2017-04-20 16:24:00

कृतज्ञता की भावना हेतु ईश्वर के कार्यों को पहचानने की आवश्यकता, संत पापा


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 20 अप्रैल 2017 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने मेरिस्ट (मरियाभक्त) ब्रादर्स धर्मसमाज की स्थापना की 200वीं जयन्ती के अवसर पर धर्मसमाज के शीर्ष अधिकारी को एक पत्र प्रेषित कर कहा कि वे जयन्ती के इस अवसर पर इतिहास को कृतज्ञता के भाव से देखें, वर्तमान स्थिति का अवलोकन करें तथा भविष्य में आशा के साथ आगे बढें।

मेरिस्ट धर्मबंधु 200 साल की इस जयन्ती को धर्मसमाज की 22वीं आमसभा के साथ मनायेंगे जो कोलोम्बिया में सम्पन्न होगी। जिसका आदर्श वाक्य है, ″एक नई शुरूआत″ जिसमें नवीनीकरण के सभी कार्यक्रम सम्पन्न होंगे।    

संत पापा ने संदेश में लिखा कि कृतज्ञता पहला एहसास है जो हृदय से आता है। कृतज्ञता की इस भावना हेतु ईश्वर के कार्यों को पहचानने की आवश्यकता है जिसको उन्होंने धर्मसमाज के लिए किया है। उन्होंने संदेश में कहा है कि ईश्वर को धन्यवाद देना अच्छा है जो हमें ईश्वर के सामने विनम्र बनने में मदद देता है तथा उन लोगों के प्रति भी जिन्होंने हमें मुफ्त में हमारी परम्पराओं को बनाये रखने में मदद दी है। 

संत पापा ने धर्मसमाज के साक्ष्यों की यादकर कहा कि धर्मसमाज ने ईश्वर के प्रेम के खातिर एवं भाईचारे की भावना के कारण अपना जीवन अर्पित किया है। उन्होंने कहा कि इन दो सौ सालों में बच्चों एवं युवाओं को उन्होंने आदर्श नागरिक बनने और सबसे बढ़कर अच्छा ख्रीस्तीय बनने की शिक्षा दी है। ये भले कार्य ईश्वर की अच्छाई और करुणा को प्रकट करने के कार्य हैं जो उनकी कमज़ोरियों के बावजूद उन्हें नहीं भूलते।

संत पापा वर्तमान पर चिंतन करने की सलाह देते हुए कहा कि मात्र इतिहास का अवलोकन करना काफी नहीं हैं किन्तु वर्तमान की अवश्यकताओं पर भी ध्यान देना जरूरी है। पवित्र आत्मा के प्रकाश में उन पर चिंतन करना उत्तम है। मूल भाव के साथ वर्तमान की परिस्थिति पर विचार चाहिए।

धर्मसमाज के संस्थापक मर्सेलिन कम्पानेट ने अपने समय में शिक्षा एवं प्रशिक्षण की आवश्यकता महसूस की तथा अनुभव किया कि प्रेम करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति के अंदर छिपी क्षमता को बाहर निकालने की आवश्यकता है।

संत पापा ने कहा कि एक शिक्षक का कार्य लगातार समर्पण एवं त्याग का कार्य है फिर भी यह हृदय से आता है जो उसे अलग एवं उत्तम बना देता है। उन्होंने धर्मसमाजी प्रशिक्षकों को परामर्श देते हुए कहा कि वे उनके आंतरिक जीवन की देखभाल करें उनके मानवीय तथा आध्यात्मिक भंडार की रक्षा करें ताकि वे उस भूमि में फल उत्पन्न कर सके जो उन्हें सौंपा जाए। उन्हें सजग होना चाहिए कि जिस भूमि पर वे कार्य कर रहे हैं वह पवित्र है उसपर वे ईश्वर के प्रतिरूप को देखें।    

संत पापा ने भविष्य में आशा के साथ आगे बढ़ने की सलाह देते हुए कहा कि वे नवीकृत भावना के साथ आगे बढें। यद्यपि यह कोई नया रास्ता नहीं है किन्तु भावना में उत्साह भरकर आगे बढें। आज के समाज में कर्मठ लोगों की आवश्यकता है जो सभी लोगों के लिए एक बेहतर विश्व का निर्माण कर सकें तथा वे जिसपर विश्वास करते हैं उसका साक्ष्य दे सकें। संत पापा ने धर्मसमाज के आदर्शवाक्य, ″सब कुछ येसु को मरियम के लिए, सब कुछ मरियम को येसु के लिए″ पर गौर करते हुए कहा कि इसका अर्थ है मरियम पर भरोसा रखना तथा उनकी विनम्रता एवं सेवा की भावना से प्रेरित होना, उनकी तत्परता एवं मौन समर्पण को अपनाना जो एक अच्छे धर्मसमाजी एवं शिक्षक की विशेषताएं हैं। धर्मसमाजियों के इन मूल्यों से युवा प्रभावित होकर समझेंगे कि यह न केवल सीखने के लिए है बल्कि आत्मसात करने एवं उनका अनुसरण करने के लिए भी है। माता मरियम उनके इस उद्देश्य में उनका साथ देंगी और बुलाहट को नवीकृत करेंगी जिसके द्वारा वे नये मानवता के निर्माण में सहयोग दे पायेंगे जहाँ कमजोर एवं बहिष्कृत लोगों को भी महत्व और प्रेम दिया जा सकेगा। जिस भविष्य की वे आशा करते हैं तथा जिसके लिए वे स्वप्न देखते हैं वह मात्र कल्पना नहीं किन्तु उसका निर्माण ईश्वर की इच्छा को हाँ कहने के द्वारा होगा। वे हमारे भले पिता हैं तथा हमारी आशा को कभी निराश होने नहीं देते।

संत पापा ने पवित्र आत्मा से प्रार्थना की कि वह धर्मसमाज का संचालन करे ताकि वे बच्चों और युवाओं तथा जरूरतमंद लोगों को अपना सामीप्य एवं ईश्वर का कोमल स्नेह प्रदान कर सकें।








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