2017-09-09 15:58:00

राष्ट्रीय पुनर्मिलन सम्मेलन को संत पापा का संदेश


विल्लाविचेंसियो, शनिवार, 9 सितम्बर 2017 (रेई): संत पापा फ्राँसिस ने कोलंबिया के विल्लाविचेंसियो स्थित "पार्के लास मलोका" में राष्ट्रीय पुनर्मिलन सम्मेलन के अवसर पर मेल-मिलाप का अह्वान किया, जहाँ युद्ध से विकलांग हुए 6000 लोगों ने प्रार्थना सभा में भाग लिया।

उन्हें अपना संदेश देते हुए संत पापा ने कहा, ″आपके देश में पहुँचने के समय से ही मैं इस पल का इंतजार कर रहा था। आप अपने हृदय एवं शरीर में, अपने प्रियजनों पर घटी त्रासदी के जीवित याद के निशान धारण किये हुए हैं किन्तु यह महान वीरता, विनम्रता, विश्वास तथा आशा का आध्यात्मिक मूल्य है।″ मैं यहाँ सम्मान एवं स्पष्ट चेतना के साथ आता हूँ, मूसा की तरह, मैं पवित्र भूमि में खड़ा हूँ। (निर्ग. 3:5) एक ऐसी भूमि जो हजारों लोगों के खून से सींचा गया है तथा जहाँ अपने परिवारों एवं प्रियजनों के लिए हृदय विदारक पीड़ा है। घाव जिनका भरना आसान नहीं है और जो सभी को कष्ट देता है क्योंकि मानव के विरूद्ध हिंसा के हर कार्य मानवता के शरीर पर एक घाव है और हर हिंसक मृत्यु मानव के रूप में हमारे मूल्य को कम करता है। 

संत पापा ने कहा कि वे अधिक बोलने के लिए नहीं बल्कि उनके करीब रहने के लिए आये हैं। उन्हें अपनी नजरों से देखने, उन्हें सुनने और उनके जीवन एवं विश्वास के साक्ष्य के लिए अपना हृदय खोलने। उनका आलिंगन करना एवं उनके दुःख में सहभागी होना चाहते हैं। उनके साथ प्रार्थना करना एवं एक-दूसरे को क्षमा देना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ″मुझे भी क्षमा मांगने की आवश्यकता है ताकि हम सभी एक साथ विश्वास एवं आशा में आगे बढ़ सकें।″

संत पापा ने कहा, ″हम क्रूस के चरणों में एकत्रित हैं जो सैंकड़ो लोगों की हत्या का साक्षी है जो अपनी सुरक्षा हेतु 2 मई 2002 को कलीसिया के शरण में आये थे। इस छवि का शक्तिशाली प्रतीकात्मक एवं आध्यात्मिक मूल्य है। जब हम इसपर दृष्टि डालते हैं तब हम न केवल उस दिन की घटना का स्मरण करते हैं किन्तु उस अत्यधिक पीड़ा की, कई लोगों की मृत्यु एवं टूटे जीवन की तथा विगत दशकों में कोलंबिया में जितने खून बिखरे, उन सभी की याद करते हैं।

ख्रीस्त को इस तरह विकृत एवं घायल स्थिति में देखना हममें सवाल पैदा करता है। उनके न तो हाथ रह गये हैं और न ही शरीर के दूसरे अंग किन्तु चेहरा अब भी है जिससे वे हमें देखते एवं प्रेम करते हैं। ख्रीस्त का तोड़ा जाना एवं अंग रहित होना हमारे लिए है। उससे भी बढ़कर यह है कि वे अपने लोगों के लिए और उनके साथ दुःख भोगने आये। वे यह दिखलाने आये कि घृणा ही अंतिम शब्द नहीं हैं, मृत्यु एवं हिंसा से अधिक ताकतवर है प्रेम। वे हमें पीड़ा को जीवन के स्रोत एवं पुनरूत्थान में बदलने की सीख देते हैं ताकि हम उनके साथ प्रेम की गरिमा क्षमाशीलता की शक्ति को सीख सकें।

संत पापा ने साक्ष्य देने वाले सभी लोगों को धन्यवाद दिया एवं उनके साक्ष्य को दुःख और पीड़ा से बढ़कर प्रेम एवं क्षमाशीलता की कहानी कहा जो आशा एवं जीवन की ओर प्रेरित करती है तथा घृणा, बदले की भावना और दुःख पर काबू पाने में मदद देती है।

संत पापा ने स्तोत्र 85 के 10वें पद को प्रस्तुत किया जहाँ कहा गया है कि ″दया और सच्चाई, न्याय और शांति एक-दूसरे से मिल गये।″

संत पापा ने प्रथम साक्षी पासतोरा मीरा के साक्ष्य पर कहा कि उसने अपनी एवं हज़ारों लोगों की हर पीड़ा को येसु के क्रूस तले अर्पित किया ताकि उनके दुखों में एक होकर यह आशीर्वाद एवं क्षमाशीलता बन जाए एवं हिंसा के चक्र को तोड़ा जा सके। हिंसा, हिंसा की ओर ले जाती है और घृणा, घृणा बढ़ाती है जबकि मृत्यु और अधिक मृत्यु का कारण बनता है। हमें इस चक्र को तोड़ना है जो क्षमाशीलता एवं मेल-मिलाप के द्वारा ही संभव है। कई लोगों ने इसे संभव बना कर दिखाया भी है। जी हाँ, समुदाय के बीच जीवित ख्रीस्त की सहायता से हम घृणा और मृत्यु पर पूरी तरह विजय पा सकते हैं तथा नये कोलंबिया का निर्माण कर सकते हैं।

