2017-09-20 17:41:00

येसु के पवित्र हृदय की मिशनरी धर्मबहनों के लिए संत पापा का संदेश


वाटिकन सिटी, बुधवार, 20 सितम्बर 2017 (वीआर,रेई) : संत पापा फ्राँसिस ने येसु के पवित्र हृदय की मिशनरी धर्मबहनों के धर्मसमाज की संस्थापिका संत फ्राँसिस जेवियर काब्रिनी की 100 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर संस्था की मदर जेनरल सिस्टर बारबारा को पत्र लिखकर उन्हें और उनके सहयोगियों को उनकी संस्थापिका के "मिशनरी करिस्मा" को बनाये रखने हेतु प्रोत्साहित किया। संस्थापिका का "मिशनरी करिस्मा" प्रवासन है।

मदर काब्रिनी का जन्म सन् 1850 ई.को इटली में हुआ था। उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका में इतालवी आप्रवासियों की मदद करने के लिए सन् 1880 ई. में धर्मसमाज की स्थापना की। 22 दिसम्बर 1917 को उनका देहांत संयुक्त राज्य अमेरिका के शिकागो शहर में हुआ। संस्थापिका संत फ्राँसिस जेवियर काब्रिनी की 100 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर धर्मसमाज और उनके सहयोगियों ने 17 से 23 सितम्बर तक शिकागो में आमसभा का आयोजन किया है। मदर काब्रिनी द्वारा शुरू किया गया काम आज दुनिया के पंद्रह देशों में सक्रिय है।

 मंगलवार को वाटिकन द्वारा जारी किये गये पत्र में संत पापा ने उल्लेख किया कि "आज के युग में जब बड़ी संख्या में आप्रावासन का तनाव बना हुआ है ऐसे समय की पुकार को मदर काब्रिनी ने समझा। विशेष रुप से गरीबी और नाजुक स्थिति में उन्होंने अनाथों और नाबालिकों की जरूरतों पर ध्यान दिया।"

संत पापा ने कहा, “मदर काब्रिनी के हृदय में मिश्नरी आत्मसमर्पण येसु के पवित्र हृदय से जुड़े रहने की वजह से हुई, जिनकी करुणा सभी सीमाओं के उपर है।"

संत पापा याद करते हैं कि मदर काब्रिनी ने न्यू ऑरलियन्स, लुइसियाना जैसे सबसे कुख्यात जगह में इटली आप्रावासियों हेतु घर बना दिया जहाँ एक साल बाद क्रूर हमलों में शहर के प्रधान पुलिस की हत्या का आरोप इटली आप्रावासियों पर लगाया गया।

मदर काब्रिनी की करिस्मा की विशेषता के समान आज के आप्रवासनों के बीच काम करने के लिए प्रेम और विवेकपूर्ण मार्गदर्शन की जरूरत है। लोगो के साथ मिलकर, उनके साथ वार्तालाप करके आप्रावासन की समस्या का समाधान ढूँढ़ा जा सकता है विभाजन और शत्रुता से नहीं। संत पापा ने उनकी संस्थापिका की मिशनरी संवेदनशीलता की याद दिलाते हुए कहा कि वे किसी एक देश या क्षेत्र के लिए नहीं बल्कि विश्वव्यापी थीं" और यही हर ख्रीस्तीय एवं येसु के चेलों की बुलाहट है।

अंत में संत पापा ने उन्हें अपनी प्रार्थना का आश्वासन दिया। उन्होंने यह भी कहा कि वे आप्रवासियों की विशेष चिंता करते हैं।








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