2017-07-13 15:54:00

धर्मों में आशा की किरणें हैं


दक्षिणी सूडान, गुरुवार, 13 जुलाई 2017  (फीदेस) देश में मानवीय अधिकारों के हनन और क्रूर गृह युद्धों के कारण आजादी के छः वर्षो बाद दक्षिणी सूडान में मानवीय संकट की स्थिति पहले से भी बदतर हो गई है, उक्त बातें तंबूरा-यमबियो के धर्माध्यक्ष और सूडान काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के सभापति धर्माध्यक्ष एडवर्ड हाइबोरो कुसाला ने कही।

दक्षिणी सूडान की 6वीं स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर उन्होंने वाटिकन के फिदेस समाचार को दिये गये अपने संदेश में उन्होंने कहा, “मैं एक देशभक्त हूँ और मैं अपने में कृतज्ञता का अनुभव करता हूँ कि मैं गणतंत्र दक्षिणी सूडान का एक नागरिक हूँ। मैं ईश्वर का शुक्रिया अदा करता हूँ क्योंकि उन्होंने मुझे इस सुन्दर देश में जन्म दिया है। मैं इन छः वर्षों के दौरान दक्षिणी सूडान में हुए विकास को लेकर गौरवान्वित अनुभव करता हूँ जिसका जन्म 9 जुलाई 2011 को हुआ।”

देश के प्रति अपने समर्पण और प्रेम को भावना को प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि मैं अपने देश की एकता हेतु कार्य करने की चाह रखता हूँ। मैं अपना जीवन  देश में अनंत शांति बहाल करने हेतु अर्पित करना चाहता हूँ जिसे कुछ लोगों ने चुरा लिया है। मेरे समान बहुत से और भी हैं जो विभिन्न धर्मों से ताल्लुक़ात रखते हैं जिन्होंने आशा का परित्याग नहीं किया है। उन्होंने देश की विकट स्थिति को देखते हुए कहा कि मैं सोचता हूँ कि वर्तमान स्थिति हमारे देश का मात्र एक अस्थायी दौर है। “स्वतंत्रता और शांति हमारे लिए ईश्वर का उपहार है जिसे वे अपने बच्चों के लिए देते हैं। यह हमें एक दिन में प्राप्त नहीं होती वरन इसके लिए हमें रोज दिन मेहनत करना होता है।”   

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर उन्होंने चार मुख्य बिन्दुओं पर जोर देते हुए कहा कि देश में हिंसा व्याप्त है लेकिन अपने सुन्दर देश के प्रेम खातिर हमें अपने हथियारों का परित्याग कर युद्ध विराम करने की जरूरत है। देश में शांति बहाल करने हेतु हमें सभी स्तरों पर वार्ता करने की आवश्यकता है। तीसरा, देश में राष्ट्रीय दिवालियापन की घोषणा करना आवश्यक है और चौथा हमें एक साथ मिलकर निरंतर प्रार्थना करने की जरूरत है। “दक्षिणी सूडान के प्रिय लोगों हम सच्चे मन-दिल से प्रार्थना करें जिससे हम विभिन्न मज़हबों के अनुनायियों को प्रभावित कर सकें जो हमारे देश में खुशहाल और अर्थपूर्ण स्थापित करेगा।” 








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