2017-09-10 15:29:00

संत पापा ने मेडेलिन में पुरोहितों एवं धर्मसमाजियों से मुलाकात की


मेडेलिन, रविवार, 10 सितम्बर 2017 (रेई): संत पापा फ्राँसिस ने मेडेलिन में ला माकारेना में काथलिक पुरोहितों, धर्मसंघियों, गुरूकुल छात्रों तथा उनके परिवार वालों से मुलाकात की।

संत पापा ने अपने संदेश की शुरूआत संत योहन रचित सुसमाचार से की जहाँ येसु प्रेम एवं सेवा की शिक्षा देने हेतु अपने शिष्यों के पैर धोते हैं।  

संत पापा ने कहा, ″यूखरिस्त की इस रात, सेवा का उदाहरण प्रस्तुत करने के प्रथम सूर्यास्त को येसु ने अपना हृदय खोला तथा ऊपरी कमरे में प्रेरितों को अपना व्यवस्थान सौंपा, येसु की माता मरियम एवं कुछ महिलाओं के समान, हम यहाँ पर एक-दूसरे को सुनने आये हैं। हम सब अपनी बुलाहट की कहानी एक-दूसरे को बांटें क्योंकि इसके द्वारा हम येसु के अनुभव में बढ़ते हैं जो हमसे मिलने आते हैं। जिन्होंने पहले हमें चुना और हमारे हृदय को अपनी ओर आकर्षित किया है। जैसा कि अपारेचिदा में कहा गया है, ″येसु को जानना सबसे बड़ी कृपा है जिसको हर कोई प्राप्त कर सकता है, हमने अपने जीवन के सबसे उत्तम चीज, उन से मुलाकात को प्राप्त किया है तथा हमारे वचनों एवं कार्यों से प्रकट किया है कि उनका साक्ष्य देना ही हमारा आनन्द है।″

संत पापा ने कहा कि आप में से कई ने अपने समुदाय में उनकी जीवित उपस्थिति को पाया है जो दूसरों को प्रेरित और आकर्षित करता है। जहाँ जीवन, उत्साह एवं ख्रीस्त को दूसरों को देने की लालसा है वहाँ सच्ची बुलाहट पनपती है। उन्होंने कहा कि जब धर्मसंघी एक साथ दुनिया की बुराईयों के विरूद्ध खड़े होते हैं तथा विभिन्न सामाजिक कल्याण के कार्यों में भाग लेते हैं और यदि वे इसे येसु के लिए करते हैं तब वे सभी गलियों, शहरों एवं दुनिया के हर कोने में येसु को लाने हेतु ‘राह प्रचारक’ बन जाते हैं।

संत पापा ने कहा कि यही दाखलता है जिसके बारे येसु अपने दृष्टांत में कहते हैं दाखलता जो ‘व्यवस्थान के लोग’ हैं। नबियों ने लोगों की तुलना भी दाखलता से की थी। ″आपने मिस्र में से एक दाखलता लायी। उसके लिए भूमि तैयार किया, वह जड़ पकड़ा और सारी भूमि को भर दिया।″   (स्तोत्र. 80) किन्तु जब वे उनसे दूर चले गये, वे सूख गये, जला दिये गये और नष्ट हो गये।

संत पापा ने प्रश्न किया कि कोलंबिया में दाखलता किस तरह बढ़ रही है? किस परिस्थिति में धर्मसंघीय जीवन का बुलाहटीय फल उत्पन्न हुआ है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि परिस्थितियाँ बिलकुल विपरीत हैं। हम सीधे परिवारों एवं संबंधों पर केंद्रित होना चाहते हैं किन्तु हम भी इस सांस्कृतिक संकट के हिस्से हैं, इसके माध्यम हैं तथा इसका प्रत्युत्तर देने के लिए ईश्वर हमें अब भी बुलाते हैं। संत पापा ने इस बात को स्वीकार किया कि सभी धर्मसमाजियों की बुलाहट प्रेम, उदारता, निष्ठा और धीरज जैसे सद्गुणों से सम्पन्न परिवार से नहीं हो सकता किन्तु इस धरती पर दृढ़ता से रोपे जाने का अर्थ है हमारी बुलाहटीय अनुभूति को पहचानना क्योंकि ईश्वर के बुलावे का एहसास हमें उनके करीब लाता है। संत पापा ने कोलंबिया की पूर्व स्थिति पर गौर करते हुए कहा कि ऐसी स्थिति हम बाइबिल में भी पाते हैं। उन्होंने ढ़ाढस बंधाते हुए कहा, कि हम इस तरह की पृष्टभूमि में भी न डरें, क्योंकि ईश्वर चमत्कारिक रूप से भी दाखलता में अच्छे फल उत्पन्न कर सकते हैं। उन्होंने मेडेलिन के सभी धर्मसंघीय समुदायों में बुलाहट हेतु प्रार्थना की। 

