2017-09-08 17:05:00

लातीनी अमरीका के धर्माध्यक्षों से संत पापा, प्ररिताई में उत्साह बनाये रखें


बोगोटा, शुक्रवार, 8 सितम्बर 2017 (रेई): संत पापा फ्राँसिस ने लातीनी अमरीका के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन ‘चेलम’ (सी इ एल ए एम) के सदस्यों को सम्बोधित कर कहा, ″मैं लातीनी अमरीका की कलीसिया के मिशन एवं सहयोग हेतु महाद्वीपीय धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के गठन हेतु अपनी सराहना करता हूँ। जो शिष्यता एवं मिशनरी भावना को प्रोत्साहन देने का केंद्र है। इतने सालों की सेवा में चेलम, लातीनी अमरीका के काथलिक धर्म की गहरी समझ के विकास का संकेत बिन्दु भी बन चुका है।    

मैं इस अवसर को, लातीनी अमरीका की कलीसिया के लिए एकात्मता फंड द्वारा चिंता करने के आपके प्रयासों को प्रोत्साहन देना चाहता हूँ।

संत पापा ने चेलम के धर्माध्यक्षों से उस प्रणाली को सीखने पर जोर दिया जिसके माध्यम से स्थानीय कलीसियाओं के केंद्र में येसु के मिशन को रखा जा सके तथा उनके बीच आनन्द लाया जा सकें। उन्होंने सचेत किया कि सुसमाचार को एक विचारधारा तथा कलीसियाई और याजकीय कार्य बनाने के प्रलोभन से बचें क्योंकि इसके द्वारा ख्रीस्त प्रदत्त मुक्ति दाँव पर पड़ जाती है, जो लोगों के हृदय को स्पर्श कर उन्हें मुक्त कर सकती है ताकि वे ईश्वर एवं पड़ोसियों के साथ मित्रता में बढ़ सकें।     

जब ईश्वर ने येसु के द्वारा हम से बोला तब उन्होंने अस्पष्ट रूप से संकेत नहीं दिया मानो कि हम परदेशी हों बल्कि उन्होंने उनसे अपने बच्चों के लिए पिता की आवाज बनकर बातें कीं। वे मनुष्यों के रहस्य का सम्मान करते हैं क्योंकि उन्होंने स्वयं अपने हाथों से हमें गढ़ा है तथा अर्थपूर्ण उद्देश्य प्रदान किया है। कलीसिया के रूप में हमारी सबसे बड़ी चुनौती है ईश्वर की इस निकटता के बारे बतलाना जो हमें अपने पुत्र-पुत्रियाँ मानते हैं उस समय भी जब हम उन्हें पिता के रूप में स्वीकार नहीं करते। अतः सुसमाचार को सामाजिक विकास हेतु एक समझौता अथवा कलीसिया में एक आरामदायक कार्यालय मात्र तक सीमित नहीं किया जाना चाहिए। कलीसिया येसु के शिष्यों का समुदाय है। यह एक रहस्य एवं एक प्रजा है और कलीसिया ईश प्रजा द्वारा प्रस्तुत होती है। इस प्रकार मिशनरी शिष्य होना आज के इस व्यस्त एवं जटिल विश्व में ईश्वर की ओर से एक बुलाहट है जिसके लिए हमें येसु से जुड़े रहने की आवश्यकता है ताकि हम प्रभु को अधिक अच्छी तरह पहचान सकें। जब हम उनके करीब आते हैं तब हम पिता को पहचानते हैं जो हमेशा हमारा इंतजार करते। कलीसिया जो कि एक पत्नी, माता और सेविका है वह अपना नहीं बल्कि ईश्वर का कार्य करती है। सामीप्य एवं मुलाकात ही वे माध्यम हैं जिनका प्रयोग ईश्वर ने किया है तथा जो ख्रीस्त के द्वारा सदा हमसे मुलाकात करने हमारे करीब रहते हैं। कलीसिया का रहस्य है उनके दिव्य घनिष्ठता एवं मुलाकात स्थल का संस्कार बनना। इस प्रकार धर्माध्यक्षों को ईश्वर के करीब एवं उनकी देखरेख में सौंपी गयी पवित्र प्रजा के रहने की आवश्यकता है। 

संत पापा ने कहा कि हमें सावधान रहना चाहिए क्योंकि जीवन एवं कलीसिया की आवश्यक चीजें पत्थर पर अंकित नहीं किन्तु एक जीवित विरासत है।  

उन्होंने कहा कि जो जागरूकता जीवित ख्रीस्त के साथ मुलाकात से आती है मांग करती है कि उनके शिष्य उनके साथ संबंध को मजबूत करें, अन्यथा, उनके लिए प्रभु का चेहरा धूमिल पड़ जायेगा एवं मिशन कमजोर हो जाएगा। प्रेरितिक कार्यों में प्रार्थना करना एवं उनके साथ हमारे संबंध को मजबूत करना सबसे अधिक महत्वपूर्ण हैं। संत पापा ने कहा कि वर्तमान में लातीनी अमरीका की कलीसिया की प्रेरिताई हेतु प्रभु से मुलाकात करने की आवश्यकता है।    

