2017-05-27 16:34:00

प्रार्थना हमारे जीवन का प्रेरितिक कार्य


जेनेवा, शनिवार, 27 मई 2017 (सेदोक) संत पापा फ्राँसिस ने जेनेवा की अपनी एकदिवसीय यात्रा के दौरान पियाजेल कैनेडी में प्रभु के स्वर्गारोहण का मिस्सा बलिदान अर्पित किया।

संत पापा ने कहा कि येसु हमें कहते हैं कि उन्हें स्वर्ग और पृथ्वी पर पूरा अधिकार मिला है। यह शक्ति हमें स्वर्ग और पृथ्वी से जोड़ती है। आज जब हम येसु के स्वर्गारोहण के रहस्य का त्योहार मानते हैं तो हम अपने शरीर को स्वर्ग में आरोहित पाते हैं। हमारी मानवता ईश्वर के साथ सदैव संयुक्त है। उन्होंने कहा कि हमारा विश्वास है कि ईश्वर अपने को मनुष्य से कभी तटस्थ नहीं रखते हैं। यह हमारे लिए सांत्वना का विषय है कि येसु ख्रीस्त ने हम सभों के लिए एक स्थान तैयार किया है जो इस पृथ्वी पर हमें आनंद पूर्व जीवन जीने हेतु प्रेरित करता है।

संत पापा ने कहा कि येसु के स्वर्ग चले जाने से उनकी शक्ति समाप्त नहीं होती वरन यह सदैव हमारे लिए बनी रहती है। वास्तव में येसु अपने पिता के पास जाने के पहले हमें कहते हैं, “मैं दुनिया के अंत तक सदैव तुम्हारे साथ हूँ।” (मत्ती.28. 20) येसु सचमुच में हमारे लिए और हमारे  साथ रहते हैं। वे सदैव अपने पिता से हमारे लिए हर दिन, हर वक्त निवेदन करते हैं। वे हमारे लिए “वकील” के समान हैं। जब कभी हमें किसी विशेष चीज की जरूरत होती है हम उनके पास आते और उन से विनय करते हैं यह कहते हुए,“प्रभु येसु मेरे लिए विनय कीजिए...” तो वे हमारी विनय को अपने पिता के पास ले चलते हैं।

प्रार्थना करने की इस विशेष शक्ति को उन्होंने हमें, कलीसिया के लिए भी दिया है जिसके द्वारा हम सबों के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं। संत पापा ने कहा कि क्या हम एक कलीसिया के रुप में अपनी इस शक्ति का उपयोग करते हैंॽ विश्व को इसकी जरूरत है। हमें इसकी आवश्यकता है। हम प्रतिदिन अपने जीवन में कड़ी मेहनत करते और दिन के अंत में अपने को थका हारा पाते हैं। अपने जीवन में विभिन्न चीजों में व्यस्त हम अपने को अपने आप तक ही सीमित कर लेते हैं और अपने इर्द-गिर्द हो रही घटनाओं के प्रति तटस्थ हो जाते हैं। संत पापा ने कहा कि अपने जीवन में ऐसे दौर से बचे रहने हेतु हमें अपने को ईश्वर के हाथों में सौंपने की जरूरत है। हम उनके पास अपने बोझ, लोगों को और अपनी परिस्थितियों को लेकर आयें और सारी चीजों को उन्होंने सौंप दें। यह प्रार्थना की शक्ति है जो स्वर्ग और पृथ्वी को जोड़ती है जहाँ ईश्वर हमारे जीवन में प्रवेश करते हैं।

एक ख्रीस्तीय की प्रार्थना अपने में शांति में बने रहने तक सीमित नहीं है वरन यह हमारे जीवन की सारी चीजों को, पूरे विश्व को ईश्वर के हाथों में समर्पित करना है। संत पापा ने कहा कि यह शांति नहीं वरन करुणा है। ऐसा करने के द्वारा हम ईश्वर से विनय करते, अपनी जरूरत की चीजों को खोजते और उनके द्वार को खटखटाते हैं। (मत्ती.7.7) अपने जीवन में आवश्यकता की चीजों हेतु विनय करना हमारे जीवन का प्रथम कर्तव्य है क्योंकि प्रार्थना वह शक्ति है जो विश्व को गतिशील बनाती है। प्रार्थना हमारे जीवन का प्रेरितिक कार्य है जिसके द्वारा हम शांति के प्रवर्तक बनते हैं। येसु सदैव हमारे लिए अपने पिता से विनय करते हैं अतः उनके शिष्यों के रुप में हमें भी स्वर्ग और पृथ्वी के मिलन हेतु बिना थके प्रार्थना करने की आवश्यकता है।

संत पापा ने कहा कि विनय प्रार्थना के बाद सुसमाचार का दूसरा मुख्य वाक्य उद्घोषणा है। येसु अपने चेलों को सुसमाचार की घोषण करने हेतु दुनिया में भेजते हैं। यह विश्वास का एक सबसे तीक्ष्ण कार्य है। येसु हम सभों पर विश्वास करते और हमारी कमजोरियों के बावजूद हमें अपने कार्य को पूरा करने हेतु भेजते हैं।

सुसमाचार प्रचार के लिए हमें अपने आप से बाहर निकले की जरूरत है। येसु आज हमें कहते हैं, “जाओ”।   इस तरह ख्रीस्तियों के रुप में हम अपने जीवन में जड़त्व को धारण करने हेतु नहीं वरन येसु के साथ राह में सदैव बढ़ते जाते हैं। हम सभी एक तीर्थयात्री के रुप में, एक प्रेरित की भाँति, “आशपूर्ण लम्बी दौड़” में सहभागी होते और नम्रता तथा विश्वास में सृजनात्मक रुप से अन्यों का सदैव सम्मान करते हैं। हम अपने जीवन में जोखिम उठते हुए मेहनत करते और अन्यों के लिए खुले रहते हैं।

येसु हमें अपने सुसमाचार की घोषणा अपने में बने रहते हुए करने को कहते हैं न की दुनियावाई शक्ति से संपन्न हो कर। संत पापा ने कहा कि हम येसु से कृपा की याचना करें कि हम व्यर्थ की बातें में न पड़े वरन प्रेरिताई कार्य की आवश्यकता पर अपने को केन्द्रित कर सकें। पुनर्जीवित प्रभु जो सदैव हमारे लिए पिता से विनय करते हैं हमारा बल बने जिससे हम अपने जीवन में देने की खुशी का अनुभव कर सकें। 








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