2017-05-26 11:46:00

स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े धार्मिक संस्थानों को नीति निर्धारण में शामिल करना ज़रूरी


जिनिवा, शुक्रवार, 26 मई सन् 2017 (सेदोक): जिनिवा में आयोजित 70 वें विश्व स्वास्थ्य सम्मेलन में वाटिकन ने इस बात की मांग की कि विश्व के कई देशों में स्वास्थ्य सेवाओं में संलग्न धार्मिक संगठनों एवं विश्वास पर आधारित संस्थानों को स्वास्थ्य सम्बन्धी नीति निर्धारण प्रक्रियाओं में शामिल किया जाये। 

जिनिवा स्थित संयुक्त राष्ट्र संघीय कार्यालय में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक वाटिकन के वरिष्ठ महाधर्माध्यक्ष इवान यूरकोविट्स ने कहा, "गुणकारी अवसंरचनाओं एवं स्वास्थ्य प्रणालियों के निर्माण में सरकारों को केवल सरकार समन्वयित एवं संचालित संस्थानों पर ही ध्यान केन्द्रित नहीं करना चाहिये अपितु सभी प्रमुख प्रतिभागियों के प्रति समावेशी दृष्टिकोण रखना चाहिये।"

उन्होंने कहा विशेष रूप, स्वास्थ्य सेवाओं में संलग्न धार्मिक संगठनों एवं विश्वास पर आधारित संस्थानों के मौलिक योगदान को देखते हुए उन्हें भी नीति निर्धारण प्रक्रिया में शामिल किया जाना चाहिये।"

वाटिकन राजनयिक महाधर्माध्यक्ष यूरकोविट्स ने कहा कि बेहतर स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में "सभी लोगों के लिए रोकथाम और देखभाल हेतु प्रभावी और सुलभ हस्तक्षेप की ज़रूरत है, विशेष रूप से, समाज के हाशिये पर जीवन यापन करनेवाले निर्धनों, आप्रवासियों एवं शरणार्थियों पर इन प्रणालियों में ध्यान दिया चाहिये।"

स्वास्थ्य सेवाओं के विकास के लिये उपयुक्त चिकित्सीय औषधियों एवं तकनीकी उपकरणों की आवश्यकता पर बल देते हुए महाधर्माध्यक्ष यूरकोविट्स ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय का आह्वान किया वह इस क्षेत्र में विकास हेतु ठोस कदम उठाये ताकि निर्धन से निर्धन लोगों को भी चिकित्सा उपलब्ध कराई जा सके।

सन्त पापा फ्राँसिस को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा, "स्वास्थ्य, वास्तव में, उपभोग की वस्तु नहीं, बल्कि यह एक सार्वभौमिक अधिकार है जिसका अर्थ है कि स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच एक विशेषाधिकार नहीं हो सकता।"








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