2017-09-05 16:34:00

पाकिस्तान में वर्ष 2018 होगा यूखरिस्त को समर्पित


पाकिस्तान, मंगलवार, 5 सितम्बर 2017 (रेई): ″यूखरिस्त को हम अपने ख्रीस्तीय जीवन, हमारे परिवारों एवं समुदायों का केंद्र बनाना चाहते हैं।″ इसी मनोभाव के साथ पाकिस्तान की कलीसिया ने साल 2018 को यूखरिस्त को समर्पित वर्ष घोषित करने का निश्चय किया है।

पाकिस्तान काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के धर्मविधि समिति के अध्यक्ष धर्माध्यक्ष बेन्नी त्रावास ने इस बात की घोषणा फिदेस को प्रेषित रिपोर्ट में कही।

यूखरिस्तीय वर्ष मनाने की प्रेरणा उन्हें फिलीपींस के चेबू में अंतरराष्ट्रीय यूखरिस्तीय कॉग्रेस में भाग लेने के द्वारा मिली।

धर्माध्यक्ष बेन्नी ने कहा, ″यह बिलकुल हृदय स्पर्शी अनुभव था तथा हम इस एहसास को पाकिस्तान में पुनः लाना चाहते हैं।″

यूखरिस्त को समर्पित वर्ष हेतु आदर्श वाक्य संत योहन रचित सुसमाचार का वह वाक्यांश है जिसमें येसु कहते हैं, ″मैं जीवन की रोटी हूँ।″ इसका समारोही उद्घाटन कराची में 24 से 26 नवम्बर को संत पैट्रिक महागिरजाघर में समारोही ख्रीस्तयाग के द्वारा किया जाएगा। इस अवसर पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा तथा धर्मप्रंतीय स्तर पर कई पहल किये जायेंगे। इसका समापन समारोह लाहौर में 21 से 24 नवम्बर 2018 को मनाया जाएगा।   

इस वर्ष को मनाने हेतु सभी धर्मप्रांतों के प्रतिनिधियों द्वारा एक आयोजन समिति का गठन किया गया है जो प्रेरितिक कार्यक्रमों की तैयारी कर रही है। उदाहरण के लिए, धर्माध्यक्ष त्रावास ने प्रस्ताव रखा है कि हर पल्ली में यूखरिस्त की आराधना की जाए, युवाओं, पल्लियों, स्कूलों एवं बच्चों के लिए धर्मशिक्षा का आयोजन किया जाए इत्यादि।

धर्माध्यक्ष ने कहा कि पाकिस्तान में ख्रीस्तीयों का जीवन पहले से ही यूखरिस्तीय है जब उन्हें दुःख, हिंसा या अन्याय एवं भेदभाव का सामना करना पड़ता है हम इसके लिए ईश्वर की स्तुति करते और उन्हें धन्यवाद देते हैं किन्तु यह भावना यूखरिस्त को हमारे जीवन के स्रोत एवं चरम-बिन्दु के रूप में मानने के द्वारा ही हमारे प्यारे देश में निवास करने वाले सभी विश्वासियों में आ सकता है।

अगस्त माह में सम्पति के अधिकार संबंधी झगड़े तथा धर्म के मामले को लेकर पाकिस्तान में तीन ख्रीस्तीयों की हत्या हुई। धर्माध्यक्ष का कहना है कि इन सभी हिंसाओं के बीच हमारा मनोभाव यूखरीस्तीय है। हम इसका उत्तर बुराई से नहीं देते बल्कि हमारी पीड़ाओं के लिए ईश्वर पर भरोसा रखते हैं तथा उनकी पवित्र इच्छा को स्वीकार करते हुए उनकी प्रशंसा करते, उन्हें धन्यवाद देते एवं शांति हेतु प्रार्थना करते हैं। 








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