2017-06-27 15:47:00

संत पापा द्वारा कॉन्सटेनटीनोपल प्राधिधर्माध्यक्ष के प्रतिनिधियों का स्वागत


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 27 जून 2017 (रेई): संत पापा फ्राँसिस ने मंगलवार 27 जून को रोम कलीसिया के संरक्षक सन्त पेत्रुस एवं पौलुस के महापर्व के उपलक्ष्य में रोम आये कॉन्सटेनटीनोपल के प्राधिधर्माध्यक्ष बारथोलोम प्रथम के प्रतिनिधियों का स्वागत किया।

संत पापा ने वाटिकन में उनका स्वागत करते हुए कहा, ″मैं आप का हार्दिक स्वागत करते हुए धन्यवाद देता हूँ कि रोम की कलीसिया के संरक्षक संत पेत्रुस एवं संत पौलुस का महापर्व मनाने हेतु आप यहाँ आये हैं। मैं कॉन्सटेनटीनोपल के प्राधिधर्माध्यक्ष बारथोलोम प्रथम को सहृदय धन्यवाद देता हूँ कि उन्होंने हमारे आनन्द में सहभागी होने के लिए आपको अपने प्रतिनिधि के रूप में यहाँ भेजा है।″

संत पापा ने संत पेत्रुस एवं संत पौलुस के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे येसु के शिष्य थे जिन्होंने अलग-अलग तरह से प्रभु की सेवा की। अपनी विविधताओं के बावजूद उन्होंने करुणावान पिता के प्रेम का साक्ष्य दिया, यहाँ तक कि उसके लिए उन्होंने अपने जीवन का बलिदान भी किया। यही कारण है कि प्राचीन काल से पूर्वी एवं पश्चिमी कलीसियाएँ एक साथ संत पेत्रुस एवं संत पौलुस के शहादत की यादगारी मनाते हैं। प्रभु के प्रेम के लिए उनके बलिदान को एक साथ मनाना बिलकुल सही है क्योंकि यही उपयुक्त समय है जब हम एकता एवं विविधता की याद करते हैं।

संत पापा ने कहा कि रोम की कलीसिया एवं कुस्तुनतुनिया की कलीसिया जब अपने संरक्षक संतों के पर्व पर, एक-दूसरे के प्रतिनिधियों का आदान-प्रदान करते हैं। यह काथलिक एवं ऑर्थोडॉक्स कलीसिया की एकता की चाह को बढ़ाता है जिसका रसास्वादन हमने प्रार्थना एवं सुसमाचार की उपासना में किया है। पहली सहस्राब्दी में पूर्वी एवं पश्चिमी कलीसियाओं ने यूखरिस्त की मेज पर एक साथ समारोह मनाया था तथा विश्वास की एक ही सच्चाई की रक्षा की थी।

संत पापा ने याद किया कि यह वर्ष धन्य संत पापा पौल षष्ठम की फनार यात्रा एवं प्राधिधर्माध्यक्ष अथनागोरस की रोम यात्रा की 50वीँ वर्षगाँठ है। इन साहसी चरवाहों का उदाहरण ख्रीस्त एवं उनकी कलीसिया के प्रति प्रेम से प्रेरित था। जो हमें पूर्ण एकता की राह पर आगे बढ़ने हेतु प्रेरित करता है। संत पापा ने प्राधिधर्माध्यक्ष बरथोलोमियो प्रथम के साथ काहिरा में हुए मुलाकात की याद कर अपनी कृतज्ञता व्यक्त की तथा ग्रीस में आगामी मुलाकात के प्रति उत्सुकता जाहिर की। उन्होंने आशा व्यक्त की कि आगामी सभा आध्यात्मिक माहौल में होगी तथा प्रभु की इच्छा पर ध्यान केंद्रित करते हुए काथलिक एवं ऑर्थोडॉक्स कलीसिया द्वारा एक साथ यात्रा में आगे बढ़ सकेंगे।








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