2017-08-02 16:15:00

″असीसी की क्षमा″ समारोह में कार्डिनल परोलिन का संदेश


असीसी, बुधवार 2 अगस्त 2017 (रेई) : 2 अगस्त को इटली के असीसी पोरचुंगुला में सांता मरिया देली अंजेली महागिरजाघर में ″असीसी की क्षमा″ के 800वी वर्षगांठ के समापन समारोह में ख्रीस्तयाग के मुख्य अनुष्ठाता वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पियेत्रो परोलिन थे।

समारोह के दौरान कार्डिनल पारोलिन के संत पापा फ्राँसिस द्वारा अपने विशेष दूत के रुप में भेजे जाने हेतु अपना आभार प्रकट किया।

उन्होंने कहा कि ″असीसी की क्षमा″ का अनुमोदन संत पापा होनोरियुस तृतीया ने संत फ्राँसिस असीसी के निवेदन पर 2 अगस्त सन् 1216 ई. में दी थी। ‘असीसी की क्षमा’ पर्व का अर्थ है कि यह ईश्वर द्वारा अपने पापों की क्षमा हेतु खुद फाँसिस असीसी की खोज थी जब उन्होंने अपने आप को क्षमा किया एवं ईश्वर द्वारा क्षमा किये जाने हेतु तैयार हुए तब उन्होंने एहसास किया था कि दूसरों को भी क्षमा दिया जाना चाहिए। जिसको उन्होंने सभी के लिए देने का निश्चय किया, यहाँ तक कि अपने दुशमनों के लिए भी।

कार्डिनल पारोलिन ने कहा कि क्षमा का यह संदेश जो पोरचुंगोला से निकल रही है प्रत्येक को निमंत्रण दे रही है कि हम रूक जाएँ, छोड़ा वक्त निकालें, ईश्वर की आवाज सुनें जो हमसे कह रहे हैं ″मैं तुम्हें क्षमा प्रदान करता हूँ और तुमसे प्रेम करता हूँ, तुम मेरे पास लौट आओ।″

विदित हो कि गत वर्ष 4 अगस्त को संत पापा फ्राँसिस ने भी करुणा की जयन्ती वर्ष में असीसी की व्यक्तिगत तीर्थयात्रा की थी और क्षमा की महत्ता पर विश्वासियों को अपना संदेश देते हुए कहा,″जिस क्षमा का स्रोत संत फ्राँसिस ने अपने को यहाँ पोरचुंगुला हेतु बनाया, आठ दशकों के बाद आज भी स्वर्ग को हमारे बीच लेकर आता है। करुणा के इस जयन्ती वर्ष में यह स्पष्ट रुप से झलकता है कि क्षमाशीलता सचमुच में कलीसिया और दुनिया को नया बना सकती है। दुनिया को क्षमा का साक्ष्य देने से हम अछूता न रहे। आज दुनिया को क्षमा की जरूरत है, बहुत सारे लोग हैं जो घृणा और क्रोध को अपने में वहन किये हुए हैं क्योंकि वे क्षमा करने में अपने को असमर्थ पाते हैं। वे अपना जीवन तो बर्बाद करते ही हैं अपने इर्दगिर्द रहने वालों का जीवन भी शांति और खुशी में भरने के बदले अशांत कर देते हैं। आइए हम संत फ्रांसिस से निवेदन करें कि वे हमारे लिए विनय करें जिससे हम क्षमा और करुणा का दीन मध्य बन सकें।″








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