2017-05-09 17:26:00

संत पापा ने दिया पवित्र आत्मा का विरोध करने के पाप के खिलाफ चेतावनी


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 9 मई 2017 (वीआर सेदोक): पवित्र आत्मा का विरोध करने के पाप से सावधान रहें तथा ईश्वर के आश्चर्य के प्रति खुले रहें। यह अपील संत पापा फ्राँसिस ने सोमवार 8 मई को, वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में की।

प्रवचन में संत पापा ने प्रेरित चरित से लिए गये उस पाठ पर चिंतन किया जहाँ संत पेत्रुस, गैंरख्रीस्तीयों के मसीही समुदाय में प्रवेश के संबंध में प्रथम ख्रीस्तीय समुदाय को समझाते हैं। उन्होंने इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि पवित्र आत्मा कलीसिया एवं ख्रीस्तीय समुदाय में सदा क्रियाशील रहते हैं।

संत पापा ने कहा कि पवित्र आत्मा चमत्कार करते तथा नई चीजों को उत्पन्न करते हैं और कुछ लोग कलीसिया की इन नई चीजों से घबराते हैं।

उन्होंने कहा, पवित्र आत्मा ईश्वर का वरदान है उस पिता का वरदान जो हमें सदा विस्मित करते हैं। वे हमें क्यों विस्मित करते हैं? क्योंकि वे जीवित ईश्वर हैं जो हममें निवास करते। वे एक ऐसे ईश्वर हैं जो हमारे हृदय को परिवर्तित करते, कलीसिया में निवास करते तथा हमारे साथ चलते और इस यात्रा में हमें विस्मित करते हैं। उनमें दुनिया की सृष्टि करने एवं उसे नवीकृत करने की रचनात्मकता है।

संत पापा ने कहा कि उनका यह कार्य उलझन पैदा कर सकता है। जैसा कि संत पेत्रुस को सामना करना पड़ा, जब गैर ख्रीस्तीयों ने ईश वचन स्वीकार किया और जिसके संबंध में अन्य शिष्यों ने उनसे पूछताछ की। उनके लिए पेत्रुस रास्ते से भटक गया था क्योंकि उनके अनुसार पेत्रुस कलीसिया के शीर्ष होकर ठोकर का कारण बन गया था।

संत पापा ने बतलाया कि इस परिस्थिति में संत पेत्रुस ने उस दिव्य दर्शन का वर्णन किया जिसको प्रभु ने उनके लिए प्रकट किया था और जिसके माध्यम से उन्हें निर्णय लेने में सहायता मिली। संत पापा ने कहा, ″पेत्रुस ईश्वर के चमत्कार को स्वीकार कर पाने में समर्थ था जिसके कारण उन्होंने ईश्वर के कई चमत्कारों को देख पाया। प्रेरित एक साथ आये, विचार-विमर्श किये तथा इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि प्रभु की इच्छा अनुसार और एक कदम आगे बढ़ाया जाए।″

संत पापा ने कहा कि नबियों के समय से लेकर आज तक पवित्र आत्मा का विरोध करने का पाप जारी है। यही पाप है जिसके द्वारा स्तेफन को दोषी करार दिया गया तथा उन्हें शहीद होना पड़ा।

संत पापा ने भले और बुरे का फर्क कर पाने हेतु कृपा की याचना करने का परामर्श दिया। उन्होंने कहा कि प्रभु हमें अपने हृदय को कठोर नहीं करने का आग्रह करते हैं।

संत पापा ने कहा, ″पवित्र आत्मा के लिए द्वार बंद एवं उनका विरोध हमेशा से किया जाता रहा है जो स्वतंत्रता को नष्ट करता, आनन्द को मिटा देता एवं पवित्र आत्मा के प्रति निष्ठा को समाप्त कर देता है।″ हमारे सामने एक सवाल है कि हम किस तरह जान सकते हैं कि यह पवित्र आत्मा की ओर से है अथवा सांसारिक आत्मा की ओर से। उन्होंने कहा कि इसके लिए हमें परख हेतु कृपा के लिए प्रार्थना करना है और हम परखने या निर्णय लेने के लिए प्रेरितों का उदाहरण ले सकते हैं जिन्होंने एक साथ विचार-विमर्श किया एवं पवित्र आत्मा के रास्ते को देखा जबकि जिन्होंने प्रार्थना नहीं की, वे बंद बने रहे। 

संत पापा ने कहा कि ख्रीस्तीयों को परख करने सीखना चाहिए। विश्वास कभी नहीं बदलता वह हमेशा एक समान बना रहता है बल्कि कलीसिया की सच्चाई आगे बढ़ती एवं समय के साथ विकास करती है। उन्होंने विश्वासियों को कठोरता, बंद हृदय एवं अचलता की गलती में नहीं पड़ने हेतु परख की कृपा के लिए प्रार्थना करने की सलाह दी।








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