2017-06-06 16:09:00

करुणा के कार्य का अर्थ दूसरों का दुःख बांटना


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 6 जून 2017 (वीआर सेदोक): करुणा के कार्य का अर्थ केवल यह नहीं है कि हमारे अंतःकरण को शीतलता प्रदान करने हेतु सिक्के दान करना बल्कि दूसरों के दुःखों को बांटना है। यह बात संत पापा फ्राँसिस ने सोमवार को वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में कही।

टोबीत के ग्रंथ से लिए गये पाठ पर चिंतन करते हुए संत पापा ने स्मरण दिलाया कि टोबीत ने अपने यहूदी रिश्तेदार की मृत्यु पर शोक मनाया तथा उसके शव को सूर्यास्त के बाद दफनाने हेतु लेकर आया था।

संत पापा ने प्रवचन में दया के आध्यात्मिक एवं भौतिक कार्यों को प्रस्तुत किया तथा कहा कि उन्हें अच्छी तरह पूरा करने का अर्थ न केवल हमारे पास जो है उसमें से दान करना किन्तु दूसरों के दुःखों को बांटना भी है।

उन्होंने कहा, ″हम अपने अंतःकरण को सुकून देने अथवा संतोष का अनुभव करने के लिए दया के कार्य नहीं करते बल्कि एक दयालु व्यक्ति वह है जो दूसरों पर सहानुभूति रखता एवं उनके दुखों को बांटता है। हमें अपने आप से पूछना चाहिए, क्या मैं उदार हूँ? क्या मैं दूसरों के साथ सहानुभूति रखना जानता हूँ? क्या मैं दूसरों की समस्याओं को देखकर दुःखी होता हूँ?

संत पापा ने पाठ पर गौर किया कि यहूदी उस समय असीरिया में निर्वासित थे तथा उन्हें यहूदी रीति से दफन हेतु अनुमति नहीं थी जबकि टोबीत ने मार डाले जाने की जोखिम उठाते हुए दफन क्रिया पूरा किया था। संत पापा ने कहा कि हमें भी उसी तरह दया के कार्यों में जोखिम उठाने से नहीं कतराना चाहिए।

संत पापा ने याद किया कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, रोम में संत पापा पीयुस 12वें तथा कई अन्य लोगों ने अपनी जान जोखिम में डालकर यहूदियों को निर्वासन एवं मृत्यु से बचाया था।

संत पापा ने कहा कि जो लोग दया के कार्य करते हैं उन्हें जोखिम उठाना पड़ता है, उन्हें दूसरों के उपहास का सामना करना पड़ सकता है ठीक उसी तरह जिस तरह टोबीत को अपने पड़ोसियों के उपहास का सामना करना पड़ा था।

दया के कार्य करने का अर्थ असुविधा को सहर्ष स्वीकार करना भी है। येसु ने भी दया दिखाने हेतु क्रूस के रास्ते पर हर प्रकार की असुविधाओं को पूरे मन से स्वीकार किया।

संत पापा ने कहा कि हम दूसरों के लिए दया के कार्य इसलिए करते हैं क्योंकि हम जानते हैं कि हम प्रभु के द्वारा दया किये गये हैं। हम अपनी गलतियों एवं पापों की याद करें तथा यह भी न भूलें कि प्रभु ने हमें उन सभी से माफ कर दिया है अतः हम भी अपने भाई-बहनों से वैसा ही करें। दया के कार्य हमें अहम की भावना से दूर रखता है और येसु का अनुसरण अधिक करीबी से करने में मदद देता है। 








All the contents on this site are copyrighted ©.