2017-09-06 15:50:00

कोलंम्बिया में संत पापा की प्रेरितिक यात्रा के प्रमुख मुद्दे


वाटिकन सिटी, बुधवार, 6 सितम्बर 2017 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस आज 6 सितम्बर को कोलंबिया की पाँच दिवसीय प्रेरितिक यात्रा हेतु रवाना होंगे जो विदेशों में उनकी 20वीं प्रेरितिक यात्रा होगी।

प्रेरितिक यात्रा के दौरान वे कोलंबिया की जनता एवं धर्माध्यक्षों के साथ विभिन्न अवसरों में मुलाकात करेंगे जहाँ उम्मीद की जा रही है कि वे न केवल कोलंबिया के लोगों को सम्बोधित करेंगे जो कई सालों के गृहयुद्ध के बाद, अब मेल-मिलाप एवं पुनः निर्माण की यात्रा में आगे बढ़ रहे हैं किन्तु विश्व के उन लोगों को भी सम्बोधित करेंगे जो भली इच्छा रखते हैं।

विभिन्न मुद्दों में से पर्यावरणीय न्याय का मुद्दा निश्चय ही एक अहम मुद्दा होगा जिसमें बढ़ते विकास और वैश्वीकरण के चेहरे पर अमेज़ॅन के लोगों की चुनौतियों का सामना करने की आवश्यकता है।

क्लोई स्कावाबे जो वैश्विक देखभाल के लिए मैरीनोल्ले कार्यालय के आस्था-अर्थव्यवस्था-पारिस्थितिकीय परियोजना के निदेशक एवं रेड एक्लेसियल पैन अमेजोनिकल नेटवर्क (आरईपीएएम जो अमेजन प्रांत के काथलिक धर्माध्यक्षों द्वारा स्थापित है) के साझेदार हैं। उन्होंने कोलंबिया में संत पापा की प्रेरितिक यात्रा पर आरईपीएएम के मिशन एवं आशा पर प्रकाश डाला।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किस तरह आरईपीएएम का कार्य एवं मिशन, ईश्वर की सृष्टि के साथ और अमेजन में आदिवासी समुदाय ″लौदातो सी″ के अनोखे उदाहरण हैं जिसे कलीसिया महसूस कर सकती है। क्लोई ने कहा कि कोलंबिया में शांति एवं भूमि सुधार के इस परिवर्तनशील समय में पूरी प्रक्रिया में कलीसिया का साथ महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि भूमि सुधार एक बड़ी चुनौती है क्योंकि कई आदिवासी तथा किसान समुदायों ने संघर्ष के दौरान अपनी जमीन खो दी है। कई लोग विस्थापित हुए हैं और अभी क्षेत्र में खजूर तेल उत्पादन के अतिक्रमण की वजह से उन पर पुनः विस्थापन की जोखिम है।

क्लोई स्कावाबे ने कहा कि इस समय कोलंबियाई सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए काम करना होगा कि आदिवासी समुदाय, अफ्रो-कोलम्बियाई समुदाय और किसान अपनी भूमि प्राप्त कर सकें, विशेषकर, जब कोलंबिया आर्थिक विकास हेतु उद्योग की ओर बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि हम यह देखेंगे कि वह सबसे कमजोर और ईश्वर के लोगों को भूमि प्रदान करेगी अथवा उद्योगों को प्राथमिकता देगी।

उन्होंने कहा कि संघर्ष का एक मुख्य कारण था जमीन का असमान वितरण। संघर्ष इसलिए भी गहराया क्योंकि हथियारबंद लोग भूखंड के लिए लड़ने लगे, न केवल प्राकृतिक संसाधनों के वास्ते बल्कि वे अपने कार्य-कलापों के लिए क्षेत्र सुनिश्चित करना चाहते थे।

उन्होंने बतलाया कि विश्वास पर आधारित इस संगठन ने सबसे कमजोर समुदायों का साथ दिया है जो अब भी एक महत्वपूर्ण कार्य है। 

उन्होंने बतलाया कि दुर्भाग्य से, जब से शांति समझौते पर हस्ताक्षर किया गया है, मानव अधिकार की रक्षा के लिए काम करने वालों को धमकी, हमला और हत्या तक का सामना करना पड़ रहा है। प्रक्रिया का यह समय भी अपने आप में एक चुनौती पूर्ण समय है तथा ऐसे समय में मानव अधिकार के लिए कलीसिया की आवाज बहुत महत्वपूर्ण है।  

क्लोई स्कावाबे ने संत पापा के प्रति अपनी आशा व्यक्त की कि शांति प्रक्रिया को प्रोत्साहन देने के लिए देश में उनकी उपस्थिति अत्यन्त महत्वपूर्ण होगी। उन्होंने उम्मीद जतायी कि उनके शब्द प्रत्येक व्यक्ति और समाज को इस प्रक्रिया में आगे बढ़ने में मददगार होगा।

वे कोलंबिया में संत पापा से विस्थापितों एवं शरणार्थियों को दिये संदेश को सुनना चाहती हैं जिन्हें जमीन हासिल करना एवं जीवन और जीविका स्थापित करना अति आवश्यक है।

वे संत पापा से पर्यावरण के बारे दिये गये संदेश को भी सुनना चाहते हैं जिसमें वे ईश्वर की सृष्टि की सुरक्षा की आवश्यकता पर बल देंगे। जिसके साथ आदिवासी एवं अफ्रो-कोलंबियाई लोगों का गहरा संबंध है।

उन्होंने कहा कि शांति समझौता के इस मेज तक पहुँचना आदिवासियों के लिए कठिन है किन्तु संत पापा के संदेश, उनके प्रोत्साहन एवं उनकी उपस्थिति द्वारा आदिवासियों की आवाज शांति प्रक्रिया में सुनी जा सकेगी। 








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