2017-04-12 15:27:00

प्रेम आशा का इंजन है


वाटिकन सिटी, बुधवार, 12 अप्रैल 2017 (सेदोक) संत पापा फ्राँसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पेत्रुस के प्रांगण में जमा हुए हज़ारों विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को आशा पर अपनी धर्मशिक्षा देते हुए कहा,

प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात

पिछले सप्ताह हमने येसु के येरुसलेम शहर में प्रवेश की यादगारी मनाई जहां शिष्यों और एक बड़ी भीड़ ने उनका जयजयकार किया। इन लोगों ने येसु पर अपनी आशा रखी और उनके चमत्कारों और बड़े चिन्हों के प्रति आश्वस्त बने रहते हुए इस बात की आशा करते हैं यह उन्हें उन शत्रुओं से बचायेगा जिन्होंने येरूसलेम पर कब्जा कर रखा है। उनमें से कितनों ने इस बात की कल्पना की कि येसु पर इतना घोर अत्याचार किया जायेगा और उन्हें क्रूस मरण सहना पड़ेगा। लोगों की सोच और आशाएं क्रूस के सामने मिट्टी में मिल जाती हैं। लेकिन हम विश्वास करते हैं कि क्रूसित येसु में हमारी आशा पुनर्जीवित होती है। यह दुनिया की आशा के विपरीत एक दूसरी आशा है।

संत पापा ने कहा कि क्या हम इस बात को समझ सकते हैं कि येसु ने येरुसलेम प्रवेश के साथ इन वचनों को क्यों कहा, “जब तक गेहूँ का दाना मिट्टी में गिर कर नहीं मर जाता अकेला ही रहता है, परन्तु यदि वह मर जाता है, तो बहुत फल देता है।” (यो.12. 24) हम एक छोटे बीज के बारे में सोचे जो मिट्टी में गिरता है, यदि वह अपने में बंद रहता तो उसमें कुछ नहीं होता है लेकिन यदि वह अपने को तोड़ता और खोलता है तो उसमें नये जीवन का विकास होता है और वह बहुत फल उत्पन्न करता है।

उन्होंने कहा कि येसु दुनिया में एक नई आशा लेकर आते हैं जो एक बीज, गेहूँ के दाने के समान है। उन्होंने अपने पिता के घर स्वर्गराज्य का परित्याग किया जिससे वे हमारे बीच रह सकें और इस तरह वे “भूमि पर दफनाये गये”, लेकिन यह पर्याप्त नहीं था। फल उत्पन्न करने हेतु येसु ने अपने को एक बीज की भाँति मृत्यु द्वारा तोड़ा और जमीन पर दफनाये गये। इस तरह उन्होंने प्रेम को अपने जीवन के अंतिम क्षणों तक जीया। उन्होंने अपने को इतना नम्र बना लिया कि प्रेम सर्वोच्च ऊँचाई बन गई, जहाँ से हमारे लिए आशा प्रस्फुटित होती है। यह प्रेम की शक्ति है जो अपने में सब कुछ ढंक देता और सब कुछ सह लेता है। (1 कुरि.13.7) प्रेम ईश्वर का जीवन है जो अपने में सारी चीजों को नवीन बन देता है। अतः पास्का में येसु ख्रीस्त परिवर्तित होते हैं वे हमारे पापों को अपने ऊपर लेते और हमें क्षमा प्रदान करते हैं। वे हमें मृत्यु से जीवन की ओर और भय से विश्वास की ओर ले चलते हैं। यही कारण है कि क्रूस में हमारी आशा सदैव जीवित होती और बनी रहती है। येसु में हमारा अंधकारमय जीवन ज्योति के रुप में परिवर्तित होता है और हार विजय में तथा कोई भी निराशा आशा में बदल जाती है।

