2017-07-08 15:48:00

सुप्रीम कोर्ट ने 26वें सप्ताह में गर्भपात की अनुमति दी है


मुम्बई, शनिवार 8 जुलाई 2017 (एशिया न्यूज) : भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 26 सप्ताह की गर्भवती महिला के गंभीर दिल की विफलता के कारण गर्भ को खत्म करने का अनुरोध स्वीकार कर लिया है। 3 जुलाई को, न्यायाधीश दीपक मिश्रा और ए एम खानविलर ने "गहरे मनोवैज्ञानिक क्षति" की संभावना को देखते हुए यह निर्णय लिया कि कलकत्ता निवासी 33 वर्षीय महिला गर्भपात करा सकती है।

परिवार के लिए गठित भारतीय धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष एवं मुम्बई महाधर्मप्रांत के सहायक धर्माध्यक्ष सावियो फेर्नांडीस ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर टिप्पणी करते हुए, एशिया न्यूज से कहा,″ काथलिक कलीसिया मानव जीवन को शुरुआत से अंत तक पवित्र मानती है। कोई भी परिस्थिति में कोई भी निर्दोष इंसान को नष्ट करने का अधिकार नहीं दे सकता है।"

इस फैसले ने गड़बड़ी को उकसाया है। सन् 1971 के मेडिकल टर्मिनेशन के गर्भावस्था अधिनियम अनुसार, भारत में 20 सप्ताह तक गर्भावस्था में गर्भपात की अनुमति है। इस अवधि में गर्भपात की अनुमति दी जा सकती है अगर गर्भावस्था में मां और भ्रूण को गंभीर खतरा हो।

धर्माध्यक्ष फेर्नांडीस जो परिवार और मानव जीवन हेतु बने धर्मप्रांतीय आयोग के अध्यक्ष भी हैं, ने कहा, "काथलिक कलीसिया की शिक्षा के अनुसार गर्भपात एक गंभीर बुराई है, क्योंकि यह एक असहाय और निर्दोष इंसान की हत्या है"। ईश्वर ही जीवन के मालिक हैं, उन्होंने अपनी छवि और समानता में मनुष्यों को बनाया है इसलिए, गर्भाधान से लेकर सामान्य मृत्यु तक मानव जीवन का सम्मान और सुरक्षा होना चाहिए।

धर्माध्यक्ष फर्नांडीस का तर्क है कि "दुर्भाग्यवश, गर्भ के बच्चे, बीमार और बुजुर्ग, जरूरतमंद और विकलांग लोगों के जीवन को 'उपयोगिता' के नजरिये से देखा जाता है। यदि वे उपयोगी नहीं हैं या दूसरों के लिए भार  बन जाते हैं तो उन्हें खत्म करने की कोशिश की जाती है। उन्होंने कहा कि जीवन देने और लेने वाले तो सिर्फ ईश्वर हैं अतः युवा या बूढ़े, मानसिक या शारीरिक रूप से अक्षम, स्वस्थ या बीमार हर इंसान का आदर और सम्मान किया जाना चाहिए। भारत में कलीसिया, जीवन की संस्कृति का एक प्रबल रक्षक है और वृद्धाश्रमों तथा अनाथालयों के माध्यम से बच्चों, परिवारों से परित्यक्त वृद्धों की प्यार से सेवा करती है। संत मदर तेरेसा की चारिटी धर्मबहनों के कई वृद्धाश्रम तथा अनाथालय केंद्र हैं जहाँ वे खुशी से उनकी देखभाल करती हैं।"








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