2017-06-19 13:56:00

यूखरिस्त हमें स्मरण दिलाती है कि हम विषम परिस्थिति में भी अकेले नहीं हैं


वाटिकन सिटी, सोमवार, 19 जून 2017 (रेई): संत पापा फ्राँसिस ने रविवार 18 जून को, येसु के पवित्र बदन एवं लोहू महापर्व के उपलक्ष्य में रोम स्थित लातेरन महागिरजाघर के प्राँगण में समारोही ख्रीस्तयाग अर्पित किया।

उन्होंने प्रवचन में कहा, ″कोरपुस ख्रीस्तीय महापर्व में, यादगारी को दुहराया जाता है। मूसा ने लोगों से कहा, ″याद रखो कि उन्होंने तुम लोगों को मिस्र देश से दासता के घर से निकाल लिया। उस प्रभु को मत भूल जाओ जिन्होंने तुम लोगों को मरुभूमि में मन्ना खिलाया।"(विधि. 8: 14,16), येसु हमें कहते हैं ″यह मेरी स्मृति में किया करो।″  (1 कोरि. 11:24) संत पौलुस कहते हैं कि यह जीवन्त रोटी है जो स्वर्ग से उतरी है (यो. 6.51) यह यादगारी का संस्कार है जो हमें स्मरण दिलाता है कि यह सच्चा है, हमारे प्रति ईश्वर के सच्चे प्रेम की कहानी।

संत पापा ने कहा कि आज का दिव्य वचन हम प्रत्येक को बतला रहा है कि प्रभु के कार्यों का स्मरण कर मरुस्थल में लोगों को चलने का बल प्राप्त हुआ। हमारा मुक्ति इतिहास भी उनके कार्यों की याद करने पर आधारित है। विश्वास के लिए याद करना आवश्यक है, उसी तरह जिस तरह एक पौधा के लिए पानी की। एक पौधा पानी के बिना कैसे जीवित रह सकता और फल दे सकता है?  उसी तरह यदि उनके कार्यों को याद न किया जाए तो किस तरह प्रभु येसु को याद किया जा सकेगा।

याद करना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें उनके प्रति प्रेम में सुदृढ़ करता, उन्हें हमारे हृदय में लाता तथा उन्हें भूलने नहीं देता जो हमें प्रेम करते और जिन्हें हम प्रेम करने के लिए बुलाये गये हैं। ईश्वर ने हमें यह अद्वितीय क्षमता प्रदान की है जो आज कमजोर हो रही है। पुरानी यादों को बनाये नहीं रखने के कारण हम सतह में जीते हैं।

संत पापा ने कहा कि इसके विपरीत आज का समारोह हमें स्मरण दिलाता है कि जीवन के विखरेपन में प्रभु हमसे सस्नेह मुलाकात करते हैं और यह मुलाकात है यूखरिस्त संस्कार। जीवन की रोटी के माध्यम से येसु हमसे मुलाकात करने आते हैं। वे अपने को हमारा आहार बनाते हैं जो हमारी उन्माद की बीमारी से चंगाई प्रदान करते हैं क्योंकि यूखरिस्त ईश्वर के प्रेम की यादगारी है। इसके माध्यम से हम येसु के दुखभोग की याद करते हैं, हमारे प्रति ईश्वर के प्रेम की, वहीं हमारा बल है हमारे चलने का सहारा। यही कारण है कि यूखरिस्त की याद करना अच्छा है। यह निरर्थक, ठंडी और काल्पनिक याद नहीं है किन्तु सजीव एवं सुखद है।

यूखरिस्त में येसु के वचन एवं कार्यों का स्वाद है, पास्का का एहसास, पवित्र आत्मा की सुगंध। इसे ग्रहण करने के द्वारा हमारे हृदय में ईश्वर के प्रेम की मुहर लग जाती है। इस दरमियान संत पापा ने प्रथम परम प्रसाद ग्रहण करने वाले बच्चों की याद की।

संत पापा ने कहा कि यूखरिस्त हममें कृपापूर्ण यादों का निर्माण करता है क्योंकि हम पिता द्वारा प्रेम किये हुए एवं पोषित किये गये बच्चों को पहचानते हैं। यह एक मुक्त यादगारी है क्योंकि येसु का प्रेम, उनकी क्षमाशीलता हमारे पुराने घांवों को भर देती और पीड़ितों की स्मृति को शांत कर देती है क्योंकि ख्रीस्त की आत्मा हममें निवास करती है। यूखरिस्त हमें प्रेरित करती है कि हम बिलकुल विषम परिस्थिति में भी अकेले नहीं हैं प्रभु हमें नहीं भूलते और जब कभी हम उनके पास जाते हैं उनके प्रेम में विश्राम प्राप्त करते हैं।

यूखरिस्त हमें स्मरण दिलाता है कि हम अकेले नहीं किन्तु एक समूह हैं जैसा कि मरूभूमि में लोगों ने मन्ना उठाया था तथा परिवारों में विभाजित किया था। (निर. 16)

उसी तरह स्वर्ग की रोटी येसु हमें इसे ग्रहण करने का निमंत्रण देते हैं। इसे एक साथ ग्रहण करने एवं आपस में बांटने के लिए। यूखरिस्त संस्कार केवल मेरे लिए नहीं हो सकता किन्तु यह बहुतों को है जो एक शरीर का निर्माण करते हैं। जो ईश प्रजा है। संत पौलुस हमें स्मरण दिलाते हैं कि ″रोटी तो एक ही है इसलिए अनेक होने पर भी हम एक हैं क्योंकि हम एक ही रोटी के सहभागी हैं। "(1 कोरि. 10:17).

यूखरिस्त एकता का संस्कार है। जो इसे ग्रहण करते हैं वे एकता के निर्माता बनते हैं क्योंकि एकता की सृष्टि उनके अंदर है। जो उन्हें निस्वार्थ भाव से प्रेम करने हेतु प्रेरित करता है।

संत पापा ने प्रभु को धन्यवाद दिया जिन्होंने हमें यूखरिस्त का महान वरदान प्रदान किया है जो उनके प्रेम की जीवित स्मृति है जो एक शरीर का निर्माण करता एवं सभी को एकता की राह पर ले चलता है।

 








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