उन्होंने कहा, ″लातीनी अमरीका में आज येसु के साथ मिशन का ठोस अर्थ क्या है?″ उन्होंने कहा कि कलीसिया हमेशा मिशन में संलग्न है जिसके लिए येसु के साथ रहने की आवश्यकता है। सुसमाचार बतलाती है कि येसु पिता से आये तथा शिष्यों के साथ गलीलिया की गलियों एवं शहरों पर यात्रा की। उनकी यात्रा व्यर्थ नहीं थी। यात्रा करते हुए उन्होंने कई लोगों से मुलाकात की और जब लोगों से मुलाकात की वे उनके नजदीक आये। जब वे उनके नजदीक आये उन्होंने उनसे बातें की और जब उन्होंने उनसे बातें की तो अपनी शक्ति से उनके हृदय का स्पर्श किया तथा इस स्पर्श द्वारा उनके जीवन में चंगाई एवं मुक्ति प्रदान किया। उनका उद्देश्य था लगातार बाहर जाना ताकि अपने साथ मुलाकात करने वाले लोगों को पिता की ओर ले सकें। हमें इस पर चिंतन करने से कभी नहीं रूकना चाहिए। संत पापा ने कहा कि कलीसिया को इस दिव्य मिशन को जारी रखना चाहिए, लोगों से दूरी रखे बिना एवं आलस्य से दूर रहते हुए लोगों से मुलाकात करने के लिए निकलना चाहिए और बिना भय उनके हृदय का स्पर्श करना चाहिए। हम अपने को वातानुकूलित कार्यालयों में लकवा ग्रस्त बनाकर नहीं रख सकते। हमें स्त्रियों एवं पुरूषों की ठोस परिस्थिति से अवगत होना है। हम अपनी नजर उनसे नहीं फेर सकते।

संत पापा ने कहा कि लातीनी अमरीका की गहरी भावना, इसकी सबसे गहन वास्तविकता के बारे बोलने हेतु कलीसिया को येसु से सीखना चाहिए। सुसमाचार बतलाता है कि येसु केवल दृष्टांतों में बोलते हैं। (cf. Mk 4:34) वे चित्रों का प्रयोग करते हैं। लातीनी अमरीका की पवित्र एवं विश्वासी प्रजा इन वचनों को इसी रूप में बेहतर समझती है। हम प्रेरिताई हेतु ठंढ़े और अस्पष्ट विचारों के लिए नहीं किन्तु उन चित्रों को प्रस्तुत करने के लिए बुलाये गये हैं जो मानव हृदय में अपनी शक्ति को विकसित करती और बढ़ती है। बीजों को अच्छी भूमि पर गिरने के लिए तैयार करने, खमीर जो रोटी बनाने हेतु आंटे को फुलाती तथा बीज जो उस शक्ति से फलप्रद पेड़ बनती है।   

संत पापा ने कहा कि कलीसिया आशा का चिन्ह बन सकती है। उन्होंने कहा कि इन भूमियों की कलीसिया विशेष रूप से आशा के चिन्ह हैं, फिर भी, यह देखना है कि लोगों की आशा किस तरह ठोस आकार ले रही है।

संत पापा ने लातिनी अमरीका में आशा की विशेषताओं पर दृष्टिपात करते हुए कहा, ″लातीनी अमरीका की आशा का एक युवा चेहरा है।″ हम बहुधा युवाओं के बारे बातचीत करते हैं प्रायद्वीप में युवाओं की संख्या के बारे सुनते हैं। कोई कहता है कि युवाओं की ओर से प्रयासों की कमी है जबकि कुछ उनकी क्षमताओं पर नजर रखता है। कुछ लोग उन्हें तस्करी एवं हिंसा की पंक्ति में गिनते हैं। संत पापा ने कहा कि युवाओं को इन दृष्टिकोणों से न देखा जाए किन्तु उनकी नजरों में आशा देखी जाए। यह सच नहीं है कि वे भूत में लौटना चाहते हैं। स्थानीय कलीसियाओं में उनके लिए वास्तविक जगह बनायें। उनके प्रशिक्षण हेतु समय एवं संसाधन खर्च करें। उन्हें कृत्रिम नहीं किन्तु सच्चे जीवन को पूर्ण रूप से जीने के द्वारा उत्पन्न होने वाले आनन्द की शिक्षा दें।     

लातीनी अमरीका की आशा का चेहरा महिला का है। माताओं के चेहरे से हम विश्वास की बातें सीखते तथा उनके दूध से हमें निराशा से अपनी रक्षा करने की शक्ति मिलती है। संत पापा ने सभी प्रकार के शारीरिक एवं आध्यात्मिक माताओं की यादकर कहा कि उनके बिना इस प्रायद्वीप में, कलीसिया में लगातार नये जन्म की शक्ति समाप्त हो सकती है। महिलाएँ ही हैं जो विश्वास को प्रज्वलित रखती हैं। उन्होंने उन माताओं के प्रति सम्मान, सराहना एवं प्रोत्साहन व्यक्त किया जिन्होंने हर परिस्थिति में पुनर्जीवित ख्रीस्त का प्रचार किया है।

लातीनी अमरीका की आशा लोकधर्मियों के मन, हृदय एवं कंधों से व्यक्त होती है। विश्वासी जो सच्चे मानव विकास के प्रसार को योगदान देने हेतु तैयार किये गये हैं वे राजनीतिक एवं सामाजिक प्रजातंत्र को सुदृढ़ करें ताकि असमानता की भावना से बाहर निकला जा सके एवं स्थिरता की रक्षा की जा सके।

उन्होंने धर्माध्यक्षों से कहा कि यदि वे लातीनी अमरीका की सेवा करना चाहते हैं तो वे उसे उत्साह के साथ उसे पूरा करें। उन्होंने कहा कि हम जो कुछ भी करते हैं उसमें मन औक हृदय लगाने की आवश्यकता है। हमें युवा प्रेमियों के उत्साह एवं वयोवृद्धों के विवेक से प्रेरित होने की आवश्यकता है। उन्होंने सुसमाचार प्रचार हेतु उत्साह बरकरार रखने की सलाह दी।








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