2017-05-18 16:23:00

कोरिया के बीमार लोगों से संत पापा की मुलाकात


वाटिकन सिटी, गुरुवार, 18 मई 2017 (सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने गुरुवार को वाटिकन में कोरिया के बीमारों और बुजूर्गों से मुलाकात की और उन्हें अपना संदेश दिया।

उन्होंने उनका स्वागत करते हुए कहा कि उन्हें यहाँ आने में अत्यधिक कष्ट का सामना करना पड़ा है। उन्होंने कहा, ″मैं आप सबों को धन्यवाद देता हूँ तथा आपका स्वागत करता हूँ। मैंने आप की कठिनाइयों और पीड़ा के बारे सुन लिया है। मैं विशेष रुप से आप के परिवारों और आप की सेवा में संलग्न सभी लोगों का शुक्रिया अदा करता हूँ।″

हनटिंग्टन रोग से ग्रसित मरीजों और उनके परिवार वालों को बहुत बार शर्म के दौरे से होकर गुजरना पड़ता है क्योंकि वे अन्यों के द्वारा नकार और छोड़ दिये जाते हैं। संत पापा ने कहा आप यहाँ आकर अपने को दुनिया के सामने यह कहते हुए प्रस्तुत कर रहे हैं, “हम छिपे नहीं है।” यह एक नारा मात्र नहीं, वरन् हमारा जीवन समर्पण है जिसे हम सभी को जीने की जरूरत है। हमारे साहस और विश्वास में इस बात की घोषणा हमें येसु की शिक्षा को व्यक्त करता है। अपने प्रेरिताई काल के दौरान उन्होंने रोगियों से मुलाकात की, उनके दुःख तकलीफों को अपने ऊपर ले लिया। उन्होंने कलंक की उस दीवार को ढह दिया जो लोगों को सम्मान और प्रेम की अनुभूति प्राप्त करने में बाधक था। येसु के लिए बीमार लोगों से मिलने हेतु कभी कोई बाधा नहीं हुई। उन्होंने हमें इस बात की शिक्षा दी कि मानव हमेशा मूल्यवान है जिसकी गरिमा कोई भी व्यक्ति या रोग नहीं मिटा सकती है। दुर्बलता एक बीमारी नहीं है और बीमारी जो कमजोरी की निशानी है हम में यह विचार उत्पन्न न करे कि हम ईश्वर की नजरों में कम मूल्यवान हैं।

बीमारी हमारे लिए एक अवसर देती है जहाँ हम अपने जीवन को दूसरों के साथ साझा करते और मजबूती में बढ़ते हैं। बीमार व्यक्ति जिनसे येसु ने मुलाकात किया वे विश्वास में मजबूत हुए। उन्होंने अपने में अनुभव किया कि वे समझे, सम्मान किये और प्रेम भरी नजरों से देखे जाते हैं। संत पापा ने सभी बीमार लोगों की हौसला अफजाई करते हुए कहा कि आप में से कोई भी यह न समझे कि मैं अकेला हूँ, मैं दूसरों के लिए बोझ के समान हूँ, मुझे जीवन से चला जाना चाहिए। आप ईश्वर की नजरों में कीमती है। आप कलीसिया की नजरों में बहुमूल्य हैं।

संत पापा ने हनटिंग्टन रोग से ग्रसित लोगों के परिवार वालों को संबोधित करते हुए कहा कि वे जो उनकी सेवा में लगे हैं उसके लिए सह-यात्री के समान हैं क्योंकि इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति अपने में अकेलापन और निराशा का अनुभव करता एवं उससे बाहर नहीं निकल सकता है यदि उसके साथ कोई न हो। आप उनके लिए माता-पिता, पति-पत्नी, भाई-बहन, बच्चे और सब कुछ के समान हैं। इस कठिन यात्रा में आप उनके साथ चलें। संत पापा ने सेवारत लोगों में साहस और उत्साह का संचार करते हुए कहा कि आप अपने में अकेलेपन का अनुभव न करें और न ही अपनी इस सेवा में कोई शर्म या ग्लानि का अनुभव। परिवार जीवन और मानवीय गरिमा का स्थल है जहाँ हम आपसी सहयोग के द्वारा एक-दूसरे को मजबूती प्रदान करते हैं।

संत पापा ने चिकित्सकों, स्वयंसेवी और सेवा कार्य में संलग्न लोगों को अपने संदेश में कहा कि   आप की सेवा मूल्यवान है क्योंकि यह रोगियों और उनके परिवार के लोगों में आशा और विश्वास का संचार करती है। ईश्वर आप को अपना आशीष प्रदान करें जिससे कि आप मानव गरिमा के प्रवर्तक बन सकें। आप ईश्वर के हाथ के सामन हैं जो आशा के बीज बोता है। आप इन बीमार लोगों की आवाज हैं जिनके द्वारा वे अपने अधिकारों को प्राप्त करते हैं।

संत पापा ने अपने संबोधन में आनुवंशिक और अनुसंधान कर्ताओं से कहा कि आप की खोज और कार्य में हम सभी आश्रित हैं जो हमें इस बीमारी से निजात दिलाते हुए हमें जीवन शैली को बेहतर करने हेतु मदद करेगा। ईश्वर आप के कार्यों को अपनी आशीष से भरे दे। उन्होंने उनसे कहा कि आप “फेंकने की संस्कृति” से बचे।

अंत में संत पापा ने हनटिंग्टन रोग से ग्रसित मरीजों से कहा कि आप एक बृहद प्रेरित समुदाय के सदस्य हैं अतः आप येसु की आशा को अपने जीवन के कठिन और दुःख भरे क्षणों में भी बनाये रखें।








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