वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 15 सितम्बर 2017(रेई, वाटिकन रेडियो): सन्त पापा फ्राँसिस ने विश्व के काथलिक धर्माध्यक्षों का आह्वान किया है कि वे विवेक को विकसित कर अपने लोगों की प्रेरिताई करें।
विगत वर्ष के दौरान नियुक्त किये गये नवीन धर्माध्यक्षों का वाटिकन में स्वागत करते हुए बुधवार को सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा, "लोगों पर प्रभुत्व जमा कर कोई भी धर्माध्यक्ष ईश्वर की इच्छा को नहीं जान सकता, बल्कि उसे देखभाल के लिये सौंपे गये लोगों को सुनना चाहिये और उनके जीवन में भागीदार बनना चाहिये।"
वाटिकन में नये धर्माध्यक्षों के लिये आयोजित प्रशिक्षण के समापन समारोह के दौरान 14 सितम्बर को सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा, "किसी भी धर्माध्यक्ष का विवेक एक "सामुदायिक कार्रवाई" है जो अपने पुरोहितों, याजकवर्ग, ईश प्रजा एवं उपयोगी योगदान देनेवालों के विचारों की समृद्धि की उपेक्षा नहीं कर सकता।"
उन्होंने कहा, "धर्माध्यक्ष आत्मनिर्भर "शासक पिता" नहीं है, न ही वह एक डरपोक अथवा पृथक 'एकान्त चरवाहा' है।"
अपने प्रवचन में सन्त पापा ने "मेषपालीय और आध्यात्मिक समझ" को परिलक्षित किया जो धर्माध्यक्ष को "जीवन और आनन्द की खोज" करनेवाले पुरुषों और महिलाओं को निर्देशित करने के लिये मार्गदर्शन देती है। साथ ही सुसमाचार, कलीसिया की शिक्षाओं तथा आज्ञाकारिता के प्रति विनम्रता को सन्त पापा ने विवेक के आवश्यक घटक निरूपित किया।
उन्होंने कहा, "अपने लोगों का दिशा निर्देशन करने के लिये स्वयं धर्माध्यक्षों को पवित्रआत्मा के मार्गदर्शन की आवश्यकता पड़ती है जो केवल प्रार्थना द्वारा ईश्वर के साथ सम्बन्ध जोड़ने से मिलता तथा धर्माध्यक्षों को व्यक्तिगत और साथ ही कलीसियाई व्यवहार हेतु विवेकपूर्ण बनाता है।"
उन्होंने कहा, "सही मायने में विवेक का अर्थ है "सुनने का रवैया पैदा करना जो "दूसरों की नज़र" पर भरोसा नहीं करता अपितु अपने धर्मप्रान्त के लोगों एवं स्थानों की आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक परंपराओं को देखने के लिए अपनी आंखों का उपयोग करता है।"
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