2017-05-27 16:25:00

संत पापा शांति एवं आशा के तीर्थयात्री बनकर जेनोवा गये


वाटिकन सिटी, शनिवार, 27 मई 2017 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस शनिवार 27 मई को इटली के जेनोवा महाधर्मप्रांत की प्रेरितिक यात्रा हेतु रोम समयानुसार प्रातः7.30 बजे चम्पिनो हवाई अड्डा से जेनोवा प्रस्थान किये।

जेनोवा इटली का एक ऐसा शहर है जो समुद्र के किनारे बसा है तथा वहाँ विशाल बंदरगाह है। यह सदियों से समुद्री व्यापार के लिए जाना जाता है। 

बंदरगाह का विशाल प्रकाशस्तंभ आज संत पापा के आगमन पर ख्रीस्त के प्रकाश एवं विश्वास से जगमगाता प्रतीत हो रहा था। संत पापा साढ़े आठ बजे जेनोवा पहुँचे जहाँ जेनोवा के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल अंजेलो बनास्को, लिगुरिया प्रांत के अध्यक्ष ओ. जोवान्नी तोली तथा जेनोवा के प्रचार्य डॉ. पौलो सिरिगु ने उनका स्वागत किया।

अपनी मुलाकात की शुरूआत करते हुए संत पापा मजदूर जगत से भेंट करने हेतु इल्वा प्लांट गये। वहाँ उन्होंने श्रमिक, बेरोजगार उद्यमी और एक ट्रेड यूनियन के प्रतिनिधियों से मुलाकात की तथा उनके सवालों का उत्तर दिया।

मजदूर जगत से मुलाकात के अलावा संत पापा जेनोवा के महागिरजाघर में लिगुरिया के धर्माध्यक्षों, पुरोहितों धर्मसमाजियों, लोकधर्मियों एवं अन्य ख्रीस्तीय समुदायों के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की। अंत में उन्होंने जेनोवा के विश्वासियों के साथ ख्रीस्तयाग अर्पित किया।

संत पापा ने यात्रा के पूर्व जेनोवा वासियों को दिये अपने संदेश में कहा था, ″जेनोवा की प्रिय जनता, ‘मैं शांति एवं आशा के एक तीर्थयात्री के रूप में आपसे मुलाकात करने आ रहा हूँ। मैं जानता हूँ कि जेनोवा एक उदार शहर है जो भूख, गरीबी तथा युद्ध से भागे, लोगों का स्वागत करता, न कि उनके लिए दरवाजों को बंद करता है। मैं 1 फरवरी 1929 की घटना को नहीं भूल सकता जब जुलियस सिजर, मेरे दादा-दादी जोन और रोस तथा पिता मारियो जहाज पर चढ़े थे।″

विदित हो कि संत पापा मूल रूप से इटली के निवासी हैं उनके दादा-दादी एवं पिता ने इटली छोड़ लातिनी अमरीका की ओर प्रस्थान किया था।

संत पापा ने अपने को विस्थापितों के पुत्र मानते हुए जेनोवा को उनके मदद हेतु कृतज्ञता अर्पित की तथा कहा कि यह न केवल एक सामान्य शहर है किन्तु यह लोगों के साथ घुल मिल सकता एवं उनके साथ एकात्मता का भाव रख सकता है।  








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