2017-07-24 16:06:00

ईश्वर कितना धैर्यवान हैं


वाटिकन सिटी, सोमवार 17 जुलाई 2017 (रेई) संत पापा फ्राँसिस ने संत पेत्रुस महागिरजा घर के प्रांगण में जमा हुए हजारों विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को रविवारीय देवदूत प्रार्थना के पूर्व  संबोधित करते हुए कहा,

प्रिय भाई और बहनो, सुप्रभात

आज के सुसमाचार में हम तीन दृष्टान्तों के बारे में सुनते हैं जिसके द्वारा येसु हमें ईश्वरीय राज्य के बारे में बतलाते हुए शिक्षा देते हैं। संत पापा ने कहा कि मैं पहले दृष्टान्त जहाँ हम अच्छे और बुरे बीज का जिक्र सुनते हैं जो दुनिया में व्याप्त बुराई और ईश्वर के धैर्य की ओर हमारा ध्यान आकृर्षित करता है पर चिंता करेंगे। ईश्वर कितना धैर्यवान हैं। उन्होंने कहा कि हम प्रत्येक अपने में यह कह सकते हैं कि ईश्वर “मेरे साथ कितना धैर्य के साथ पेश आते हैं।” यह हमारे लिए खेतों में बोये गये बीज के रुप में पेश किया गया है जो एक दूसरे के विपरीत है। संत पापा ने कहा कि बीज बोने वाले ईश्वर हैं जो हमारे जीवन में अच्छे बीजों को बोते हैं जब कि दूसरी ओर हम शैतान को पाते हैं जो हमारे जीवन में बुरे बीजों को बोता है।

समय के अनुसार गेहूँ के साथ बुरे पौधे भी बढ़ते हैं और इस सच्चाई के परिदृश्य में हम स्वामी और नौकरों की दो अगल-अलग मनोभावों को देखते हैं। नौकर बुरे पौधों को उखाड़ फेंकने की बात सोचते हैं लेकिन स्वामी पौधों की चिंता करते हुए कहते हैं, “ऐसा न हो की बुरे पौधों को उखाड़ने के क्रम में तुम अच्छे पौधों को भी उखाड़ दो।” अपने इन वचनों के द्वारा येसु हमारा ध्यान इस ओर इंगित करना चाहते हैं कि इस दुनिया में अच्छी और बुरी दोनों चीजों का मिश्रण है। बुरी चीजों को खत्म करना हमारे लिए असंभव है, केवल ईश्वर ऐसा कर सकते हैं और वे ऐसा दुनिया के अंत अंतिम न्याय के समय करेंगे। अपनी अस्पष्टता और समग्र चरित्र में वर्तमान परिस्थिति स्वतंत्र खेत के समान है, यह हम ख्रीस्तीयों की स्वतंत्रता है जहाँ हम बहुत बार अपने लिए अच्छाई और बुराई की पहचान करने में कठिनाई का अनुभव करते हैं।

ऐसी स्थिति में हमें दो बातें, ईश्वर पर घोर विश्वास और उसके विधान पर भरोसा को अंगीकृत करने की जरूरत है। संत पापा ने कहा कि निर्णय और धैर्य अपने में दो विपरीत मनोभाव लगते हैं। अपने निर्णय में हम अच्छा बीज होने की चाह रखते हैं इसके लिए हम अपनी सारी शक्ति का उपयोग करते और अपने को बुराइयों और दुनिया की मोह-माया से दूर रखने का प्रयास करते हैं। धैर्य का अर्थ कलीसिया का अंग बनाना है जो आटे में ख़मीर के समान है, जो अपने पुत्र-पुत्रियों की आलोचना करने के बजाय उनके साथ, उनके निकट रहती और अपने हाथों को गंदा करने से नहीं हिचकिचाती है।।

ईश्वर जो हमारे लिए ज्ञान और विवेक के स्रोत हैं आज हमें अपने जीवन में अच्छाई और बुराई को समझने की शांति प्रदान करें। संत पापा ने कहा, “हमारे मध्य अच्छे और बुरे दोनों तरह के लोग  हैं।” ईश्वर हमें बतलाते हैं कि अच्छाई और बुराई हमारे हृदय से हो कर गुज़रती है, हम सभी इसके अंग हैं सही अर्थ में कहा जाये तो हम सभी पापी हैं। संत पापा ने इस बात पर जोर देते हुए कहा, “हमारे बीच जो पापी नहीं है वह अपना हाथ ऊपर उठाये।” हम सब अपने में पापी हैं। येसु ख्रीस्त ने अपने क्रूस मरण और पुनरुत्थान के द्वारा हमें पापों की गुलामी से मुक्ति दिलाई है और नये जीवन में चलने की कृपा प्रदान की है। बपतिस्मा में हमने अपने पापों को स्वीकार करने की कृपा पाई है क्योंकि हम पापी हैं और हमें अपने पापों के लिए ईश्वर से क्षमा माँगने की जरूरत है। बुराई जिसे हम केवल अपने से बाहर देखते तो यह हमें अपने अन्दर की बुराई को देखने के अयोग्य बना देती है। 
येसु हमें दुनिया रूपी खेत को एक दूसरी नज़रों से देखने की शिक्षा देते हैं। वे हमें एक सच्चाई को देखने में मदद करते हैं। हम ईश्वर के साथ अपने जीवन के रहस्य को जानने और सीखने हेतु बुलाये गये हैं जिसे हम स्वयं में नहीं कर सकते हैं। हम दुनिया की चीजों को ईश्वर की नज़रों से देखने हेतु आमंत्रित किये जाते हैं। ईश्वरीय मनोभाव में इस तरह वे चीज़ें जो हमें व्यर्थ लगती हैं हम उसका अर्थ भी अपने जीवन में देख और समझ पाते हैं। इस तरह हम अपने में वास्तविक  परिवर्तन को पाते हैं। यह हमारे लिए आशा का स्वरूप है।

माता मरियम हमें उन सच्चाई को देखने और समझने में मदद करें जिन से हम घिरे हुए हैं। वे हमें शैतानी चालों को समझने में सहायता करें और उससे भी बढ़कर ईश्वर के कार्यों में हमारे विश्वास को पुख्ता बनाये जिसके द्वारा हम इतिहास का निर्माण करते हैं।

इतना कहने के बाद संत पापा ने विश्वासी और तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया और सभों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना के उपरान्त संत पापा ने विगत दिनों येरुसलेम में हो रहे हिंसा और उत्पन्न तनाव के प्रति अपनी चिंता जाहिर करते हुए विभिन्न समुदायों को एक-दूसरे से वार्ता करने की अपील की। उन्होंने सबों को येरुसलेम में मेल-मिलाप और शांति हेतु प्रार्थना करने का आहृवान किया।

इसके उपरान्त संत पापा फ्राँसिस ने सभी विभिन्न पल्लियों और समुदायों से आये तीर्थयात्रियों और विश्वासियों का अभिवादन किया विशेष रूप से आयरलैण्ड के विश्वासियों, फ्रांसिसकन समाज की धर्मबहनों, एम्मा के गायक दल, कासामासीमा के युवकों जिन्होंने रोम में स्वयं सेवा की पहल की है और ओब्रे मुंदो शिपयार्ड के युवकों का जो विश्व के विभिन्न स्थानों पर ग़रीबों के बीच सुसमाचार का साक्ष्य दे रहें हैं। अंत में संत पापा ने अपने लिए प्रार्थना का नम्र निवेदन करते हुए सभों को रविवारीय मंगलकामनाएँ अर्पित कीं।








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