2017-05-03 15:50:00

परमधर्मपीठीय समाज विज्ञान अकाडमी द्वारा संधटन हेतु नये मार्ग की मांग


वाटिकन सिटी, बुधवार, 3 मई 2017 (वीआर संदोक) : परमधर्मपीठीय समाज विज्ञान अकाडमी ने मंगलवार 2 मई को आमसभा सम्मेलन का समापन किया जिसमें उन्होंने हाशिये पर जीवन यापन करने वालों को समाज में संघटन करने की मांग की। पाँच दिवसीय आमसभा सम्मेलन की विषय वस्तु, "एक भागीदारी समाज की ओर : सामाजिक और सांस्कृतिक एकता के लिए नये मार्ग" थी।

संत पापा फ्राँसिस के संदेश को आमसभा के लिए दिशा निर्देश के रुप में लिया गया था। पिछली दो शताब्दियों में श्रमिकों के अधिकारों के लिए आंदोलनों और लड़ाइयों को याद करते हुए संत पापा ने कहा कि "ये लड़ाई अब तक खत्म हो चुकी है" और अब हम भाईचारे के महत्व को आधार मानते हुए दुनिया को नई दृष्टि से देखने के लिए बुलाये गये हैं।

वाटिकन में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान आमसभा के प्रतिभागियों में से एक दक्षिण अफ्रीका के प्रोफेसर पौलुस जुलु ने इस तथ्य को उजागर किया कि अफ्रीका में लोगों की दुर्दशा के प्रमुख कारणों में से एक राजनीतिक व्यवस्था में पाया जा सकता है जिसमें लोगों को जीवन के बुनियादी संसाधनों तक पहुंचने से रोका जाता है।

प्रोफेसर जुलु ने बताया कि अफ्रीका में प्रतिनिधि लोकतंत्र की समस्या है जो सामाजिक बहिष्कार का प्रमुख कारण है। जिसकी वजह से समाज में असमानता बढ़ रही है।

उन्होंने कहा, "इन असमानताओं के परिणामों में से एक है प्रवासन। बहिष्कृत आबादी में से कुछ लोग बेहतर जीवन और सुरक्षा की खोज में देश के अंदर और दूसरे देशों में प्रवासन के लिए बाध्य हो जाते हैं।″ 

प्रोफेसर ज़ुलु ने निष्कर्ष निकाला कि इन असामानताओं को दूर करने का एक उपाय यह हो सकता है कि सामाजिक आंदोलनों के माध्यम से एक ऐसा सामाजिक समावेशन तंत्र बनाना जहाँ देश के सभी लोग विशेष कर समाज से बहिष्कृत लोग जीवन के बुनियादी संसाधनों का उपयोग करने में शामिल हो सकें।








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