2017-08-19 15:51:00

नामिबिया की 'मदर तेरेसा' सिस्टर लवली सेबास्तियन


न्यागना, शनिवार, 19 अगस्त 2017 (ऊकान): भारत की एक काथलिक धर्मबहन लवली सेबास्तियन को दक्षिण पूर्व अफ्रीकी देश नामिबिया में 'मदर तेरेसा' माना जाता है।

दक्षिण भारत के केरल राज्य की धर्मबहन ने न्यागना के काथलिक अस्पताल में बीमारों की सेवा 13 वर्षों तक की है।

पेशे से एक पंजीकृत नर्स और मिडवाइफ धर्मबहन सेबास्टियन, 2013  में अस्पताल की मैट्रॉन बन गईं हैं। इससे पहले, उन्होंने एक नर्स के रूप में काम किया तथा न्यांगना जिला में ग्रामीणों को अपनी सेवाएं दी।

सिस्टर सेबास्तियन, जो 2000 में नामीबिया आने के बाद ज्यादातर न्यागना में काम की हैं, बतलाती हैं कि जब वे वहाँ गयीं तो उन्हें कुछ भी मालूम नहीं था कि आगे क्या होगा। सबसे बढ़कर वे कलकत्ता की मदर टेरेसा के समान काम करते हुए मानवता की सेवा करना चाहती थीं।

न्यूज इरा को जानकारी देते हुए सिस्टर लवली ने कहा, ″मैं बचपन से ही एक धर्मबहन बनना चाहती थी। मैं मदर तेरेसा को अपनी आदर्श मानती थी तथा मेरी इच्छा थी कि मैं ग़रीबों के बीच काम करूँ।″

सि. लवली सेबास्तियन 18 साल की उम्र में 1995 में धर्मबहन बनी जहाँ उन्होंने नर्सिंग की पढ़ाई पूरी की तथा 1998 में एक नर्स बन गयी। 43 वर्षीय सेबास्तियन अपनी बुलाहट पर खुश है यह इसलिए क्योंकि वह बीमारों एवं समाज के दुर्भाग्यशाली समझे जाने वाले लोगों तक पहुँचना अपना उद्देश्य समझती है और उसी में अपनी सेवा का मूल्य पाती है।  

सिस्टर सेवास्तियन न्यागना जिला एवं उसके आस-पास के क्षेत्रों से अच्छी तरह परिचित हैं। उनका कहना है कि वे न्यागना जिला को बहुत अच्छी तरह जानती हैं। जब कभी उन्हें अवकाश मिलता है वे गाँवों में लोगों से मुलाकात करने जाती हैं तथा बीमारों के साथ रोजरी प्रार्थना करती हैं।

बीमारों के प्रति अत्यन्त दयालु हैं उनका कहा है, ″जब कोई रोगी आता तथा लम्बे समय तक इंतजार करता है तो मुझे कष्ट होता है क्योंकि मैं जानती हूँ कि यदि वे अपने बस से छूट जायेंगे तब उन्हें घर पहुँचने में तकलीफ होगी। इस प्रकार उन्होंने दूरदराज के गांवों के उन मरीजों की सहायता के लिए एक मुद्दा बनाया है।″  

वे बीमारों को सच्ची सेवा प्रदान करने हेतु प्रार्थना को आवश्यक बतलाती हैं वे कहती हैं, ″यदि आप रोगियों की सेवा करना चाहते हैं आपको प्रार्थनामयी बनना होगा। मैं धर्मबहनों को प्रार्थना हेतु प्रोत्साहन देती हूँ तथा रोगियों के प्रति सहानुभूति रखने की सलाह देती हूँ।″   








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