2017-09-14 16:15:00

क्रूस विजय महापर्व पर संत पापा का प्रवचन


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 14 सितम्बर 2017 (वीआर इटालियन): संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार 14 सितम्बर को वाटिकन स्थित संत मर्था प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित कर, ग्रीष्म अवकाश के उपरांत अपने दैनिक ख्रीस्तयाग अर्पण को पुनः शुरू किया। पवित्र क्रूस विजय महापर्व के अवसर पर अपने ख्रीस्तयाग प्रवचन में संत पापा ने ख्रीस्त के क्रूस के सामने दो आध्यात्मिक प्रलोभनों की चेतावनी दी, ख्रीस्त की कल्पना क्रूस के बिना और क्रूस की कल्पना ख्रीस्त के बिना करने के प्रलोभन।

संत पापा ने प्रवचन में ‘प्रेम के रहस्य’ पर चिंतन किया जो क्रूस के द्वारा संस्थापित की गयी है। पवित्र क्रूस की तुलना धर्मविधि में एक पेड़ से की गयी है जो निष्ठावान एवं महान है। संत पापा ने कहा कि इस क्रूस को समझना हरदम आसान नहीं है। केवल चिंतन के द्वारा इस प्रेम के रहस्य को समझा जा सकता है। येसु ने जब निकोदेमुस को इसके बारे में समझाना चाहा, जैसा कि सुसमाचार बतलाता है उन्होंने दो क्रियाओं का प्रयोग किया  "चढ़ना "और" उतरना"। येसु स्वर्ग से इसलिए उतरे ताकि वे हम सभी को स्वर्ग ले जाएँ। उन्होंने कहा कि यही क्रूस का रहस्य है।

प्रथम पाठ में संत पौलुस कहते हैं कि येसु ने अपने को विनम्र बनाया और क्रूस के मरण तक वे आज्ञाकारी बने रहे। यही येसु का उतरना है। उन्होंने अपने को दीन एवं विनम्र बनाया, प्रेम के खातिर उन्होंने अपने को खाली किया। यही कारण है कि ईश्वर ने उन्हें महिमा प्रदान की तथा उन्हें ऊपर उठाया। संत पापा ने कहा कि जब हम इस नीचे तक उतरने को ठीक से समझ पायेंगे तभी हम उस मुक्ति को जो प्रेम का एक रहस्य है उसे समझ सकते हैं जो हमारे लिए अर्पित किया गया है।

संत पापा ने गौर किया कि इसे समझ पाना आसान नहीं है क्योंकि इसमें अधुरा समझने का प्रलोभन सदा बना रहता है। संत पौलुस कड़े शब्दों में गलातियों से कहते हैं कि जब वे रहस्य में प्रवेश नहीं करने बल्कि उसकी व्याख्या करने के प्रलोभन में पड़ते हैं तो हम उसी तरह क्रूस रहित ख्रीस्त अथवा ख्रीस्त के बिना क्रूस के भ्रम में पड़ते हैं। जिस तरह सांप ने हेवा को ठग दिया था तथा मरूभूमि में इस्राएलियों को विषाक्त किया था।

इन दो प्रलोभन पर चिंतन करते हुए संत पापा ने कहा कि ख्रीस्त को क्रूस के बिना देखना, उस ‘आध्यात्मिक संचालक को मानना है’ जो शांत रखता।

संत पापा ने कहा, ″हमारा प्रभु क्रूस से रहित नहीं है। निकोदेमुस का प्रलोभन भी यही था कि वह येसु से प्रेम करता था किन्तु उसे क्रूस के बिना देखता था।

संत पौलुस दूसरे प्रलोभन को उजागर करते हैं जो क्रूस को ख्रीस्त के बिना देखता है। यह प्रलोभन है पाप और निराशा के भार से दबे रहना। यह एक प्रकार से आध्यात्मिक ‘स्वपीड़न’ है।

ख्रीस्त के बिना क्रूस, गैरख्रीस्तीयों की त्रासदी के समान संकट का एक रहस्य हो सकता है। किन्तु क्रूस प्रेम का एक रहस्य है, यह निष्ठावान एवं महान है। आज हम कुछ समय लेकर अपने आप से पूछ सकते हैं कि क्या क्रूसित ख्रीस्त मेरे लिए प्रेम के रहस्य हैं? क्या मैं येसु का अनुसरण क्रूस के बिना करता हूँ, उस आध्यात्मिक गुरु की सुनता हूँ जो मुझे सांत्वना और अच्छी सलाहों से भर देता है? अथवा क्या मैं उस क्रूस का अनुसरण येसु के बिना करती हूँ जो मुझे ‘स्वपीड़ा’ के साथ उदास कर देता है? क्या मैं प्रभु की विनम्रता, अपने को पूरी तरह खाली करने एवं महिमान्वित किये जाने के रहस्य को अस्वीकार करता हूँ।  

संत पापा ने प्रार्थना की कि प्रभु हमें कृपा प्रदान करे ताकि हम इस रहस्य को न केवल समझ सकें किन्तु उसमें प्रवेश भी कर सकें। यही प्रेम का रहस्य है। तभी हम तन, मन, दिल और सब कुछ से उन्हें समझ पायेंगे।








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