नागासाकी, जापान, बुधवार, 20 सितम्बर 2017 (वीआर,रेई) : जापान में सुसमाचार का प्रचार करने वाले मिशनरियों ने "सिर्फ एक असाधारण बुद्धिमान व्यक्ति या नैतिक जीवन के गुरु या सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देने वाले मसीह की घोषणा हेतु" अपने जीवन को खतरे में नहीं डाला, बल्कि "वे अपने ही अस्तित्व का त्याग करने के लिए तैयार थे क्योंकि वे "ईश्वर के पुत्र, येसु के रहस्य" को बताना चाहते थे, जिसने मनुष्यों को पाप और गुलामी से बचाने के लिए अपना जीवन अर्पित कर दिया।" उक्त बातें सुसमाचार प्रचार संबंधी परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल फेरनांदो फिलोनी ने मंगलवार को नागासाकी के महागिरजाघर पवित्र युखरीस्तीय समारोह के दौरान प्रवचन में कही।
इन दिनों वे जापान की प्रेरितिक यात्रा में हैं।
कार्डिनल फिलोनी ने कहा कि कुछ दशकों पहले जापान में सुसमाचार लाया गया था, "आज हम एक खतरा देखते हैं और वह है सुसमाचार लाने और मसीह को लाने में कलीसिया के मिशन में इन दोनों के बीच संबंध जोड़ना है। उदाहरण के लिए कोई व्यक्ति येसु मसीह के बारे में एक बुद्धिमान व्यक्ति के रूप में बात करना पसंद करता है जो जीवन का सही नियम दिखाता है, या एक अच्छा व्यक्ति जो अपने समय में समाज के गरीबों और निसहायों की मदद की। यदि हम एक मानव परोपकारी के रूप में मसीह को आंकते हैं तो कलीसिया का मिशन दुनिया के एक महान मानवतावादी संगठन समझने का भय रहेगा।″
कार्डिनल ने कहा कि दया के कार्य और नैतिक शिक्षाओं का प्रसार कलीसिया के मिशनरी बुलाहट के अपरिहार्य अभिव्यक्ति है, लेकिन उन्हें स्रोत से अलग नहीं किया जा सकता है। यदि हम फ्रांचेस्को सवेरियो के कागोशिमा (जापान) आने के बाद चार सौ साल के बारे विचार करेंगें तो पाएंगे कि इस पहले मिशनरी ने येसु का प्रचार किया क्योंकि उसके हृदय में ईश्वर के प्रेम और करुणा को देश वासियों के बीच लाने की गहरी इच्छा थी और जापानी लोगों में ईश्वरीय प्रकाशना की कमी थी।" आज भी ″हम इस गरीब, पीड़ित अपमानित मानवता के बीच कार्य करने के लिए बुलाये गये हैं जहाँ नफरत, ईर्ष्या, गरीबों के खिलाफ हिंसा और युद्ध जारी है।"
सुसमाचार प्रचार संबंधी परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल फेरनांदो फिलोनी के जापान की प्रेरितिक यात्रा 17 से 26 सितम्बर 2017 तक है।
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