2017-04-13 14:00:00

संत पापा ने किया क्रिज्मा मिस्सा का अनुष्ठान


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 13 अप्रैल 2017 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने पुण्य बृहस्पतिवार 13 अप्रैल को, संत पेत्रुस महागिरजाघर में रोम धर्मप्रांत के पुरोहितों के साथ क्रिज्मा मिस्सा का अनुष्ठान किया तथा पवित्र तेलों पर आशीष प्रदान की।

उन्होंने सुसमाचार पाठ पर चिंतन करते हुए प्रवचन में कहा, ″प्रभु का आत्मा मुझ पर छाया रहता है क्योंकि उसने मेरा अभिषेक किया है। उसने मुझे भेजा है जिससे मैं दरिद्रों को सुसमाचार सुनाऊँ, बंदियों को मुक्ति का और अंधों को दृष्टिदान का संदेश दूँ, दलितों को स्वतंत्र करूँ।″ (लू. 4:18). 

संत पापा ने कहा कि येसु पवित्र आत्मा से अभिषिक्त होकर ग़रीबों के लिए सुसमाचार लाते हैं। उसकी घोषणा येसु करते हैं तथा हम पुरोहित भी। वह सुसमाचार है। खबर जो सुसमाचार के आनन्द से पूर्ण है उन पापियों का आनन्द है जो क्षमाशीलता के तेल से अभ्यंजित हैं तथा जो अपने कारिज्म में प्रेरिताई के तेल से अभिषिक्त हैं उन्हें इसलिए अभिषिक्त किया गया है ताकि दूसरों पर पवित्र तेल का मलन कर सकें।

येसु के समान ही पुरोहित अपने सम्पूर्ण व्यक्तित्व से संदेश को आनन्दमय बनाते हैं। जब वे प्रवचन देते हैं यदि संभव हो तो संक्षेप में प्रस्तुत करते हैं। वे आनन्द के साथ ऐसा करते हैं जो लोगों के हृदय को छू लेता है। वे उन्हीं शब्दों में उसे प्रस्तुत करते हैं जिनके द्वारा येसु ने प्रार्थना में उसके हृदय को छू लिया है।

सभी मिशनरी शिष्यों के समान, पुरोहित संदेश को अपने सम्पूर्ण अस्तित्व से आनन्दमय बनाते हैं। जैसा कि हम सभी जानते हैं। छोटी चीज में आनन्द अधिक अच्छी तरह प्रकट होता और बांटा जाता है। एक छोटे पहल द्वारा हम किसी की दुखद स्थिति में ईश्वर की दया को प्रवाहित कर सकते हैं जब हम फोन उठाते या किसी से मिलने के लिए तैयार होते अथवा धीरज पूर्वक अपना समय दूसरों को देते हैं।

शुभ समाचार भी सुसमाचार के समान ही है किन्तु सुसमाचार में महत्वपूर्ण बात ये है कि इसमें सुसमाचार का आनन्द है। सुसमाचार एक शुभ समाचार इसलिए है क्योंकि इसमें आनन्द का संदेश है।

सुसमाचार एक कीमती मोती के समान है जिसे हम बाईबिल में पढ़ते हैं। यह और कुछ नहीं किन्तु मिशन है। यह उन सभी के लिए स्पष्ट है जिन्होंने सुसमाचार प्रचार के सुखद और आरामदायक आनन्द को अनुभव कर लिया है।(Evangelii Gaudium, 10).

संत पापा ने कहा कि सुसमाचार की शुरूआत अभिषेक से हुआ है। येसु का महान अभिषेक सबसे पहले पवित्र आत्मा की शक्ति से माता मरियम के गर्भ में सम्पन्न हुआ। देवदूत संदेश का सुसमाचार कुँवारी मरियम को भजन गाने हेतु प्रेरित करता है। यह उनके पति जोसेफ के हृदय को पवित्र शांति से भर देता है और योहन इसके द्वारा आनन्द के मारे अपनी माता एलिजाबेथ के गर्भ में उछल पड़ता है। 

आज के सुसमाचार में येसु नाजरेथ लौटते हैं जहाँ उस शहर के सभागृह में पवित्र आत्मा का आनन्द उसके अभिषेक को नवीकृत करता है। पवित्र आत्मा उनपर छा जाता है। ″आनन्द के तेल ने आपका अभिषेक किया है।” (स्तोत्र. 45:8).

