2017-07-26 15:28:00

भारतीय ख्रीस्तीयों ने 22 जुलाई को शहीद दिवस स्थापित किया


छत्तीसगढ़, बुधवार 26 जुलाई 2017 (उकान) :  भारतीय ख्रीस्तीयों के एक समूह ने अपने विश्वास के लिए मारे गए ख्रीस्तीयों को श्रद्धांजलि देने के लिए 22 जुलाई को शहीद दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है।

शिबू थॉमस ने उत्पीड़न मुक्ति हेतु ख्रीस्तीय एकता वर्धक मंच के माध्यम से इस दिन की शुरुआत की। उस दिन भारत के विभिन्न गिरजाधरों में विशेष प्रार्थना का आयोजन किया गया था।

थोमस ने उकान्यूज से कहा कि इस दिवस को मनाना उन ख्रीस्तीयों को प्रोत्साहित करने का एक ठोस प्रयास है, जो सच्चा ख्रीस्तीय जीवन जीने के लिए अनेक चुनौतियों का सामना करते हैं और अपने विश्वास के कारण सताये जाते हैं।

उन्होंने कहा कि 22 जुलाई एक स्कूलीछात्रा के बलात्कार और हत्या की पहली वर्षगांठ पर शहीद दिवस रखा गया। छत्तीसगढ़ के एक गांव में उसे और उसके परिवार को ख्रीस्तीय धर्म में अपने विश्वास को बनाये रखने के लिए अनेक कष्टों और खतरों का सामना करना पड़ा था।

थोमस ने कहा, ″लड़की की हत्या उन्हें अपने विश्वास को त्यागने के लिए भयभीत एवं बाध्य करने और बदला लेने का अमानवीय कृत्य था। लेकिन लगातार खतरों का सामना करने के बावजूद वे अपने विश्वास में दृढ़ हैं।"

शिबू थॉमस ने कहा कि अपने (शिबू) जैसे अनेक ख्रीस्तीय नेताओं के खिलाफ सन् 2014 से हमले बढ़ गए हैं, जबसे हिंदू समर्थक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सत्ता पर आई है। कट्टरपंथी हिंदू समूह, जो भाजपा को अपने राजनीतिक दल के रूप में मानते हैं, ने भारत को केवल हिंदूओं का राष्ट्र बनाने के लिए जनादेश के रूप अपनी कार्रवाई बढ़ाने के लिए चुनाव में जीत हासिल की।

उन्होंने कहा कि "देश एक बहुत मुश्किल दौर से गुजर रहा है जहां ख्रीस्तीय धर्म के अनुसार जीवन जीना और प्रचार करना एक गंभीर चुनौती है।" उत्पीड़न मुक्ति हेतु ख्रीस्तीय एकता वर्धक मंच द्वारा एकत्र किए गए आंकड़े बताते हैं कि सिर्फ 2016 में, हिंदू कट्टरपंथियों ने ख्रीस्तीयों के 106  गिरजाघरों और प्रार्थनालयों को नष्ट कर दिया, उनमें से ज्यादातर प्रोटेस्टेंट और नव-पेन्टेकोस्टल समूहों के थे।








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