2017-09-11 15:10:00

कार्तागेना में देवदूत प्रार्थना के पूर्व दिया गया संत पापा का संदेश


कार्तागेना, सोमवार, 11 सितम्बर 2017(रेई): संत पापा फ्राँसिस ने कार्तागेना में रविवार को संत पीटर क्लावेर गिरजाघर के प्रांगण में देवदूत प्रार्थना के पहले वहाँ उपस्थित हजारों विश्वासियों को संबोधित कर कहा,″मैंने संत पीटर क्लावेर के अवशेषों को रखे गये गिरजाघर में प्रवेश करने से पहले, उन दो संस्थानों के पहले पत्थरों को आशीष दी जहाँ जरुरतमंद लोगों की सेवी की जाएगी। मैं श्रीमती लोरेंजो का घर भी गया जहाँ वे बहुत सारे भाई-बहनों को सस्नेह भोजन खिलाती हैं। इन स्थानों का दौरा कर व्यक्तिगत रुप से मैंने अनुभव किया कि विभिन्न लोगों द्वारा प्रतिदिन ईश्वर अपने प्रेम को प्रकट करते हैं।”

देवदूत प्रार्थना में हम माता मरिया की याद करते हैं जिन्होंने अपने गर्भ में वचन के धारण किया और येसु को इस दुनिया में लाया। आज हम चिक्विंकरा की माता के नाम से जाने वाली माता मरियम पर विचार करें जिसकी छवि लम्बे समय तक पुरानी फटी और फीकी पड़ी हुई, बिना आदर के एक पुराने कपड़े की तरह एक कोने रखी गई थी। परंपरा हमें बताती है कि एक दीन महिला, मारिया रामोस ने इस पुराने कोने में पड़े माता मरिया की छवि में कुछ विशेष देखा और वे चिक्विंकरा की माता की पहली भक्त बनी। उन्होंने बड़े साहस और विश्वास के साथ, अपनी बाहों में बेटे को लिए माता मरिया की छवि को विशेष स्थान दिया और उसकी खोई हुई गरिमा को वापस लाया। अतः यह महिला उन सभी के लिए एक आदर्श बन गई है जो समाज से उपेक्षित, लाचार एवं कमजोर लोगों की पहचान और गरिमा को पुनर्स्थापित करने में प्रयासरत हैं, जरुरतमंदों को भोजन और आश्रय देते हैं। यह महिला उनके लिए एक आदर्श बन गई है जो उन लोगों के लिए निरंतर प्रार्थना करते हैं, जो पीड़ित हैं और जिनसे उनका भविष्य लूट लिया गया है, कि वे ईश्वर के बच्चों की गरिमा को फिर से हासिल कर सकें।

संत पापा ने कहा, ″ईश्वर साधारण और विनम्र लोगों द्वारा हमें सिखाते हैं। एक तरफ मरिया रामोस ने फटे पुराने कपड़े में माता मरिया की विशेष छवि देखने का वरदान पाया, तो दूसरी तरफ आदिवासी महिला इसाबेल और उसके बेटे मिगुएल को नये कपड़े में धन्य कुँवारी के रूपांतरित छवि को सबसे पहले देखने का अनुग्रह प्राप्त हुआ। वे गरीब और सरल हृदय वाले थे। उन्होंने चिक्विंकरा के धन्य कुँवारी का पहली बार दर्शन किया और वे उनकी सुंदरता और पवित्रता के संदेशवाहक बने।″

संत पापा ने कहा, आइये, हम अपने को ″प्रभु की दासी" कहलाने वाली माता मरियम और संत पीटर क्लेवर से प्रार्थना करें। संत पीटर क्लावेर की इच्छा थी कि अपने अंतिम मन्नत के दिन से ही लोग उसे ″गुलामों के लिए हमेशा गुलाम" के नाम जानें। वे नई विश्व की दासता के मुख्य वाणिज्य केंद्र में पहुँचने वाले अफ्रीका के जहाजों का इंतजार किया करते थे। भाषा की विविधता के कारण वे अक्सर इशारों के माध्यम से इन अफ्रीकी दासों के बीच सुसमाचार का प्रचार और उनकी सेवा करते थे। वे जानते थे कि दया और प्रेम की भाषा को सभी समझते थे। दरअसल, प्रेम हमें सच्चाई जानने में मदद करता है और सच्चाई हमें दया के कृत्यों के लिए प्रेरित करता है। ये दोनों साथ-साथ चलते हैं।

संत पीटर क्लावेर ने बड़े साहस और बहादुरी के साथ लोगों की सेवा की। अपने अकेलेपन में हजारों लोगों को सांत्वना दी और अंत में उन्हें बीमारी की वजह से 4 वर्षो तक अपने सेल में ही पड़ा रहा और अकेलेपन एवं उपेक्षा की एक भयानक स्थिति में उनकी मृत्यु हुई। संत पीटर क्लावेर ने दूसरों की देखभाल की जिम्मेदारी ली थी परंतु इस संत पर अपनी उदारता में अविवेकी होने का आरोप लगाया गया था और संत पीटर ने उन लोगों के कठोर आलोचना और लगातार विरोध का सामना किया जो डरते थे कि कहीं उनका आकर्षक दास व्यापार कमजोर न हो जाये।

संत पापा ने कहा, ″यहाँ कोलंबिया और विश्व के अन्य स्थानों में लाखों लोग आज भी दास के रुप में खरीदे और बेचे जाते हैं। वे मानवता के कुछ अभिव्यक्ति, कोमलता के क्षणों के लिए माँग करते हैं, वे समुद्र या जमीन से पलायन करते हैं क्योंकि वे सब कुछ खो चुके हैं, मुख्य रूप से अपनी गरिमा और अपने अधिकार।″

मारिया डे चिक्विंकरा और संत पीटर क्लावेर हमें अपने सभी भाइयों और बहनों की गरिमा को बढ़ावा देने के लिए आमंत्रित करते हैं, विशेष रूप से गरीब और समाज से बहिष्कृत, प्रवासियों, और जो लोग हिंसा और मानव तस्करी का शिकार हैं। उन सभी को मानवीय गरिमा मिले क्योंकि वे ईश्वर की छवि हैं। हम सभी को ईश्वर ने अपने समान और अपने प्रतिरुप बनाया है और माता मरियम हम सभी को अपने प्यारे बच्चों के रुप में बड़े प्यार से अपनी बाहों में रखती हैं।

आइये हम माता मरियम की ओर मुड़े जिससे कि वे हमें हर व्यक्ति में ईश्वर की छवि देखने हेतु हमें मदद करें। इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत प्रार्थना का पाठ किया।








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