संत पापा ने दूसरे साक्षी लूज़ डारी के साक्ष्य पर कहा कि शरीर के घावों की अपेक्षा हृदय का घाव गहरा होता एवं चंगाई पाने में मुश्किल होता है। यह भी सच है कि क्रोध के साथ जीना भी संभव नहीं है बल्कि मात्र प्रेम से जो मुक्त करता एवं निर्माण करता है। इस तरह पीड़ा के शिकार लोगों के घाव भरते हैं तथा वे अपनी प्रतिष्ठा का पुनः निर्माण कर सकते हैं।

संत पापा ने जेसी और युवान कार्लोस के साक्ष्य के लिए भी धन्यवाद दिया तथा कहा कि उनका साक्ष्य यह समझने में मदद देता है कि हम सभी किसी न किसी रूप में हिंसा और मृत्यु के द्वारा होने वाली मानवता की क्षति के हिस्सेदार हैं। उन लोगों के लिए भी आशा समाप्त नहीं हुई है जिन्होंने गलत किया है। निश्चय ही, न्याय मांग करती है कि अपराधी नैतिक और आध्यात्मिक नवीनीकरण से होकर गुजरे। यह विश्वास करना मुश्किल मालूम पड़ता है कि जो लोग अपने मुद्दों को बढ़ाने और अपने गैरकानूनी कार्यों की रक्षा करने हेतु क्रूर हिंसा को अंजान देते हैं वे कभी बदल सकते हैं? निश्चय ही यह हम सभी के लिए चुनौती भरा है। 

संत पापा ने कहा कि हिंसा, संघर्ष एवं बदले की भावना के बावजूद हम कोलंबिया की दुःखद इतिहास में न्याय और दया को रोक नहीं सकते हैं। उन्होंने गलत करने वालों को स्वीकार करने का आग्रह करते हुए कहा कि आइये, हम पीड़ा से बाहर आयें एवं उन सभी का स्वागत करें जिन्होंने गलत कार्यों को अंजाम दिया था किन्तु अपनी गलतियों को स्वीकार कर लिया है और सचमुच सुधार करना चाहते हैं। इस प्रकार, हम नयी व्यवस्था के निर्माण में अपना सहयोग देंगे जहाँ से न्याय एवं शांति प्रस्फुटित हो सकेगा। संत पापा ने न्याय एवं दया को अविभाज्य सच्चाई बतलाया। शांति के निर्माण के लिए दोनों की आवश्यकता है। सच्चाई बदले की ओर नहीं किन्तु मेल-मिलाप एवं क्षमाशीलता की ओर ले जाती है।  

संत पापा ने कोलंबिया वासियों से कहा कि वे ईश प्रजा की तरह अपना हृदय खोलें एवं मेल- मिलाप करें। न तो वे सच्चाई से डरे और न ही न्याय से। वे क्षमा मांगने और क्षमा देने से भी न घबरायें। मेल–मिलाप करने से पीछे न हटें जो एक-दूसरे को भाई-बहन की तरह मिलाता और आपस में एक-दूसरे के करीब लाता है। अभी घावों को भरने का समय है, सेतु के निर्माण का एवं मतभेदों को मिटाने का। यह घृणा का बहिष्कार करने एवं न्याय, सच्चाई एवं भाईचारा पूर्ण मुलाकात पर स्थापित सह-अस्तित्व के लिए खुला होने का।

संत पापा ने प्रार्थना की कि वे सभी प्रभु की इच्छा अनुसार सौहार्द और एकात्मता में जी सकें। हम शांति के निर्माता बनें ताकि जहाँ घृणा एवं क्रोध है वहाँ प्रेम और दया ला सकें।

मैं सभी निवेदनों को क्रूसित ख्रीस्त की प्रतिमा को समर्पित करता हूँ।

 प्रार्थना –

हे विकृत ख्रीस्त, जो हमें आपके दुखभोग एवं मृत्यु की याद दिलाती है।

आपकी बाहें और पाँव दोनों ही आपके बच्चों द्वारा तोड़ दिये गये हैं।

जो आप में शरण खोजते।

हे ख्रीस्त, जो बड़ी कोमलता से हमें निहारते हैं।

आपका चेहरा शांत है, आपका हृदय धड़कता है ताकि हम आपके प्रेम में स्वीकार किये जाएँ।

हे ख्रीस्त, हमें आपके शरीर की रक्षा करने की कृपा प्रदान कर,

हम आपके पैर बन सकें ताकि मुलाकात करने हेतु आगे बढ़ सकें,

हमारे जरूरतमंद भाई-बहनों को।

उन को आलिंगन करने के लिए आपकी बाहें, जिन्होंने अपनी प्रतिष्ठा खो दी है।

आपके हाथ बन सकें ताकि अकेले में रोने वालों को आशीष और सांत्वना मिल सके।

हमें आपके प्रेम एवं असीम दया का साक्षी बना। 








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