना। प्रभु की दया पाने का पहली शर्त है अपने पापों को महसूस करना। प्रभु की नजरों में प्रेम और दया भरी है । जब हम प्रार्थना करते हैं तो हमें लगता हैं कि वे हमसे कहते हैं, ″डरो नहीं मैं तुम्हारे साथ हूँ।″ जब येसु ने मत्ती को बुलाया जो मत्ती भी जकेयुस के समान खुश होकर खाने के लिए आमंत्रित किया।
दूसरा चरण - ‘समारोह’। मत्ती ने खाने के लिए अपने दोस्तों को आमंत्रित किया जो उसी के समान पापी और दूसरों द्वारा तिरस्कृत थे। संत पापा, येसु के उन वचनों को याद करते हैं जो संत लूकस के सुसमाचार के 15वे पाठ में उद्धृत हैं,″मैं तुमसे कहता हूँ, इसी प्रकार निन्यानबे धर्मियों की अपेक्षा, जिन्हें पश्चाताप की आवश्यकता नहीं है,एक पश्चातापी पापी के लिए स्वर्ग में अधिक आनंद मनाया जाएगा।″ संत पापा ने कहा यह पिता ईश्वर और पापी के बीच मिलन का समारोह है।
तीसरा चरण- ‘ठोकर’। जब फरीसियों ने देखा कि येसु और उनके चेले पापियों और नाकेदारों के साथ भोजन पर थे। तो फरीसियों ने चेलों से प्रश्न करना शुरु कर दिया कि कैसे येसु पापियों के साथ भोजन कर सकते थे। यह तो धर्म के नियमों को विरुद्ध था। येसु द्वारा नियमों को पालन ना करने की वजह से फरीसी चेलों को ठोकर दिया। संत पापा ने कहा आज भी हम कलीसिया में पाते हैं बहुत से विश्वासी कलीसिया के नियमों का पालन करते हैं लेकिन परंतु दूसरों की लाचारी और जरुरतों को देख नहीं पाते। और भलाई करने वालों को भी यह कह कर मना करते हैं या उन्हें भी सताना शुरु कर देते हैं। बहुत से संतों को भी कलीसिया ने सताया है जैसे आर्क के संत जोन लोगों ने सोचा कि वह चुड़ैल थी। संत तेरेसा को धर्मशिक्षा को विरोधी मानते थे। संत पापा ने कहा, आइये हम अपने को पापा समझें और प्रभु की करुणा को ग्रहण करें।
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