2017-04-17 15:57:00

पास्का, अनंत जीवन के लिए 'संकीर्ण द्वार' के माध्यम से येसु का अनुसरण,फैसलाबाद के धर्माध्यक्ष


फैसलाबाद, सोमवार,17 अप्रैल 2017 (एशिया न्यूज) : फैसलाबाद के धर्माध्यक्ष जोसेफ अर्शाद ने अपने धर्मप्रांत के विश्वासियों को पास्का पर्व की शुभकामनाएं दी। उन्होने कहा कि जो लोग अंत तक ईश्वर के प्रति निष्ठावान बने रहेंगे, उन्हें अनन्त जीवन प्राप्त होगा।

धर्माध्यक्ष जोसेफ अर्शाद ने विश्वासियों को संबोधित कर कहा कि पास्का का त्योहार हम ख्रीस्तानुयायियों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण धटना है जो हममें आध्यात्मिक ताजगी और खुशहाली लाती है। पास्का की यह पवित्र घटना येसु के दुःखभोग क्रूसमरण और पुनरुत्थान की यादगार है। हम विश्वास करते हैं कि येसु ख्रीस्त ने अपने दुःखभोग और क्रूसमरण द्वारा हमें हमारे आदि पाप से मुक्त किया है और हमें अनंत जीवन में सहभागी होने का मार्ग दखाया है।

येसु ख्रीस्त का दुःखभोग, क्रूसमरण और पुनरुत्थान ही हमारे विश्वास का आधार है। येसु ने पहले से ही अपने चेलों को पिता ईश्वर द्वारा पूर्वनिर्धारित पापी मानवता के मुक्ति विधान को पूरा करने हेतु अपने दुःखभोग, क्रूसमरण और पुनरुत्थान के बारे बता चुके थे। रोमियों को लिखे संत पौलुस के पत्र अध्याय 5 पद संख्या 8 में हम पढ़ते हैं ″ किन्तु हम पापी थे जब मसीह हमारे लिए मर गये थे। इस से ईश्वर ने हमारे प्रति अपने प्रेम का प्रमाण दिया है।″  पुनरुत्थान के तथ्य को प्रमाणित करते हुए वे कुरिंथियों के नाम पहले पत्र के अध्याय 15 पद संख्या 14 में लिखते हैं,″यदि मसीह नहीं जी उठे तो हमारा धर्मप्रचार व्यर्थ है और आप लोगों का विश्वास भी व्यर्थ है।″  अतः ख्रीस्त के दुखभोग, क्रूसमरण और पुनरुत्थान पर विश्वास प्रकट करना अत्यंत आवश्यक है। इस संदर्भ में हम प्रभु की अंतिम व्यारी में पाते हैं ″ उन्होंने रोटी ली धन्यवाद की प्रार्थना पढ़ने के बाद उसे तोड़ा और यह कहते हुए शिष्यों को दिया,″यह मेरा शरीर है, जो तुम्हारे लिए दिया जा रहा है। यह मेरी स्मृति में किया करो।″ (लूक. 22,19) 

हम पाते हैं कि येसु के मिशन के शुरु करते ही फरीसियों, शास्त्रियों और सदूकियों ने मसीह का विरोध करना शुरू किया। वे चाहते थे कि वे अपने तानाशाह अधिकार के तहत यथास्थिति में रहें। लेकिन उन्हें अपने उद्देश्य में असफल होते देख, उससे छुटकारा पाने के लिए उन्होंने उसे मार डालने का संकल्प लिया। इसके लिए उन्होंने येसु के चेले यूदस इस्कारयोती को ही मोहरा बनाया। उन्होंने येसु को भयंकर पीड़ा और क्रूस पर यातना सहते हुए कलवारी पहाड़ पर मार डालकर अपने संकल्प को पूरा किया। इतना ही नहीं उन्होंने येसु के जी उठने की भविश्यवाणी को पूरा न होने देने के लिए कब्र के द्वार को एक बड़े पत्थर से सील कर दिया और वहाँ पहरेदार बैठा दिये पर ईश्वर ने उनके दुर्भावनापूर्ण सपनों तथा षड्यंत्रों को तोड़ दिया और मौत के बंधन को तोड़ते हुए अपने बेटे को महिमा में पुनर्जीवित किया।

अतः ईस्टर का पवित्र अवसर हमारे प्रभु येसु मसीह की शानदार पुनरुत्थान है। पिता ईश्वर के मुक्ति विधान को पूरा करने के लिए येसु ने क्रूस मरण को स्वीकार किया और अंत तक आज्ञाकारी बने रहे। वे हमें भी अनंत जीवन की ओर इंगित करते हुए कहते हैं कि संकीर्ण मार्ग से होकर ही हम अनंत जीवन प्राप्त कर सकते हैं। संत मत्ती के सुसमाचार अध्याय 16 पद संख्या 24 में हम पाते हैं, ″जो मेरा अनुशरण करना चाहता है, वह आत्मत्याग करे और अपना क्रूस उठा कर मेरे पीछे हो ले।″

धर्माध्यक्ष ने कहा कि दुःख तकलीफों, अत्यचार, संकट, उत्पीड़न के बिना हमारा जीवन येसु के प्रेम से वंचित हो जाएगा। मृत्यु पर विजय पाये येसु ख्रीस्त हमें हमारे दैनिक जीवन में आने वाले हर तकलीफों कष्टों और उत्पीड़नों को सहने की शक्ति दें ताकि हम पुनर्जीवित प्रभु के प्रेम और आशा का संदेशवाहक बन सकें।








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