2017-06-29 15:58:00

संत पेत्रुस एवं संत पौलुस के महापर्व पर देवदूत प्रार्थना


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 29 जून 2017 (रेई): संत पापा फ्राँसिस ने कलीसिया के संरक्षक संत पेत्रुस एवं संत पौलुस की शहादत दिवस 29 जून को, संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर इन महाप्रेरितों को कलीसिया का स्तम्भ कहा, जिसपर दृश्यमान कलीसिया खड़ी है।

उन्होंने कहा, ″प्राचीन ख्रीस्तीय समुदाय की सेवा एवं ख्रीस्त का साक्ष्य प्रस्तुत करने हेतु दोनों प्रेरितों पर खून की मुहर लगी है।″  

संत पापा ने प्रेरित चरित से लिए गये पाठ पर चिंतन करते हुए संत पेत्रुस के बारे कहा कि उन्होंने चमत्कारिक ढंग से येरूसालेम एवं रोम में ख्रीस्तीय समुदाय के बीच अपनी प्रेरिताई पूरी की। उसी तरह संत पौलुस ने भी पुनर्जीवित प्रभु द्वारा मुक्त किये जाने के बाद गैरख्रीस्तीयों के कई शहरों में ख्रीस्त का प्रचार किया जिसके लिए उन्हें अत्याचार भी सहना पड़ा।

संत पापा ने कहा कि पेत्रुस एवं पौलुस दोनों ने प्रेरितों के एक ही रास्ते को प्रकट किया जो येसु द्वारा कठिन परिस्थितियों के बावजूद सुसमाचार प्रचार हेतु भेजे गये थे। अपने व्यक्तिगत एवं सामुदायिक साक्ष्य द्वारा वे आज भी हमें इस बात को प्रकट करते हैं कि प्रभु सदा हमारे साथ चलते हैं खासकर, कठिनाई के समय में।

उन्होंने स्मरण दिलाया कि पाप एवं बुराई ही हमारे सबसे बड़े शत्रु हैं जो हमें प्रभु से दूर कर देते हैं। जब हम मेल-मिलाप संस्कार में येसु ख्रीस्त के साथ पुनः संबंध स्थापित करते हैं तब हम बुराई के बंधन से मुक्त होते हैं। इस प्रकार हम सुसमाचार प्रचार करने एवं साक्ष्य देने की अपनी यात्रा में आनन्द पूर्वक आगे बढ़ सकते हैं। 

संत पापा ने माता मरियम की मध्यस्थता द्वारा प्रार्थना की कि प्रभु की कृपा सभी विश्वासियों पर हो ताकि वे भाईचारा एवं सामंजस्य के साथ जी सकें, ख्रीस्तीय विश्वास को प्रकट कर सकें जिसका साक्ष्य प्रेरित संत पेत्रुस एवं संत पौलुस ने दिया है।

संत पापा ने देवदूत प्रार्थना के उपरांत ऑर्थोडॉक्स कलीसिया के प्रतिनिधियों का स्वागत किया। उन्होंने 5 नये कार्डिनलों को शुभकामनाएँ दीं जिन्होंने बुधवार को नये कार्डिनल के रूप में लाल टोपी प्राप्त की है।

संत पापा ने देश-विदेश के सभी पयर्टकों एवं तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया, विशेषकर, रोम के लोगों को जो इस त्योहार के दिन परम्परा के अनुसार फूल द्वारा कलात्मक ढंग से सजाते हैं तथा पटाखों का प्रदर्शन करते हैं।

उन्होंने सभी को शांति की शुभकामनाएँ दीं तथा संत पेत्रुस एवं पौलुस के समान ख्रीस्तीय विश्वास का साक्ष्य देने हेतु प्रेरित किया।








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