2017-05-08 16:29:00

संत पापा फ्राँसिस ने दस नये पुरोहितों का अभिषेक किया


वाटिकन सिटी, सोमवार, 8 मई 2017 (वीआर सेदोक) : संत पापा फ्राँसिस ने सात मई, पास्का के चौथे रविवार को, संत पेत्रुस महागिरजाघर में प्रातःकालीन यूखरीस्तीय समारोह के दौरान दस नये पुरोहितों का अभिषेक किया। यह रविवार ‘भला गड़ेरिया रविवार’ से जाना जाता है और इस दिन पवित्र बुलाहट के लिए विशेष प्रार्थना की जाती है।

संत पापा ने रोमन अनुष्ठान के आधार पर पुरोहितों के अभिषेक हेतु तैयार तीन महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रकाश डालते हुए  प्रवचन में कहा कि पुरोहिताई सामान्य अर्थों में "पेशा या व्यवसाय" नहीं है और इसे कलीसिया के अंदर तरक्की के मार्ग के रूप में नहीं लेना चाहिए। इन पुरोहितों को प्रभु येसु ने पुरोहिताई के लिए चुना है ताकि वे अपनी सेवा दे सकें।

संत पापा ने उनसे कहा,″जब आप उपदेश देते हैं तो आपका उपदेश सैधांतिक और बहुत विस्तार से नहीं, पर साधारण होनी चाहिए जो लोगों के दिलों में प्रवेश करे।″

पुरोहित जिसने ईशशास्त्र का गहन अध्ययन किया है और एक, दो, तीन या चार उन्नत डिग्रियाँ हासिल की है पर मसीह के क्रूस को लेकर चलना नहीं सीखा हो तो वे सारी डिग्रियाँ बेकार हैं। वह एक अच्छा विद्यामूलक, एक अच्छा प्रोफेसर होगा, लेकिन एक अच्छा पुरोहित नहीं होगा। "

संत पापा ने पापस्वीकार संस्कार देने के संदर्भ में नये पुरोहितों से कहा, “मैं येसु मसीह और कलीसिया के नाम पर आपसे हमेशा दयालु बने रहने का आग्रह करता हूँ । लोकधर्मियों को इतना भारी उत्तरदायिस्व न सौंपे जिसके बोझ को वे ढो ना कर सकें और ना ही आप अपने उपर भारी बोझ लें। येसु ने फरीसियों को इस बात से खंडन किया और उन्हें ढोंगी कहा।"

 संत पापा ने सभी नये पुरोहितों को दया के ठोस कार्य के रुप में बीमारों को देखने जाने को कहा। बहुत से कामों में से एक, जो शायद आपको उतना अच्छा ना लगे, कुछ के लिए यह दर्दनाक हो सकता है, आप सभी बीमारों को देखने जायें। इसे लोकधर्मी और उपयाजक लोग भी कर सकते हैं। याद रखें कि उन्हें स्पर्श करना ना भूलें। येसु ख्रीस्त बीमारों में दुःख सहते हैं। बीमारों से मिलने का कार्य आपको पवित्र करता है और आपको मसीह के करीब लाता है।"

संत पापा ने आनंद की अपील करते हुए अपने प्रवचन के अंत में कहा, ″आप हमेशा खुश रहिए कभी दुःखी नहीं, यहाँ तक कि पीड़ा और गलतफ़हमी के समय भी मसीह की सेवा आनंदपूर्वक करें। भले चरवाहे मसीह को आप अपना आदर्श मानते हुए उनका अनुसरण करें। वे सेवा कराने नहीं बल्कि सेवा करने आये आये थे। कृपया आप मालिक ना बनें और ना ही राजपुरोहित परंतु रखवाले बनें, ईश्वर की भेड़ों के चरवाहे बनें।″








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