2017-06-09 11:28:00

गुजरात पाठ्यपुस्तक में येसु मसीह का अपमान


अहमदाबाद, शुक्रवार, 9 जून 2017 (ऊका समाचार): गुजरात राज्य की स्टेट स्कूल टेक्सबुक बोर्ड (जीएसएसटीबी) द्वारा प्रकाशित नवीं कक्षा की हिन्दी पाठ्यपुस्तक में येसु मसीह को एक 'दानव' रूप में प्रस्तुत कर ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों का अपमान किया गया है।

गुजरात के शिक्षा मंत्री ने कहा है कि इस त्रुटि को जल्द ठीक किया जाएगा, जबकि जीएसएसटीबी के अध्यक्ष ने कहा है कि ग़लती मुद्रण में त्रुटि के कारण हुई थी।

नवीं कक्षा की हिन्दी पाठ्यपुस्तक के 16 वें अध्याय में "भारतीय संस्कृति में गुरु-शिष्य सम्बन्ध" शीर्षक के अन्तर्गत छपे पाठ में येसु मसीह के सन्दर्भ में जो पंक्ति लिखी है वह है, "इस सम्बन्ध में हैवान ईसा का एक कथन सदा स्मरणीय है"।

ग़लती की ओर ध्यान आकर्षित करानेवाले वकील सुब्रह्मण्यम अय्यर कहते हैं कि त्रुटि आईपीसी की धारा 295 (ए) को आकर्षित करती है, जो किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को अपमानित करने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्यों से संबंधित है। 

अय्यर ने कहा कि त्रुटि अनजाने में हो सकती है, लेकिन यह समुदायों के बीच एक दरार पैदा कर सकती है और साथ ही कानून एवं व्यवस्था की समस्या पैदा कर सकती है। उन्होंने कहा, "ऐसी ग़लती बिलकुल अस्वीकार्य है जिसे तुरंत हटा दिया जाना चाहिए।"

न्यूज़ 18 के अनुसार, राज्य शिक्षा मंत्री भूपेंद्र सिंह चुडासमा ने कहा है कि वह इस त्रुटि से अवगत हैं और इसे सही किया जायेगा। इस बीच, जीएसएसटीबी के अध्यक्ष नितिन पेठानी ने इसे एक  टाइपोग्राफिक त्रुटि बताकर सफ़ाई दी है कि येसु मसीह के एक शिष्य "हैवा" शब्द  के साथ मिसप्रिंट के कारण "न" अक्षर अनजाने में जुड़ गया है।

तीन जून को वकील अय्यर द्वारा एक सोशल मीडिया साइट पर विवादास्पद अध्याय की एक तस्वीर पोस्ट करने के बाद से गुजरात के ख्रीस्तीय समुदाय का क्रोध भड़क उठा है जिसने पाठछ्य पुस्तक को वापस लेने की मांग की है।

पाठ्य पुस्तक की त्रुटि पर डीएनए समाचार से बातचीत कर गुजरात में मानवाधिकार कार्यकर्त्ता फादर सेडरिक प्रकाश ने कहा "तथ्य यह है कि येसु को एक स्कूल की पाठ्यपुस्तक में अपमानित किया गया है और यह उन लोगों के बारे में बहुत कुछ बताता है जिन्हें बच्चों के मनो-मस्तिष्क, उनके चरित्र और उनके भविष्य को आकार देने की जिम्मेदारी दी गई है।"

त्रुटि को फादर प्रकाश ने फासीवादी विचारधाराओं को आगे बढ़ाने वालों के विषैले एजेंडे का अंग निरूपित कर "पाठ्यपुस्तक की तुरंत वापसी" की मांग की और कहा कि ज़िम्मेदार लोगों पर मुकदमा चलाया जाना चाहिये। उन्होंने सरकार का भी आह्वान किया कि वह इसके लिये ईसाई समुदाय से सार्वजनिक तौर पर माफ़ी मांगे। 








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