2017-08-29 15:58:00

रोहिंग्या शरणार्थियों को बंगलादेश में प्रवेश पाने की अनुमति की मांग


ढाका, मंगलवार, 29 अगस्त 2017 (एशियान्यूज़): म्यानमार से रोहिंग्या शरणार्थी बंगलादेश की ओर बढ़ने के लिए मजबूर हैं उन्हें वहाँ प्रवेश करने की अनुमति नहीं है।

बंगलादेश काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के न्याय एवं शांति विभाग के सचिव थेओफिल नोक्रेक ने कहा, ″शरणार्थियों को मानवीय पृष्ठभूमि पर बंगलादेश में प्रवेश करने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्हें भी अपने जीवन की सुरक्षा का अधिकार है। वास्तव में, सरकार को रोहिंग्या शरणार्थियों के प्रति लचीला होना चाहिए ताकि वे अपने जीवन की रक्षा कर सकें।″  

हर दिन, म्यानमार सेना के साथ लड़ाई से भागने के लिए सैकड़ों रोहिंग्या, कोंक्स बाजार और बंदरबन के दक्षिणी जिलों से होकर, बांग्लादेश में पार करने की कोशिश कर रहे हैं। विगत कुछ दिनों में ही सौ से अधिक रोहिंग्या सैनिकों द्वारा मारे जा चुके हैं।

हालांकि सीमा सुरक्षा बल द्वारा बांग्लादेश (बीजीबी) सीमा पर शरणार्थियों को रोका जा रहा है, वे  रात के अंधेरे में देश में घुसने की कोशिश कर रहे हैं।

70 वर्षीय मोसतक अहमद, जो एक रोहंग्या है अब बंदरबन में "नो-इंसान की जमीन" में है, जहां उनका जीवन निरंतर खतरे में है। उन्होंने कहा, ″मेरे एकलौटे बेटे को म्यानमार सेना ने कब्जा कर लिया है। मुझे यकीन है कि वह ज़िंदा नहीं आएगा। हम अपने जीवन को बचाने के लिए यहां भाग आये हैं तथा बांग्लादेश में शरण की तलाश कर रहे हैं।″

अकतार नामक एक अन्य रोहिंग्या ने कहा, ″मेरे पति निर्दोष हैं किन्तु वर्मा के सैनिकों ने उसे गिरफ्तार कर लिया, उसे मेरी नजरों के सामने सताया गया। मैं तथा मेरे बच्चे अपनी जान बचाने के लिए वहाँ से भाग गये हैं। 

उसी तरह कई रोहिंग्या म्यानमार से भाग कर बंगलादेश में बचने हेतु शरण की खोज कर रहे हैं। किन्तु उनमें से कई सीमा सुरक्षा बल द्वारा पकड़ लिए जाते हैं जिन्हें वापस भेजने के पहले भोजन तथा दवाईयाँ दी जाती हैं।

जानकारी के अनुसार कोई भी ख्रीस्तीय अथवा गैर सरकारी स्वयंसेवक संगठन रोहिंग्या शरणार्थियों की मदद नहीं कर रहा है।

बंगलादेश के कई मुस्लिम उन शरणार्थियों का स्वागत करना चाहते हैं। ढाका स्थित मस्जिद के इमाम ने कहा, ″ रोहिंग्या हमारे ही भाई-बहन हैं। वे भी मुस्लिम हैं। हमें उन्हें वापस नहीं भेजना चाहिए बल्कि उनकी रक्षा करनी चाहिए।″








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