2017-05-01 15:51:00

किसानों को प्रवासन से बचाने हेतु कारितास की मदद


नई दिल्ली, सोमवार, 1 मई 2017 (ऊका समाचार) : भारत के गांवों से शहरों में बड़ी संख्या में लोगों के प्रवास ने कलीसिया के कारितास कार्यकर्ताओं को लोगों की भूख मिटाने और बेहतर जीवन जीने के लिए खेती के नये तरीकों को खोज निकालने की चुनौती दी है।

उत्तर भारत के कई गावों में कारितास इंडिया ने ग्रामीणों को आय के वैकल्पिक स्रोत प्रदान करने के लिए कृषि समृद्धि कार्यक्रम (एपीपी) शुरु की है।

कृषि समृद्धि कार्यक्रम सन् 2011 से झारखंड राज्य के कई गावों में शुरु की गई है। यह फसलों के विविधीकरण और वर्तन पर केंद्रित है जिससे पूरे साल ग्रामीण इलाकों में ग्रामीणों को प्रयाप्त मात्रा में बेहतर भोजन मिल सके।

यह कार्यक्रम झारखंड स्थित गुमला जिले के 10 गावों में सक्रिय है राज्य का मानना है कि इन गावों से किसान बड़ी संख्या में शहरों में प्रवास करते थे।

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय के सन् 2007-2008 के आंकड़ों के मुताबिक भारत में 309 मिलियन आंतरिक प्रवासी हैं जो नौकरियों की तलाश में शहरों की यात्रा करते हैं।

अधिकांश प्रवासी आर्थिक रुप से गरीब राज्यों जैसे छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, बिहार, राजस्थान और उत्तरप्रदेश से आते हैं और शहरों में अकुशल श्रमिक के रुप में घरेलू कार्यकर्ता, भवन निर्माण  मजदूर, परिवहन, वस्त्र उद्योग और कृषि उद्योगों में काम करते हैं।

सन् 2001 से 2011 तक में झारखंड से ही करीब 5 मिलयन लोग नौकरी की खोज में शहरों में प्रवास किये हैं।

कारितास ने किसानों को जैविक खेती, स्वदेशी बीज के संरक्षण प्रणाली जैसी नई तकनीकों से अवगत कराया साथ ही पानी को बचाने के लिए चेक बांध, तालाबों, टैंकों और कुओं का नवीनीकरण और निर्माण करने में उनकी मदद की।

उन्होंने महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए ‘स्वयं-सहायता समूह’ और किसानों के बेहतर आजीविका के अवसर तथा उनकी क्षमता बढ़ाने के लिए ‘किसान क्लब’ बनाया।

कारितास अधिकारी प्रदीप किशोर चंद ने ऊका न्यूस से कहा कि किसान अब खाद्यान्न का उत्पादन सालभर कर रहे हैं इससे पहले  वे केवल धान की खेती करते थे जिससे केवल 4-5 महीने की खाद्य सुरक्षा होती थी।

प्रदीप किशोर चंद ने कहा कि कार्यक्रम की सफलता परिणामों से पता लगाया जा सकता है। 10 गांवों में कृषि समृद्धि कार्यक्रम लागू किया गया था ओर्बेंगा और कुरुम गाँवों में प्रवासन पूरी तरह से बंद हो गया है और दूसरे गावों में भी प्रवासन काफी कम हो गया है।

कारितास इंडिया के कार्यकारी निदेशक फादर फ्रेडरिक डिसूजा ने ऊका समाचार से कहा, "कारितस इंडिया का उद्देश्य हमेशा विकास के पहल से उन लोगों तक पहुँचना है जो अन्य लोगों की पहुँच से बाहर हैं। पहले गांवों में लाभप्रद कामों की कमी थी लेकिन अब लोग अतिरिक्त आय वाले कई फसलों को उगाते और साल-भर व्यस्त रहते हैं।″








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