2017-04-10 16:36:00

आनन्द एवं दुःख का सम्मिश्रण खजूर रविवार


वाटिकन सिटी, सोमवार, 10 अप्रैल 2017 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने रविवार 9 अप्रैल को, खजूर रविवार के अवसर पर संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में ख्रीस्तयाग अर्पित किया।

उन्होंने प्रवचन में कहा, ″आज का समारोह खट्टा एवं मीठा कहा जा सकता है। इसे एक ही समय में आनंदमय तथा दुखद दोनों कहा जा सकता है। हम येसु का येरूसालेम में प्रवेश को उनके शिष्यों के साथ मनाते हैं जिन्होंने उन्हें राजा मानकर उनका जय जयकार किया किन्तु सुसमाचार उनके दुखभोग की भी घोषणा करता है। इस बिलकुल विपरीत स्थिति में हम अपने हृदय में येसु के साथ यह एहसास करने का प्रयास करते हैं कि उन्हें क्या अनुभव हुआ होगा जब उन्होंने अपने मित्रों के साथ आनन्द मनाया और येरूसालेम के लिए रोया।″

संत पापा ने विश्व युवा दिवस की याद कर युवाओं को सम्बोधित करते हुए कहा, ″32 सालों से इस रविवार का आनन्दमय पक्ष युवाओं के उत्साह से समृद्ध हुआ है जो विश्व युवा दिवस का परिणाम है। इस वर्ष यह धर्मप्रांतीय स्तर पर मनाया जा रहा है किन्तु यहाँ संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में, यह अत्यन्त उद्दीपक क्षण के रूप में चिह्नित होगा जब विश्व युवा दिवस के क्रूस को क्राकॉव के युवा, पनामा के युवाओं को हस्तांतरित करेंगे। 

संत पापा ने कहा कि जो सुसमाचार पाठ हमने जुलूस के पूर्व सुना (मती. 21:1-11) वह येसु का बछड़े पर सवार, जैतून पहाड़ से होते हुए येरूसालेम में प्रवेश की घटना को प्रस्तुत करता है। यह शिष्यों के उत्साह को दिखलाता है जिन्होंने आनन्द के साथ प्रभु का जय जयकार किया, जिसमें हम शहर के बच्चों एवं युवाओं के उत्साह की कल्पना कर सकते हैं जिन्होंने येसु के शिष्यों के साथ शामिल होकर उनका जय जयकार किया था। येसु स्वयं इस आनन्दमय स्वागत में ईश्वर की एक जबरदस्त इच्छा को देखते हैं। वे नराज फरीसियों को जवाब देते हुए कहते हैं, ″मैं तुम से कहता हूँ यदि वे चुप रहें, तो पत्थर भी बोल उठेंगे।” (लूक. 19:40).

येसु धर्मग्रंथ के कथन को पूरा करने के लिए पवित्र नगर में प्रवेश करते हैं जो किसी को गुमराह करने वाला नहीं है बल्कि यह स्पष्ट रूप से प्रकट होता है कि वे मसीह हैं जो सेवक के समान प्रवेश करते हैं। ईश्वर एवं मनुष्यों के सेवक और इस तरह वे दुखभोग में आगे बढ़ते हैं। वे एक गंभीर रोगी के समान मानव जाति की सारी पीड़ाओं को अपने ऊपर लेते हैं।

संत पापा ने कहा, ″जब हम खुशी से हमारे राजा का जय जयकार कर रहे हैं, हम उन दुःखों पर भी चिंतन करें जिनको उन्होंने इस पुण्य सप्ताह में उठाया था। हम उनके बदनाम और उपहास पर, षडयंत्र एवं विश्वासघात पर, अन्यायपूर्ण निर्णय देने वालों के हाथों पड़ने, घूसे एवं लात मारे जाने, सिर पर कांटों का मुकुट पहनाये जाने और अंततः क्रूस का रास्ता तय करने के बाद सूली पर चढ़ाये गये पर चिंतन करें।  

संत पापा ने कहा कि उन्होंने इसके विषय में अपने शिष्यों से साफ-साफ कहा था, ″जो मेरा अनुसरण करना चाहता है वह आत्मत्याग करे और अपना क्रूस उठाकर मेरे पीछे हो ले।”(मती. 16:24) 

संत पापा ने कहा कि येसु कभी भी सम्मान और सफलता की प्रतिज्ञा नहीं करते बल्कि सुसमाचार इसे स्पष्ट करता है कि उन्होंने अपने मित्रों को बतला दिया था कि उन्हें इसी रास्ते से होगा जाना होगा जिसमें अंतिम विजय दुखभोग एवं क्रूस के द्वारा प्राप्त होगा। ये सब कुछ हम लोगों के लिए भी सच है। उन्होंने विश्वासियों को प्रार्थना करने की सलाह देते हुए कहा, ″हम येसु का निष्ठा पूर्वक अनुसरण करने हेतु कृपा मांगें, न केवल शब्दों द्वारा किन्तु कार्यों द्वारा उनका अनुसरण करें। अपने क्रूस को धीरज पूर्वक आगे ले जाने हेतु याचना करें उसे इनकार अथवा दरकिनार न करें बल्कि उसे उठाने एवं प्रतिदिन आगे ले जाने के लिए येसु की ओर नजर उठायें।″    

येसु जिन्होंने भीड़ के जय-जयकार को स्वीकार किया उन्हें अच्छी तरह मालूम था कि वह भीड़ जल्द ही उस दल के साथ शामिल हो जायेगी जो उन्हें क्रूसित करने की मांग करेगी। संत पापा ने कहा कि हम सिर्फ तस्वीरों अथवा इंटरनेट पर पोस्ट वीडियो पर चिंतन न करें बल्कि उन बहुत सारे भाई-बहनों की याद करें जो गुलाम हैं पारिवारिक परेशानियाँ झेल रहे हैं अथवा बीमार हैं, युद्ध और आतंकवाद से पीड़ित हैं तथा हथियारबंद सैनिक जो आक्रमण हेतु तैयार रहते हैं, वे महिलाएं एवं पुरुष जो विश्वासघात के शिकार हैं, जिनकी प्रतिष्ठा का हनन किया गया है। संत पापा ने कहा कि येसु ऐसे लोगों में उपस्थित हैं, उन प्रत्येक जन में, जिनकी बिगड़ी हुए आकृति एवं टूटी हुई आवाज है। वे हमें अपनी ओर देखने, स्वीकार करने तथा प्रेम करने का आग्रह कर रहे हैं।

संत पापा ने कहा कि वे कोई दूसरे नहीं किन्तु वही येसु हैं जिन्होंने लहराते खजूर की डालियों के बीच येरूसालेम में प्रवेश किया था। वे वही येसु हैं जो दो अपराधियों के बीच क्रूस पर कीलों से ठोंक दिये गये। उनके अलावा हमारा कोई दूसरे प्रभु नहीं हैं। वे न्याय, दया तथा शांति के विनम्र राजा है। 

 








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