2017-09-16 16:21:00

पवित्र हृदय के मिशनरियों को संत पापा का संदेश


वाटिकन सिटी, शनिवार, 16 सितम्बर 2017 (रेई): संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 16 सितम्बर को वाटिकन स्थित क्लेमेंटीन सभागार में पवित्र हृदय को समर्पित मिशनरियों के धर्मसमाज की आम सभा में भाग ले रहे 85 सदस्यों से मुलाकात की तथा उन्हें याजकवाद के प्रलोभन से बचते हुए सच्चे भ्रातृत्व के साथ जीने की सलाह दी।

सभा के प्रतिभागियों को सम्बोधित कर संत पापा ने कहा, ″आप अपने धर्मसमाज के जीवन पर चिंतन करने, उसके लिए प्रार्थना करने तथा एक साथ इस बात की पहचान करने हेतु एकत्रित हैं कि प्रभु आप लोगों को किस ओर इशारा कर रहे हैं।″ उन्होंने कहा, ″इस तरह आप उस विशिष्टता (कारिज्म) को फलप्रद एवं प्रभावशाली अभिव्यक्ति दे पायेंगे जिसे पवित्र आत्मा ने कलीसिया में आपके संस्थापक फादर जाँ जुलेस केवालियर के माध्यम से प्रकट किया है।″

‘पवित्र हृदय के मिशनरी’ धर्मसमाज की आम सभा का आदर्शवाक्य है, ″आपने बढिया अंगुरी अब तक छोड़ रखी है।″ (यो. 2:10).

संत पापा ने कहा कि आपने कृतज्ञता पूर्वक पीछे मूड़कर अपनी प्रेरिताई पर गौर किया है साथ ही साथ, इस बात से भी अवगत हुए है कि कलीसिया एवं विश्व के हित में आप कितना अधिक देने की क्षमता रखते हैं। उन्होंने कहा कि पवित्र आत्मा को सुनने, प्रश्नों के लिए खुला होने तथा अपने लोगों के प्रति चिंता के द्वारा, वे अपनी सच्ची विशिष्टता की खोज कर सकते हैं जो उन्हें मिशन हेतु नवीकृत शक्ति, साहसिक निर्णय एवं रचनात्मक अभिव्यक्ति प्रदान करेगा। अतीत से हमारी दुनिया की बदलती परिस्थिति तथा  वर्तमान में नई चुनौतियाँ, कलीसिया के सुसमाचार प्रचार के मिशन में ″बढ़िया अंगुरी″ परोसे जाने की मांग करती है जो बहुतों के लिए आनन्द और आशा का स्रोत है।

संत पापा ने सदस्यों का ध्यान उनके संस्थापक की ओर आकृष्ट करते हुए कहा कि उनके संस्थापक की मूल प्रेरणा येसु के पवित्र हृदय की भक्ति का प्रचार करना था। आज वे येसु के कोमल एवं करुणावान प्रेमी हृदय की भक्ति के मिशन को विभिन्न कार्यों के माध्यम से, सभी लोगों के बीच आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं, खासकर उन लोगों के बीच जो जरूरतमंद हैं।

संत पापा ने इसके लिए उन्हें उदार समर्पण हेतु प्रोत्साहन दिया तथा सलाह दी कि वे अपने प्रथम एवं एकमात्र प्रेम की ओर लौटें। येसु पर अपनी निगाहें केंद्रित रखें तथा उन से, मानवीय हृदय से प्रेम करना, खोये हुओं को खोजना, सदस्यों को उनके झुण्ड में लाना, न्याय के लिए कार्य करना तथा गरीब एवं कमजोर लोगों के प्रति सहानुभूति प्रकट करना सीखें। हम उन से सीखें कि निःसहाय लोगों के लिए आशा एवं प्रतिष्ठा किस तरह प्रदान की जा सकती है तथा उन जगहों में जायें जहाँ लोग स्वीकार एवं मदद किये जाने के इंतजार में हैं।

संत पापा ने कहा कि मिशनरी के रूप में कलीसिया उन्हें विश्व में भेजती है ताकि वे अपने जीवन एवं कार्यों द्वारा, निम्न, वंचित, दुर्बल तथा विश्व द्वारा बहिष्कृत लोगों के बीच ईश्वर के कोमल स्नेह का साक्ष्य दें।

संत पापा ने विभिन्न देशों में उनके कार्यों की सराहना करते हुए उन्हें चेतावनी दी कि वे याजकवाद के प्रलोभन से बचें क्योंकि यह लोगों को उनसे दूर कर देता है, खासकर, युवाओं को कलीसिया से पृथक कर देता है। उन्होंने शुभकामनाएं दी कि उनका सामुदायिक जीवन भ्रातृत्व प्रेम से पोषित हो जो सभी की विविधता एवं मूल्यों का स्वागत करता है। संत पापा ने प्रेरिताई में उन्हें लोकधर्मियों के साथ उनके सहयोग को बनाये रखने की सलाह दी। 








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