2017-05-11 16:37:00

विश्वास एवं नैतिकता के रास्ते पर बढ़ते ख्रीस्तीय


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 11 मई 2017 (वीआर सेदोक): ईश प्रजा अपने विश्वास को सुदृढ़ करने हेतु हमेशा यात्रा पर है। यह बात संत पापा फ्राँसिस ने प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में 11 मई को ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में कही।

उन्होंने प्रेरित चरित से लिए गये उस पाठ पर चिंतन किया जहाँ संत पौलुस मुक्ति इतिहास में शुरू से लेकर येसु तक चर्चा करते हैं।

संत पापा ने कहा, ″ईश्वर ने अपने आप को इतिहास में प्रकट किया, अपने मुक्ति इतिहास में जो एक लम्बा इतिहास है।″ मुक्ति इतिहास उपयुक्त समय के साथ संतों एवं पापियों की एक लम्बी यात्रा है। प्रभु उन्हें अच्छे और बुरे, दासता एवं स्वतंत्रता दोनों ही परिस्थितियों में उनका साथ देते हैं। अंत में येसु आते हैं जो अपने बाद पवित्र आत्मा को भेजते हैं ताकि हम येसु के संदेश को समझ सकें। संत पापा ने कहा कि यहीं से कलीसिया की यात्रा शुरू होती है जो कई संतों एवं पापियों के साथ, कृपा एवं पाप के बीच आगे बढ़ती है।

संत पापा ने कहा कि इस रास्ते को जानने, येसु के साथ गहरा संबंध स्थापित करने, अपने विश्वास को गहरा करने एवं आज्ञाओं को भी समझने की आवश्यक है क्योंकि एक समय जिसे सामान्य माना जाता था अब वह महापाप के रूप में पहचाना जाता है।  

संत पापा ने कहा, ″हम गुलामी पर गौर करें। जब हम स्कूल गये तो हमें बतलाया गया कि पहले गुलामी की प्रथा थी। गुलामों को एक स्थान से दूसरे स्थानों में बेचा जाता था। लैटिन अमरीका में भी यह प्रथा लागू थी। उन्होंने कहा कि आज हम इसे महापाप मानते हैं जबकि पहले ऐसा नहीं माना जाता था। लोग सोचते थे कि गुलामों में आत्मा नहीं होती। उन्होंने कहा कि लोगों को विश्वास एवं नैतिकता की बेहतर समझदारी की ओर आगे बढ़ना था। उन्होंने खेद प्रकट करते हुए कहा, किन्तु आज इसकी पूरी समझ के बावजूद गुलामी समाप्त नहीं हुई है। संत पापा ने मृत्यु दण्ड की सज़ा का भी विरोध किया।  

संत पापा ने कहा कि ईश प्रजा विश्वास एवं नैतिकता की समझ को गहरा करने के लिए हमेशा यात्रा पर है।

धर्मों के नाम पर युद्ध विश्वास एवं नैतिकता की समझदारी में कमी का परिणाम है किन्तु इसके बीच भी संतों की कमी नहीं है। कलीसिया अघोषित संतों से भरी है। उनकी पवित्रता हमें प्रभु के द्वितीय आगमन जिसमें वे महिमा के साथ आयेंगे, उस ओर जाने हेतु प्रेरित करता है। प्रभु चाहते हैं कि इस रास्ते पर सभी लोग उन्हें पहचानें।

संत पापा ने कहा कि ईश प्रजा यात्रा पर है और जब वह रुक जाती है तब वह गधे की तरह स्थिरता के पिंजरे में बंद हो जाती है जो न आगे बढ़ती, न विश्वास, प्रेम और आत्मा के शुद्धिकरण को समझती है। हम सभी अपने निश्चित समय की ओर आगे बढ़ रहे हैं। हम प्रत्येक का एक उपयुक्त समय है जब इस जीवन का अंत हो जायेगा तथा हम प्रभु में एक हो जायेंगे। यही हमारा उपयुक्त समय होगा।

संत पापा ने विश्वासियों को परामर्श दिया कि वे आत्मा जाँच करें तथा देखें कि हम किस ओर आगे बढ़ रहे हैं। येसु ने पवित्र आत्मा को भेजा है ताकि वह हमारी यात्रा में हमारा साथ दे। वह हमें ईश्वर की करुणा के रास्ते पर आगे ले चलता है।

संत पापा ने मेल-मिलाप संस्कार द्वारा प्रभु से मुलाकात करने हेतु प्रोत्साहन दिया।








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