2017-03-31 12:00:00

क़ैदी ख्रीस्तीयों का इस्लाम धर्म में बलात धर्मान्तरण


पाकिस्तान: लाहौर, शुक्रवार, 31 मार्च 2017 (सेदोक): पाकिस्तान के धार्मिक नेता एवं सामाजिक कार्यकर्त्ता, पंजाब में, लाहौर के उस अभियोजक के खिलाफ़ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं जिसने, रिहाई के बदले में, ईसाई क़ैदियों को अपने विश्वास के परित्याग तथा इस्लाम धर्म को गले लगाने पर बाध्य किया था। 

पाकिस्तानी मीडिया ने प्रकाशित किया कि उपजिला लोक अभियोजक सैयद अनीस शाह ने, लाहौर में, एक आतंकवाद विरोधी अदालत के समक्ष 42 ईसाई कैदियों से कहा था कि यदि वे इस्लाम धर्म में परिवर्तित हो जाते हैं तो वे "उनके निर्दोष होने की गारंटी" दे सकते थे।

ब्रिटेन के एक अख़बार से सम्पर्क किये जाने पर अभियोजक शाह ने पहले तो आरोप से इनकार कर दिया किन्तु बाद में स्वीकार किया कि उसने उन्हें एक विकल्प प्रदान किया था।

सभी 42 ख्रीस्तीय क़ैदी लाहौर के युहन्नाबाद ज़िले के हैं। 15 मार्च 2015 में तालेबान संगठन द्वारा दो गिरजाघरों पर आतंकवादी हमलों के बाद इन्हें, दो आतंकवादियों को पत्थरों से मारने के लिये, गिरफ्तार किया गया था।

एशियान्यूज़ से बातचीत में युहन्नाबाद में क्राईस्ट चर्च के पादरी रे. अरशद अश्कनाज़ ने कहा, "सरकार को इस मामले पर गम्भीरता से विचार करना चाहिये इसलिये कि मौत के भय के आगे कोई भी धर्मपरिवर्तन के लिये बाध्य हो सकता है।"

हालांकि, पाकिस्तान में इस प्रकार की वारदातें पहले भी होती रही हैं। पाकिस्तान के मानवाधिकार संगठनों ने इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया है कि प्रति वर्ष कम से कम एक हज़ार हिन्दु एवं ईसाई महिलाओं को बलात इस्लाम धर्म अपनाने तथा मुसलमान पुरुषों के साथ विवाह रचाने के लिये बाध्य किया जाता है।

पाकिस्तान के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन की न्याय एवं शांति सम्बन्धी समिति की रिपोर्ट के अनुसार, 2014 में पाँच ख्रीस्तीयों को बलात इस्लाम धर्म अपनाने के लिये मज़बूर किया गया था। इनमें तीन नाबालिग़ किशोरियाँ भी शामिल हैं जिनका अपहरण कर मुसलमान पुरुषों से विवाह करा दिया गया था।

पाकिस्तान के ईसाई वकील नदीम एन्थोनी के अनुसार, ईशनिन्दा कानून के उल्लंघन हेतु सज़ा-ए-मौत पानेवाली आसिया बीबी के समक्ष भी इसी प्रकार का प्रस्ताव रखा गया था। विगत सात वर्षों से ईसाई महिला आसिया बीबी कारावास में हैं।








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