रोम, मंगलवार, 20 जून 2017 (रेई): संत पापा फ्राँसिस ने 19 जून को रोम के संत जोन लातेरन महागिरजाघर में रोम धर्मप्रांत के वार्षिक प्रेरितिक सम्मेलन का उद्घाटन किया।
उन्होंने सभा को सम्बोधित करते हुए किशोर बालक-बालिकाओं की शिक्षा पर चिंतन किया। उन्होंने कहा, ″इस धर्मप्रांतीय सम्मेलन की शुरूआत करने के अवसर के लिए धन्यवाद। जिसमें आप परिवारों के जीवन के महत्वपूर्ण विषयों पर विचार-विमर्श करेंगे तथा किशोर बालक-बालिकाओं की शिक्षा में माता-पिता के सहयोग पर चिंतन करेंगे।
उन्होंने कहा, ″इन दिनों आप कई प्रमुख विषयों पर विचार करेंगे, जो हमारे परिवारों से जुड़े होते हैं जैसे, घर, स्कूल, सामाजिक नेटवर्क, अंतरपीढ़ी संबंध, जीवन की असुरक्षा और पारिवारिक अलगाव आदि।
संत पापा ने सम्मेलन में कुछ मान्यताओं को रेखांकित किया जो उन्हें इन विषयों पर चिंतन करने में मदद देगा। उन्होंने कहा, ″बहुधा हम एहसास नहीं कर पाते हैं कि भावनाएँ भी साधन के बराबर महत्वपूर्ण होते हैं।″
संत पापा ने कहा हम अकसर भावात्मक चीजों पर चिंतन नहीं करते। समस्याओं, परिस्थितियों एवं किशोरों पर विचार नहीं करते हैं, इस प्रकार बिना विचार किये ही नामरूपवाद में पड़ते हैं। हम सब कुछ को अपनाना चाहते किन्तु कुछ हासिल नहीं कर पाते हैं।
संत पापा ने उन्हें रोम जैसे बड़े शहरों की पृष्ठभूमि पर परिवारों के बारे चिंतन करने की सलाह दी जहाँ धन, अवसर, विविधता और कई चुनौतियाँ हैं। उन्होंने कहा कि वे अपने में बंद होकर दूसरों को अनदेखा करने के प्रलोभन से बचें तथा चिंतन एवं प्रार्थना करें।
संत पापा ने कहा कि पारिवारिक जीवन एवं युवाओं की शिक्षा के लिए विशेष ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है क्योंकि छोटे शहरों के परिवारों की स्थिति इससे भिन्न होती है।
संत पापा ने आधुनिक युग के ‘उजड़े’ जाने के अनुभव पर प्रकाश किया। उन्होंने कहा, ″एक उजड़ा समाज या उजड़ा परिवार बिना इतिहास, बिना स्मृति और बिना मूल का होता है अतः सबसे पहले हमें यह सोचना होगा कि उसे किस तरह जड़ प्रदान किया जाए, संबंध जोड़ा जाए तथा किस तरह से सम्पर्क में लाया जाए ताकि अपनापन के एहसास से बचाया जा सके।
संत पापा ने रोम के गड़ेरियों को सलाह दी कि वे विकृति विज्ञान की औषधि के रूप में किशोरों के साथ व्यवहार न करें। उन्होंने कहा कि यह बढ़ने का सामान्य रास्ता है क्योंकि जहाँ जीवन है वहाँ सक्रियता है और बदलाव भी।
संत पापा ने कहा कि माता पिताओं को अवसर दिया गया है कि उनके माध्यम से युवा अपनी क्षमताओं में परिपक्वता प्राप्त कर सकें।
उन्होंने कहा कि जब प्रौढ़ व्यक्ति युवावस्था में बने रहना चाहते हैं तथा युवा प्रौढ़ बनना चाहते हैं तब यहाँ एक जोखिम छिपी है जिसमें किशोर अपने आप बढने हेतु मजबूर होते हैं क्योंकि माता पिता उनका स्थान ले लेते है।
संत पापा ने कहा कि किशोरों को वयस्कता में वृद्धि पर रूकावट के कारण टकराव की स्थिति आ जाती है।
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