2017-08-15 15:50:00

धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक 2017 को लागू करने का उद्देश्य क्या है


भोपाल, मंगलवार, 15 अगस्त 2017 (ऊकान): झारखंड ने धर्मांतरण रोकने के लिए धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक 2017 पारित कर, एक ऐसे कानून को लागू किया है जिसको पहले से 6 अन्य राज्यों में लागू किया जा चुका है एवं इसके माध्यम से हिन्दू दलों द्वारा ख्रीस्तीयों को निशाना बनाया जाता रहा है।

धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक 2017, झारखंड में 12 अगस्त को लागू किया गया। आलोचकों का कहना है कि इस विधेयक के नामकरण पर भी व्यंग्य है। यह विधेयक 1 अगस्त से ही बढ़ते विरोध का सामना कर रहा था किन्तु इसके बावजूद हिन्दू समर्थक भारतीय जनता पार्टी सरकार ने इसे लागू कर दिया।

 मुख्यमंत्री रघुवर दास दिसंबर 2014 से ही इस बिल को लागू करने का दबाव बना रहे थे जब उनकी पार्टी और गठबंधन सहयोगी सत्ता पर आए।

धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक 2017 का उलंघन करने वालों को 3 साल की सज़ा एवं 50 हजार का दण्ड भुगतना पड़ेगा जबकि यदि यह मामला किसी एसटी या एससी के साथ हो तो सज़ा बढ़कर 4 साल एवं 1 लाख रूपये होगी।

अन्य राज्यों में जहाँ यह कानून पहले से लागू किया गया है हिन्दू चरमपंथी दलों ने ख्रीस्तीय धर्मगुरूओं एवं ख्रीस्तीयों पर गलत आरोप लगाकर, इस कानून का कथित तौर पर दुरुपयोग किया है। वे ख्रीस्तीय मिशनरी सेवाओं जैसे- शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं को, ग़रीबों के बीच रूपांतरण हेतु लालच देना मानते हैं।

आदिवासियों एवं निचले तबक़े के लोगों को मदद देने हेतु ख्रीस्तीय सैकड़ों स्कूल चलाते एवं मेडिकल सुविधाएँ उपलब्ध कराते हैं जिसके अधिकांश लाभार्थी गैर ख्रीस्तीय ही होते हैं।

झारखंड की राजधानी राँची के महाधमाधर्माध्यक्ष कार्डिनल तेलेस्फोर पी. टोप्पो ने कहा, ″यह कानून भारतीय संविधान की आत्मा और सिद्धांतों के विरूद्ध है, जिसमें अपने पसंद के धर्म की अभिव्यक्ति, प्रचार एवं चुनाव करने का अधिकार दिया गया है।″

उन्होंने कहा कि कथित तौर पर मैंने इस तरह के जबरन धर्मांतरण को कभी नहीं देखा।

गौरतलब है कि झारखंड में 4.5 प्रतिशत ख्रीस्तीय हैं जो लगभग राष्ट्रीय औसत 2.3 प्रतिशत का दोगुणा है। यद्यपि ख्रीस्तीयों का सौ साल से भी अधिक समय से मिशन कार्य जारी है किन्तु ख्रीस्तीयों की संख्या अब भी बहुत छोटी है। झारखंड के 33 मिलियन जनसंख्या में ख्रीस्तीयों की संख्या 1.4 मिलियन ही है।

पूर्व मुख्य मंत्री बाबू लाल मरांडी जो वर्तमान में विपक्ष दल झारखंड विकास मोर्चा के नेता हैं उन्होंने कहा कि विधेयक मौलिक संवैधानिक गारंटी का उल्लंघन करता है।

उन्होंने कहा, ″बीजेपी सरकार संविधान एवं देश के कानून का पालन करने के लिए तैयार नहीं है।″ विपक्ष नेता हेमन्त सोरेन ने पत्रकारों से कहा कि विधेयक का उद्देश्य अल्पसंख्यकों को परेशान करना है।

कई ख्रीस्तीय संगठन, जैसे- झारखंड ख्रीस्तीय युवा संगठन, झारखंड ख्रीस्तीय श्रमिक संगठन तथा राष्ट्रीय ईसाई महासंघ ने इसका कड़ा विरोध किया है। 

कई लोगों द्वारा भाजपा को हिंदू समूहों की राजनीतिक शाखा माना जाता है जो भारत में ऊपरी जाति हिंदू वर्चस्व स्थापित करना चाहते हैं।








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