2017-05-23 15:30:00

आरामदायक जीवन छोड़, येसु की आनन्दपूर्वक घोषणा करें


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 23 मई 2017 (वीआर सेदोक): कई समर्पित लोगों को दुनियादारी की भावना का परित्याग करने के कारण अत्याचार का सामना करना पड़ता है। शैतान एक जोखिम रहित एवं गुनगुनी कलीसिया पसंद करता है। यह बात संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में कही।

संत पापा ने सन सलवाडोर के महाधर्माध्यक्ष शहीद ऑस्कर रोमेरो का उदाहरण दिया जिनकी धन्य घोषणा दो साल पहले हुई जो ग़रीबों की हिंसा का विरोध करने के कारण सैन्य शासन द्वारा मृत्यु के शिकार हुए थे।

संत पापा ने कहा कि यह आवश्यक है कि गुनगुना की जीवन शैली से हटकर येसु की घोषणा उत्साह पूर्वक किया जाए।

संत पापा ने प्रवचन में प्रेरित चरित से लिए गये पाठ पर चिंतन किया जहाँ प्रेरित पौलुस एवं सीलस की प्रेरिताई के बारे जिक्र है। किसी दिन वे दोनों सभागृह जा रहे थे तभी एक दासी से उनकी भेंट हुई जो भविष्यवक्ता अपदूत के वश में थी। वह पौलुस और सीलस को देखकर चिल्लाने लगी, ″ये लोग सर्वोच्च ईश्वर के सेवक हैं″। पौलुस जान गया कि वह बुरी आत्मा के वश में है अतः वह एक दिन येसु का नाम लेकर वह बुरी आत्मा को उस दासी से निकल दिया।  

संत पापा ने गौर किया कि उस शहर में किसी तरह का परिवर्तन नहीं हो रहा था क्योंकि सब कुछ स्थित अवस्था में था। यह ख्रीस्त की कलीसिया नहीं थी। 

संत पापा ने कहा, ″मुक्ति के इतिहास में यह अनेकों बार दुहराया जा चुका है। जब ईश प्रजा शांत थी तब वह न तो जोखिम में थी और न ही सेवा कर रही थी। अतः ईश्वर ने नबियों को भेजा जिन्हें अत्याचार का सामना करना पड़ा क्योंकि वे लोगों की आराम की जिंदगी पर बाधक के समान थे, जैसा कि संत पौलुस ने जब बुरी आत्मा को बाहर निकाल दिया था। कलीसिया में जब कोई दुनियादारी की कई बातों को उजागर करता है तो वह कुटिल नजरों से देखा जाता है।   

संत पापा ने याद किया कि उनकी जन्म भूमि में कई समर्पित लोगों को कम्युनिस्ट बतलाकर कलीसिया से बाहर कर दिया गया अथवा उनपर अत्याचार किया गया। उन्होंने कहा, ″धन्य रोमेरो की याद करें। सच्चाई को प्रकट करने का परिणाम क्या हुआ। उसी तरह यूरोप में कई लोगों के साथ हुआ क्योंकि शैतान स्थितता, एक जोखिम रहित कलीसिया, एक व्यापारी, एक आराम करने वाली जो गुनगुने पन के आराम में रहती है उसे पसंद करता है।

प्रेरित चरित के 16वें अध्याय में इस बात का भी जिक्र है कि दासी का मालिक गुस्सा हो गया था क्योंकि उसके लिए धन अर्जित करने की आशा समाप्त हो चुकी थी। संत पापा ने कहा कि बुराई हमेशा पॉकेट से प्रवेश करता है और जब कलीसिया स्थिर, शांत, व्यवस्थित एवं समस्याहीन होती है तब वह फायदे पर नजर डालता है।

संत पापा ने धन से अलग एक अन्य शब्द पर प्रकाश डाला जो है आनन्द। पौलुस तथा सीलस को लड़की के अंदर से अपदूत को बाहर निकालने के कारण जेल की सज़ा मिली। कैदखाने के अधिकारी ने उन्हें कड़ी निगरानी के साथ कैदखाने में बंद कर रखा किन्तु बतलाया जाता है कि उन्होंने वहाँ भी ईश्वर की स्तुति की। रात को भुकम्प हुआ और कैदखाने के द्वार खुल गये और कैदियों की बेड़ियाँ ढीली पड़ गयीं। कारापाल जाग गया तथा बन्दीगृह के द्वार खुले देख आत्मा हत्या करना चाहा किन्तु पौलुस ने ऊँचे स्वर से उसे मना कर दिया। इस प्रकार कारापाल ने बपतिस्मा ग्रहण किया और वह बहुत आनंदित था। 

 








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