संत पापा ने दाखलता की तुलना येसु से करते हुए कहा, ″दाखलता जो स्वयं येसु हैं उनकी विशेषता है सच्चाई। उन्होंने अपने को सच्ची ज्योति, स्वर्ग की सच्ची रोटी तथा सच्चा साक्षी आदि की संज्ञा दी है। सच्चाई वह नहीं है जिसे हम रोटी अथवा ज्योति के रूप में प्राप्त करते हैं किन्तु जो अंदर से प्रस्फुटित होता है। हम सब सच्चाई के लिए चुने गये हैं और हमारी बुलाहट सच्चाई में होनी चाहिए। यदि हम येसु रूपी दाखलता में कलम किये गये हैं तो झूठ, दिखावा एवं संकीर्णता के लिए कोई जगह नहीं है। हम सभी को सचेत रहना चाहिए कि प्रत्येक डाली फल लाने के उद्देश्य को पूरा कर सके। यदि हम येसु की आत्मा रूपी सच्चे भोजन से पोषित नहीं होंगे तो हम सूखेपन का अनुभव करेंगे और येसु कहते हैं कि उस तरह की डालियाँ पहले ही सूख चुकी हैं। वे बुलाहट मर जाती है जो सम्मान द्वारा पोषित किया जाना पसंद करते हैं। हम सभी को सावधान रहना है क्योंकि कलीसिया के लोगों में भ्रष्टाचार धीरे-धीरे प्रवेश करता है। येसु कहते हैं हम ईश्वर और धन दोनों की सेवा एक साथ नहीं कर सकते। संत पापा ने कहा कि धर्मसमाजी जीवन का लाभ एवं भौतिक वस्तुओं के सुख की प्राप्ति एक साथ संभव नहीं है। कोई भी परिस्थिति जो सूखेपन एवं मृत्यु को प्रकट करती हैं पोषक तत्वों को डालियों में बहने एवं जीवन देने से नहीं रोक सकती। झूठ, संदेह, छल योजना एवं लोगों का शोषण करने वालों के लिए धर्मसंघी समुदायों में कोई स्थान नहीं है। वे ऐसी डालियाँ हैं जो सूख चुकी हैं तथा येसु ऐसी डालियों को काट डालने का आदेश देते हैं। येसु यह भी कहते हैं कि हम यदि अपने को स्वतंत्र रूप से अर्पित करेंगे तब हम प्रचुर फल उत्पन्न करेंगे। यह संभव है इसका उदाहरण हम कोलंबिया में देख सकते हैं। हम संत लौरा मोनतोया की याद करते है जिन्होंने एक महान मिशनरी के रूप में अपना सब कुछ अर्पित किया। उसी तरह धन्य मरियानो जो मेडलिन के गुरूकुल छात्र थे तथा कोलंबिया के अन्य पुरोहित एवं धर्म समाजी जिनकी संत घोषणा हेतु प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। इसके अलावा हजारों लोग होंगे जिनके बारे कोई नहीं जानता किन्तु अपने सादगीपूर्ण दैनिक जीवन को सुसमाचार के लिए अर्पित करते हैं। वे सभी हमें दिखलाते हैं कि सुसमाचार के प्रति निष्ठावान बनना एवं फल उत्पन्न करना संभव है।

हमारे लिए सुखद समाचार यह है कि प्रभु हमें शुद्ध करना चाहते हैं हम काट नहीं दिये जायेंगे। येसु हमें अपने साथ संयुक्त रहने हेतु निमंत्रण देते हैं जिसके द्वारा वे हमसे उन चीजों को दूर कर देंगे जो हमें मृत्यु की ओर ले जाती है तथा हमारे जीवन पर अधिकार कर लेती है।