सुसमाचार जिसे एक अकेले शब्द के रूप में भी जब उच्चारण किया जाता है वह ठोस रूप ले लेता  है तथा आनन्द और करुणा से भर देता है।

संत पापा ने कहा कि हमें सुसमाचार की तीन कृपाओं को कभी अलग नहीं करना चाहिए। इसकी सच्चाई को जो किसी भी तरह से कम या अधिक नहीं किया जा सकता, जो बेशर्त है, सभी पापियों के लिए अर्पित है। इसका आनन्द व्यक्तिगत है एवं सभी के लिए खुला है। 

सुसमाचार की सच्चाई कभी भी निराकार नहीं हो सकती और न ही लोगों के जीवन में ठोस आकार लेने में असमर्थ होती है क्योंकि वे किताबों में छापा जाना अधिक पसंद करते हैं। सुसमाचार की दया कभी भी झूठी दया नहीं हो सकती, जो पापी को अपनी दुर्गति में छोड़ दे, परिवर्तन के रास्ते पर चलने में उसका हाथ पकड़ कर साथ न दे। 

यह संदेश कभी भी विषादपूर्ण अथवा उदासीन नहीं हो सकता क्योंकि यह उस आनन्द को प्रकट करता है जो पूरी तरह व्यक्तिगत है। यह पिता का आनन्द है जो चाहते हैं कि उनका कोई भी छोटा पुत्र न खो जाए। यह येसु का आनन्द है जो ग़रीबों के लिए खुशी के समाचार को देख सकते हैं और उन्हें सुसमाचार सुनाते हैं ताकि बदले में वे भी बाहर निकल कर दूसरों को सुसमाचार सुनायें। 

सुसमाचार का आनन्द एक विशेष आनन्द है। संत पापा ने कहा, ″मैं इसे बहुवचन का आनन्द कहता हूँ क्योंकि वे अनेक हैं तथा कई तरह के हैं। निर्भर करता है कि सभी युगों, प्रत्येक व्यक्ति तथा विभिन्न संस्कृतियों के बीच पवित्र आत्मा इन्हें किस तरह प्रकट करते और किन्हें चुनते हैं। येसु जिन्हें नवीन सुसमाचार प्रदान करते हैं उन्हें नयी मशकों में डाले जाने की आवश्यकता है।

संत पापा ने पुरोहितों को नई मशक के तीन प्रतीकों को प्रस्तुत किया जिनमें सुसमाचार को ताजा रखा जा सकता है।       

पहला प्रतीक है पत्थर का मटका जिसके काना के विवाह भोज में प्रयोग किया गया था। एक ओर यह स्पष्ट दिखलाता है कि यह एक उत्तम पात्र है जो हमारे प्रभु येसु एवं धन्य कुँवारी मरियम का प्रतीक है।            

सुसमाचार हमें बतलाता है कि सेवकों ने उन्हें लबालब भर दिया। संत पापा ने कहा कि मैं यह कल्पना करता हूँ कि उनमें से एक सेवक माता मरियम की ओर इस प्रश्न के साथ देख रहा है कि क्या इतना पानी काफी है तथा मरियम इशारे से और एक बाल्टी भरने को कहते हैं। माता मरियम वह नई मशक हैं जो आनन्द से पूर्ण हैं। वे पिता की दासी हैं जो उनकी महिमा गाती हैं। तत्पर सहायता हेतु हमारी माता जिन्होंने अपने पवित्र गर्भ में जीवन वचन को पलते जाना। उनकी पूर्णता हमें भय के प्रलोभन से मुक्त होने में मदद देता है, पूर्ण रूप से भरे नहीं जाने के प्रलोभन, निरुत्साहित हृदय का प्रलोभन जो दूसरों को आनन्द से भरने नहीं देता। यह उस सुसमाचार के योग्य नहीं है जो येसु से मुलाकात द्वारा हृदय एवं जीवन को आनन्द से भर देता है।

