2017-09-18 16:58:00

रिहा हुए पुरोहित ने मीडिया को संबोधित किया


रोम, सोमवार,18 सितम्बर 2017 ( वीआर रेडियो, रेई) : भारतीय सलेशियन पुरोहित फादर टोम उजुनलिल जिसका 18 महीने पहले यमन में अपहरण कर लिया गया था, 12 सितम्बर को रिहा हो गये। उन्होंने शनिवार को रोम स्थित सेल्सियन मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपने कैदी जीवन के बारे में मीडिया से कहा कि अपहरणकर्ताओं ने कभी भी शारीरिक प्रताड़ना नहीं की। उनके बंधकों ने अधिकारियों से फिरौती या शीघ्र प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए वीडियो में हिंसा की धमकी दी थी।

कैद में रहने के दौरान फादर टोम उजुनलिल ने 30 किलोग्राम वजन घट गया। वे शारीरिक रुप से कमजोर हो गये हैं परंतु आध्यात्मिक रुप से बहुत ही मजबूत हैं।

59 वर्षीय फादर टोम ने बताया कि उनके बंधकों ने उसके मधुमेह के इलाज के लिए इंसुलिन और गोलियां प्रदान की और उनकी बुनियादी जरूरतों का ख्याल रखा। उन्होंने कहा कि वह रात में और दिन में भी अच्छी तरह से सोया और वह कभी भी नहीं रोया। उनकी कैद के दौरान उन्हें कई बार स्थानांतरित कर दिया गया था,परंतु इसे मालुम नहीं था कि उसे कहाँ रखा गया था। उसके सामने उसके बंधक हमेशा अपना चेहरा ढंक कर रखते थे।

ईश्वर मेरे प्रति बहुत दयालु हैं

यमन में चारिटी धर्मबहनों के बृद्धालय में 4 मार्च 2016 को 4 धर्मबहनों सहित 16 लोगों की याद कर फदर टोम ने कांपते आवाज में कहा, ″मैं सर्वशक्तिमान ईश्वर को इस दिन के लिए सारे दिल से धन्यवाद करता हूँ। उन्होने मुझे बचाया और काफी स्वस्थ रखा है। स्पष्ट सोच और अभी तक भावनाएं मेरे नियंत्रण में हैं।'' ईश्वर मेरे प्रति बहुत ही दयालु रहे हैं। किसी ने भी मुझपर कभी बंदूक नहीं ताना। अदन में हमले के समय अपहरणकर्ताओं को मेने एर भारतीय पुरोहित के रुप में अपना परिचय दिया, इसपर उन्होंने मुझे अक अलग करमे में बंद कर दिया और बाकी लोगों को उन्होंने मार दिया।

फादर ने बताया कि यमन से उसे कार द्वारा ओमान पहुँचाया गया। रोम की यात्रा करने से पहले उसे विमान द्वारा राजधानी लिया गया। रोम में वे वाटिकन में सलेशियन समुदाय के साथ रह रहे हैं।

फादर ने कहा कि वह अपहरणकर्ताओं के परिचय या उनके संबंधों के बारे कुछ भी नहीं जानते हैं, पर उनका विश्वास है कि उनहें कैद करने का उद्देश्य फिरौती माँगना था। हालांकि, प्रेस कॉन्फ्रेंस में उपस्थित डॉन बॉस्को धर्मसमाज के रेक्टर फादर एंजेल फर्नांडीज आर्टिमे ने कहा था कि उनके पास किसी भी भुगतान के बारे में कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा,″हमसे किसी ने भी फादर टोम की रिहाई के लिए रुपये की मांग नही की एक यूरो भी नहीं। यही सच है और मैं मानता हूँ कि फादर टोम भी इसके बारे कम ही जानते हैं।″

फादर की रिहाई के पूरे विवरण के बारे मालुम नहीं है, हालांकि वाटिकन ने ओमान के सुल्तान को एक बयान में और धन्यवाद दिया है। फादर टोम ने ओमानी अधिकारियों और अपने मूल भारत के नेताओं को धन्यवाद दिया।

फादर ने कहा कि कैद में उसे कभी भी पवित्र मिस्सा चढ़ाने का अवसर नहीं मिला पर वे यूखरीस्तीय प्रार्थना को याद कर दुहराते रहते थे। उनके पास प्रार्थना के लिए बहुत समय था वे प्रतिदिन प्रार्थना में संत पापा फ्राँसिस, धर्माध्यक्षों, सलेशियन भाइयों, परिवार के सदस्यों, संबंधियों, मित्रों और अपहरणकर्ताओं को याद करते थे। 








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