संत पापा ने येसु के साथ संयुक्त रहने हेतु तीन उपाय बतलाये।

1.ख्रीस्त की विनम्रता को धारण करने के द्वारा- येसु का मनोभाव जो भले समारितानी में प्रकट होता है जो व्यक्ति के मूल्य को पहचानते, उनका साथ देते, उनके घावों में मरहम पट्टी लगाते एवं उनके मौन पीड़ा को समझते हैं, खासकर, ऐसे लोगों को जो अन्याय, अत्यन्त गरीबी, उदासीनता एवं हिंसा से पीड़ित हैं। येसु के शब्द एवं कार्य जो लोगों के लिए प्रेम प्रकट करता, दूर भटक गये लोगों को खोजता, पाप को त्यागने एवं सुसमाचार का आनन्द और उदारता से प्रचार करने के द्वारा, निराशा की भावना को दूर करने में लोगों का साथ देने के द्वारा उन्हें प्रकट करते हैं।

2. ख्रीस्त का ज्ञान बढ़ाने के द्वारा- पवित्र धर्मग्रंथ के माध्यम से येसु को जानने एवं उनसे मुलाकात करने को प्राथमिकता देना, खासकर, जहाँ येसु हमसे बोलते हैं, हमारे लिए पिता के प्रेम को प्रकट करते हैं उन बातों पर चिंतन करना। जो सुसमाचार को प्यार नहीं करता वह येसु से प्रेम नहीं करता है। अतः संत पापा ने ईशवचन के अध्ययन की सलाह दी जिसके द्वारा हम ईश्वर इच्छा को सुन सकते हैं।

3. येसु के साथ संयुक्त रहें ताकि आनन्द के साथ जी सकें - यदि हम उनसे संयुक्त रहेंगे तब उनका आनन्द हममें होगा। हम उदास एवं कड़वाहट भरे शिष्य नहीं बनेंगे बल्कि सच्चे आनन्द के संदेश वाहक बनेंगे। हम आशापूर्ण नये जीवन का प्रचार करेंगे जिसे ख्रीस्त ने हमें प्रदान किया है। ईश्वर की बुलाहट कोई बड़ा भार नहीं है जो हमारा आनन्द छीन सकता है। वे नहीं चाहते हैं कि हम उदासी एवं चिंता में डूब जाएँ जो क्रिया-कलापों को ठीक ढंग से पूरा नहीं कर पाने की भावना से उत्पन्न होता है किन्तु एक ऐसी आध्यात्मिकता जो हमारे जीवन में आनन्द लेकर आती है। आनन्द ही ईश्वर के साथ हमारी करीबी एवं उनके प्रति प्रेम का चिन्ह है। हम ईश्वर की कृपाओं के सच्चे माध्यम बन जाते हैं जब हम उनसे मुलाकात के आनन्द को प्रकट करते हैं।  

नूह ने जलप्रलाय के बाद नई शुरूआत के चिन्ह स्वरूप एक दाखलता लगाया। मूसा ने कुछ लोगों को प्रतिज्ञात देश का पता लगाने भेजा जो अपने साथ अंगूर के फल लेकर लौटे।

संत पापा ने कोलंबिया के पुरोहितों एवं धर्मसमाजियों से कहा कि ईश्वर ने हम पर, हमारे समुदायों एवं परिवारों पर दृष्टि डाली है। उन्होंने समस्त कोलंबिया को देख लिया है तथा आप उनके प्रेमी चुनाव के चिन्ह हैं। यह आप पर निर्भर करता है कि येसु हमारे दाखलता से संयुक्त होकर उन्हें अपना प्रेम और सेवा अर्पित करें। कोलंबिया की नई शुरूआत की प्रतिज्ञा में जिसने अपने पीछे विरोध और हिंसा के बाढ़ को छोड़ दिया है वह एक ऐसा देश बनना चाहता है जो न्याय, शांति, मुलाकात एवं एकात्मता का फल उत्पन्न करे। संत पापा ने सभी को समर्पित जीवन की शुभकामनाएं दी एवं उन्हें ईश्वर का आशीर्वाद प्रदान करते हुए कोलंबिया के पुनर्निर्माण में सहयोग देने की सलाह दी।








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