दूसरा प्रतीक है लकड़ी का मटका। जिसको समारितानी महिला ने अपने सिर पर रखा था। यह एक ठोस परिस्थिति को प्रकट करता है। प्रभु जो जीवन जल के स्रोत हैं किन्तु उनके पास पानी पिलाने के लिए कोई साधन नहीं था। जिसके कारण समारितानी महिला अपने घड़े में से पानी निकाल कर दिया और उनकी प्यास बुझायी बल्कि उन्हें पूरी तरह तृप्त करने के लिए उसने अपने पापों को स्वीकार भी किया। उस समारितानी महिला की आत्मा रूपी मटके को दयालुता पूर्वक झकझोरने के द्वारा पवित्र आत्मा उस छोटे शहर के सभी लोगों को प्रेरित किया जिसके कारण उन्होंने प्रभु को वहाँ रुकने का आग्रह किया।

प्रभु द्वारा समारितानी को प्रदत्त नया मटका का सच्चा उदाहरण हैं मदर तेरेसा। प्रभु ने उन्हें बुलाया और कहा, ″मैं प्यासा हूँ।″ मेरी बच्ची आओ और मुझे गरीबों की झोपड़ी में ले जाओ। आओ उनके लिए मेरी ज्योति बनो। मैं इसे अकेला पूरा नहीं कर सकता। वे मुझे नहीं जानते जिसके कारण वे मुझे प्यार नहीं करते हैं। उन्हें मेरे पास लाओ। मदर तेरेसा ने एक व्यक्ति के द्वारा इसके शुरू किया। स्नेही मुस्कान एवं उनके घावों को कोमल हाथों से स्पर्श ने सभी लोगों के लिए सुसमाचार लाया।

सुसमाचार का तीसरा प्रतीक है प्रभु का छेदित हृदय। उनकी विनम्रता, दीनता और निर्धनता सभी लोगों को उनकी ओर आकृष्ट करता है। उनके द्वारा हमने गरीबों के लिए आनन्द की घोषणा करना सीखा है। जिसको केवल, सम्मान, विनम्रता एवं दीनता द्वारा ही किया जा सकता है। सुसमाचार प्रचारक अभिमानी नहीं हो सकता। सच्चाई की अखंडता कभी कठोर नहीं हो सकती।

पवित्र आत्मा पूर्ण सच्चाई की घोषणा करते एवं उसकी शिक्षा देते हैं। (यो. 16:3), पवित्र आत्मा हर परिस्थिति में हमें प्रेरित करते हैं कि हमारे शत्रुओं को क्या जवाब देना है और ऐसी परिस्थिति में वे हमारे हर कदम को ज्योति प्रदान करते हैं। यही विनम्रता एवं निष्ठा ग़रीबों को आनन्द प्रदान करता, पापियों को पुनः उठाता तथ बुराई के बोझ से दबे लोगों को विश्राम प्रदान करता है।

संत पापा ने सभी पुरोहितों को सम्बोधित कर कहा, ″प्यारे पुरोहितो, जब हम इन तीन मटकों पर चिंतन कर रहे हैं एवं उसमें से पीने का प्रयास कर रहे हैं। सुसमाचार हमें पूर्ण रूप से भर दे, जिसे माता मरियम अपने पूरे जीवन से प्रकट करती है। अपनी सम्पूर्ण दीनता से समारितानी की कहानी को प्रकट करती है जिनके द्वारा पवित्र आत्मा सब कुछ को भर देते एवं येसु के छेदित हृदय से प्रवाहित करते हैं।

 








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