2017-05-06 15:47:00

संत पापा ने दी नम्र ख्रीस्तीय बनने की सलाह


वाटिकन सिटी, शनिवार, 6 मई 2017 (वीआर सेदोक): आज भी कलीसिया में कुछ लोग ऐसे हैं जो अपने पापों को ढंकने के लिए अकड़पन का सहारा लेते हैं। यह बात संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 5 मई को वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में कही।

प्रवचन में संत पापा ने प्रेरित चरित के उस अंश पर चिंतन किया जहाँ संत पौलुस के मन परिवर्तन की घटना को प्रस्तुत किया गया है। वे आरम्भ में एक कठोर अत्याचारी थे किन्तु बाद में सुसमाचार के दीन और धैर्यवान प्रचारक बने।

संत पापा ने कहा, ″साऊल नाम पहली बार उस समय प्रकट हुआ जब स्तेफन पर अत्याचार हो रहा था। साऊल इस घटना को देख रहा था। वह एक जवान, अकड़, सैद्धांतिक और कानून की कठोरता से "आश्वस्त" व्यक्ति था।″

उन्होंने कहा कि वह अकड़ वाला व्यक्ति था किन्तु वफादार। येसु उन लोगों को फटकारते थे जो कठोर और बेईमान थे।

संत पापा ने कहा, ″अकड़ लोग दोहरी जिंदगी जीते हैं। वे अपने को अच्छे और वफादार दिखाने का प्रयास करते हैं किन्तु जब उन्हें कोई नहीं देख रहा होता है तो वे गलत काम करते हैं।″ संत पापा ने साऊल के बारे कहा कि वह ईमानदार था, वह ईश्वर में विश्वास करता था। उन्होंने कहा कि कलीसिया में कई युवा आज अकड़पन के प्रलोभन में पड़ गये हैं। उनमें से कुछ ईमानदार हैं वे अच्छे भी हैं उन्हें प्रार्थना करना चाहिए कि प्रभु उन्हें विनम्रता के रास्ते पर आगे बढ़ने में मदद दे।

संत पापा ने कहा कि कुछ दूसरे प्रकार के लोग भी हैं जो अपनी कमजोरियों, पापों एवं व्यक्तिगत समस्याओं को ढंकने के लिए अकड़पन का सहारा लेते हैं तथा दूसरों की कीमत पर अपने आप का निर्माण करते हैं। इसी तरह साऊल बहुत अधिक कठोर हो गया था। इतना अधिक कि वह धर्म के विपरीत जाने वालों को बर्दास्त नहीं कर सकता था। अतः वह ख्रीस्तीयों को सताने लगा था किन्तु संत पापा ने कहा कि उसने बच्चों को जीने दिया जबकि आज बच्चों को भी नहीं बख्शा जा रहा है।

जब साऊल ख्रीस्तीयों पर अत्याचार करने के लिए दमिश्क जा रहा था तभी उसका मन परिवर्तन हुआ। येसु ने उसे पुकार कर कहा, ″साऊल साऊल तुम मुझे क्यों सता रहे हो?

संत पापा ने कहा कि वह जो अत्यन्त कठोर हो चुका था, एक बालक की तरह हो गया तथा अपने में परिवर्तन लाने हेतु प्रभु को पूरी छूट दे दी। यह प्रभु की विनम्रता की शक्ति है। इस तरह साऊल अब पौल बन गया जिन्होंने दुनिया के कोने-कोने में सुसमाचार का प्रचार किया तथा उसके लिए अत्याचार भी सहा। 

संत पापा ने कहा, ″यही एक ख्रीस्तीय का जीवन है, हमें उस राह पर आगे बढ़ना है जो येसु द्वारा चिह्नित है, सुसमाचार प्रचार के रास्ते पर, अत्याचार के रास्ते पर, क्रूस के रास्ते पर और अंततः पुनरूत्थान के रास्ते पर।″  

संत पापा ने विश्वासियों से प्रार्थना का आग्रह करते हुए कहा कि हम कलीसिया के उन कठोर लोगों के लिए प्रार्थना करें जो अकड़ हैं, जिनमें उत्साह है किन्तु गलत राह पर हैं। उन लोगों के लिए जो दिखावा के लिए करते हैं, जो दोहरी जिंदगी जीते हैं जिनकी कथनी और करनी में सामंजस्य नहीं है। 








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