जब हम येसु की आशा का चुनाव करते हैं तो हमें धीरे-धीरे प्रेम की नम्रता द्वारा जीवन में विजयी होते हैं। दुनिया में बुराई पर विजय प्राप्त करने हेतु आशा के सिवाय और कोई दूसरा मार्ग नहीं है। संत पापा ने कहा कि आप मुझ से कहेंगे कि यह हार का तर्क है क्योंकि अपनी ताकत का परित्याग करना हमें जीवन की चीजों से वंचित करता है। लेकिन वास्तव में तर्क का बीज जब अपनी नम्रता में मर जाता, जो ईश्वर के कार्य करने का तरीका है यह केवल तब ही फलप्रद होता है। उन्होंने कहा कि हम अपने जीवन में इस बात का अनुभव करते हैं कि हम सदैव किसी न किसी चीज की कामना करते हैं जो हमारी इच्छाओं को बढ़ाती जाती है और हम कभी संतुष्ट नहीं होते हैं। जो लोभी हैं वे कभी संतुष्ट नहीं होते। येसु हमें स्पष्ट शब्दों में कहते हैं, “जो अपने जीवन को प्यार करता है वह उसे खो देगा।” (यो.12.25) अर्थात जो अपने जीवन से प्रेम करते हैं और अपनी ही स्वार्थ तक सीमित हैं वे अपने को खो देते हैं। जो येसु के वचनों को स्वीकराते और उनके अनुसार जीते तो वे अपने जीवन को सुरक्षित रखते तथा दुनिया और अन्यों के लिए आशा रूपी बीज बन जाते हैं।

संत पापा ने कहा कि यह सच है कि सच्चा प्रेम क्रूस, त्याग के द्वारा ही आता है जैसे कि येसु हमें बतलाते हैं। क्रूस हमारे लिए जरूरी है लेकिन यह हमारा केन्द्रविन्दु नहीं वरन हमारा केन्द्रविन्दु महिमा है जो हमें पास्का के रुप में प्रदर्शित किया जाता है। यहाँ हम येसु के द्वारा अंतिम व्यारी में शिष्यों को कहे गये सांत्वना के शब्दों को सुनते हैं, “प्रसव निकट आने पर स्त्री को दुःख होता है क्योंकि उसका समय आ गया है, किन्तु बालक को जन्म देने के बाद वह अपनी वेदना भूल जाती है, क्योंकि उसे आनन्द होता है कि संसार में एक मनुष्य का जन्म हुआ है।”(यो. 16. 21) यहाँ हम प्रेम का दीदार करते हैं जो जीवन को जन्म देती और दुःख को भी एक अर्थ प्रदान करती है। प्रेम वह इंजन है जो हमारी आशा को आगे बढ़ाती है। संत पापा ने कहा, “हम प्रत्येक जन अपने आप से पूछ सकते हैं, क्या मैं प्रेम करता हूँ? क्या मैंने प्रेम करना सीखा है? क्या मैं प्रति दिन इसे सीखता हूँ? क्योंकि यह प्रेम है जो हमारे जीवन में आशा को संचालित करती है।”

प्रिय भाई एवं बहनों संत पापा ने कहा कि इस दिनों हम अपने को ईश्वर के रहस्य से आलिंगन होने दें जो गेहूँ के एक बीज समान मर कर हमें जीवन प्रदान करते हैं। वे हमारे लिए आशा के बीज हैं। हम क्रूसित येसु के जीवन पर चिंतन करें जो हमारे लिए आशा के उद्गम स्थल हैं। हम आशा में बन रहते हुए यह देखने की कोशिश करें कि बीज में वृक्ष है, क्रूस में पुनरुत्थान और मृत्यु में जीवन। संत पापा ने कहा कि आप अपने घरों में थोड़ी देर रुक कर क्रूस की ओर देखें और कहें, “हम आप में कुछ भी नहीं खोते हैं। आप में मेरी आशा सदैव बनी रहती है। आप मेरी आशा हैं।” उन्होंने विश्वासी और तीर्थयात्रियों का आहृवान करते हुए कहा कि हम सब अपने सामने क्रूस की कल्पना करते हुए एक साथ कहें, “आप मेरी आशा हैं।”

इतना कहने के बाद संत पापा ने अपनी धर्म शिक्षा माला समाप्त की और सभी तीर्थयात्रियों और विश्वासियों क अभिवादन किया और सबों को पुण्य सप्ताह की शुभकामनाएँ अर्पित करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।








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