2017-05-27 16:24:00

संत पापा ने जेनेवा में कलीसिया के अगुवों से मुलाकात की


जेनेवा, शनिवार 27 मई 2017 (सेदोक) संत पापा फ्राँसिस ने जेनेवा की अपनी एकदिवसीय यात्रा के दौरान लीगुरिया के गिरजा घर में लीगुरिया के धर्माध्यक्ष, याजकों, धर्मबन्धुओं, गुरुकुल के विद्यार्थियों और लोक धर्मियों से मुलाकात करते हुए उनके सवालों का उत्तर दिया।

संत पापा ने वर्तमान परिवेश में अध्यात्मिक जीवन जीने की चुनौती का उत्तर देते हुए कहा, “हम येसु के जीवन का अनुसरण करते हैं और यह हमारे लिए मुख्य मापदण्ड है। वे लोगों के साथ उनके बीच में चलते हैं जैसा कि सुसमाचार हमें बतलाता है। हमें येसु को अपने आंखों से देखने की जरूरत है वे लोगों के जीवन में सहभागी होते और उनके तकलीफों का अंग बनते हैं और शाम को वे गुप्त रुप में अपने पिता से प्रार्थना करते हैं। गलियों में लोगों के साथ और प्रार्थना, ये दो चीजें हमें येसु के जीवन का अनुसरण करने में मदद करती हैं।    

संत पापा ने कहा कि येसु सदैव अपने जीवन में आगे बढ़ते हैं। सुसमाचार में हम दो बातों को मुख्य रुप से पाते हैं “येसु का अपने पिता और लोगों से मिलना।” वे मुख्य रुप से उन लोगों के मिलते हैं जिन्हें उनकी जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमें भी अपने जीवन में जरूरतमंद लोगों से मिलने की आवश्यकता है। जब हम प्रार्थना में ईश्वर से मिलते हैं तो हमें उनको अपनी ओर देखने का समय देना चाहिए। हमें शांत भाव ने उनके वचनों के सुनने का प्रयास करना चाहिए। उसी तरह जब हम लोगों से अपने जीवन में मिलते हैं तो हमारे मनोभाव भी वैसा ही होने चाहिए। उन्होंने कहा कि लोगों से मिलना हमारे लिए क्रूस ढोने के समान है।

संत पापा ने कहा कि राह में एक चीज जो हमारे लिए उचित नहीं है और वह है पुरोहितों के द्वारा अपनी वाहवाही लूटना, अपने कार्यों का बखान करना। उन्होंने कहा कि येसु अपने में इस बात से भली-भांति वाकिफ थे कि उनका जीवन अपने लिए नहीं वरन अन्यों के लिए था। उन्होंने अपने को पूरी तरह से लोगों के लिए दे दिया। उन्होंने प्रार्थना के माध्यम से अपना जीवन पिता के लिए अर्पित किया और इस तरह उन्होंने पिता प्रदत्त अपने प्रेरितिक कार्य को पूरा किया। 








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