2017-08-09 15:52:00

कोहिमा के धर्माध्यक्ष द्वारा प्रार्थना की मांग


नई दिल्ली, बुधवार, 9 अगस्त 2017 (मैटर्स इंडिया): नागालैंड की काथलिक कलीसिया के शीर्ष धर्माध्यक्ष जेम्स थॉप्पिल ने उत्तर-पूर्वी भारत में अँधेरा एवं अनिश्चितता का माहौल बतलाते हुए प्रार्थना की मांग की है ताकि वहाँ की समस्याओं का शांतिपूर्ण समाधान किया जा सके।

भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के महासचिव धर्माध्यक्ष थेओदोर मसकरेनहास को लिखे पत्र में कोहिमा के धर्माध्यक्ष ने कहा है कि संघीय सरकार के बाद शांति प्रक्रिया ने एक महत्वपूर्ण दौर में प्रवेश किया है और नागा राष्ट्रीय नेताओं ने "ढांचे के समझौते″ पर हस्ताक्षर किया है।

धर्माध्यक्ष मसकरेनहास ने 8 अगस्त को पत्र की बातों को पत्रकारों से साक्षा करते हुए कहा कि लोग अपने भविष्य के बारे उलझन की स्थिति में हैं कि वे किस ओर बढ़ें, किस पर विश्वास करें, किस पर भरोसा रखें, क्या आशा करें तथा उसमें किस तरह शामिल हों।

धर्माध्यक्ष थॉप्पिल ने कहा कि ऐसी अनिश्चितताओं तथा अंधकार के क्षणों पर ईश्वर के ज्ञान, मार्गदर्शन एवं प्रेरणा के द्वारा ही विजय पाया जा सकता है। यह हमें चौकस रहने एवं पवित्र आत्मा के प्रति विनम्र बनने के द्वारा ही मिल सकता है जो प्रार्थना का फल हैं।

उन्होंने भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन से आग्रह किया है कि वे नागा लोगों के साथ शामिल हों जिन्होंने 15 अगस्त को प्रार्थना हेतु विशेष दिन निश्चित किया है।

उन्होंने कहा कि उस दिन वे सभी नेताओं के लिए प्रार्थना करेंगे ताकि वे पवित्र आत्मा से संचालित होकर, समाज के निर्माण हेतु उचित समाधान पा सकें, संबंधों को मजबूत कर सकें एवं मेल-मिलाप कर सकें तथा माता मरियम की शक्तिशाली मध्यस्थता द्वारा सभी लोगों के बीच शांति स्थापित हो सके।

कोहिमा के धर्माध्यक्ष ने सभी हितधारकों, शांति प्रक्रिया और संवाद में शामिल लोगों के लिए प्रार्थना का निवेदन किया है ताकि वे स्थायी शांति, सामंजस्य, समृद्धि और लोगों के विकास हेतु निर्णय लेने के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से फिट हों।

पूर्वोत्तर पर्यवेक्षकों का कहना है कि 3 अगस्त 2015 को हुए ऐतिहासिक समझौते ने नागा लोगों के बीच आशा बढ़ा दी है। जैसा कि जनता को कोई पहुँच नहीं है, विभिन्न हितधारकों ने इसकी अलग तरह से व्याख्या की है।

एनएसीएन नेता तथा 'पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ नागालीम' के उपाध्यक्ष खोली ने मार्च महिने में कहा था कि दोनों दलों के हित को देखते हुए जो समझौता किया गया है उसमें नागाओं का भविष्य सुरक्षित है।

गौरतलब है कि नागालैंड भारत का तीन ख्रीस्तीय बहुल राज्यों में से एक है।

 








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