2017-07-20 16:59:00

येरुसलेम अन्तर धार्मिक संबंध का केन्द्र


वाटिकन रेडियो, गुरुवार, 20 जुलाई 2017 (वीआर) नोट्रे डेम परमधर्मापीठीय केन्द्र और रोम के यूरोपीयन विश्वविद्यलय ने “येरुसलेम और एकेश्वरवादी धर्म; प्रतीक, दृष्टिकोण, वास्तविक जीवन” शीर्षक से बुधवार को एक अन्तर धार्मिक जनसभा का आयोजन किया जिसमें यहूदियों, ईसाइयों और मुसलमानों के लिए पवित्र शहर के महत्व पर विचार किये गये।  

जनसभा में ख्रीस्तीय और यहूदी अन्तरराष्ट्रीय समिति के सभापति रब्बी डेविड रोसेन ने अन्तर धार्मिक संबंध के बारे में वाटिकन रेडियो की फिलिप्पा हिचेन से वार्ता करते हुए कहा, “येरुसलेम किसी एक व्यक्ति विशेष के आलिंगन का स्थल कभी भी नहीं हो सकता है, हम वास्तव में वहाँ शांति व्यवस्था करने हेतु सफल तब होंगे जब हम एक दूसरे को समझते हुए उनका सम्मान करेंगे।”

फिलीस्तीनी और इस्रलाएली देशभक्ति और युद्ध के संदर्भ में उन्होंने कहा कि यह शहर युद्ध का शहर मात्र नहीं है, बल्कि युद्ध का एक औजार है जिसके द्वारा हम एक दूसरे की आध्यात्मिक शक्ति का उपयोग अपने लाभ हेतु करते हैं। इस पर हम विजयी तब हो सकते हैं जब हम अपने से बाहर निकलते हुए दूसरे की उपस्थिति को एक आशीष के रुप में देख सकेंगे न कि अभिश्राप के रूप में।

युद्ध विराम के संबंध में विभिन्न धर्मों के अगुवों की भूमिका के बारे में उन्होंने कहा कि संत पापा जोन पौल द्वितीय की सन् 2000 की प्रेरितिक यात्रा ने पवित्र भूमि में धार्मिक सम्मेलन हेतु समिति की स्थापित करने में मदद की है। इस समिति के तीन मुख्य उद्देश्य हैं पहला अन्य धर्मों के धार्मिक नेताओं संग वार्ता हेतु खुलापन, दूसरा किसी भी धार्मिक स्थलों पर आक्रमणों की निंदा और तीसरा युद्ध की रोकथाम हेतु राजनीतिक पहल को धार्मिक सहायता प्रदान करना जिससे दो देशों और तीन धर्मों का विकास एक स्थान पर हो सकें।

शांति व्यवस्था के संबंध में धर्मों की महत्वपूर्ण पर उन्होंने लूथरन धर्माध्यक्ष की बातों को उद्धत करते हुए कहा कि हम शांति व्यवस्था नहीं कर सकते लेकिन हमारी शांति, एक-दूसरे के सहयोग बिना स्थापित नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि शांति बहाल हेतु एक धार्मिक नेता का महत्व अहम है वह आध्यात्मिक पहचान प्रदान करता और हमें एक दूसरे से संयुक्त होने में मदद करता है।

विगत वर्षों में शांति स्थापना की असफलता के बारे में उन्होंने कहा, “मैं विश्वास करता हूँ कि हमने धार्मिक आयामों को गंभीरता से नहीं लिया है।”  अशांति की वर्तमान स्थिति के बारे में उन्होंने कहा कि हमारा यह मिलन उचित समय पर हुआ है क्योंकि यह हमें उत्तेजनशील येरुसलेम, इसका राजनीतिक दुरुपयोग और इस भ्रांति पर विचार करने हेतु प्रेरित करता है कि कैसे हम धार्मिक आयामों से अलग रहते हुए इस पर छिड़े युद्ध का समाधान निकाल सकते हैं।








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