2017-03-25 16:14:00

यूरोपीय परियोजना का केंद्र मनुष्य हो : संत पापा


वाटिकन सिटी, शनिवार, 25 मार्च 2017 (सेदोक) : संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 24 मार्च को संध्या 18.00 बजे वाटिकन के रेजिया सभागार’ में यूरोपीय संघ की 60 वीं वर्षगांठ के लिए रोम में एकत्रित यूरोपीय राजनेताओं से मुलाकात की।

अपने संबोधन में रोम संधि की 60 वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित सभा का जिक्र करते हुए संत पापा ने कहा,″ 60 वर्षों के बाद रोम लौटना केवल अतीत का स्मरण ही नहीं  अपितु उस घटना के महत्व की सराहना करते हुए वर्तमान में इसे जीने की इच्छा की अभिव्यक्ति है। हम अतीत से अलग होकर अपने समय को नहीं समझ सकते। दूर तथ्यों को एक संयोजन के रूप में नहीं परंतु लसीका के रुप में देखना चाहिए जो वर्तमान को जीवन देता है।″

यूरोपीय परियोजना के संस्थापकों का ध्यान आकर्षित करते हुए संत पापा ने कहा कि यूरोप "नियमों का पालन करने का एक समूह" नहीं है लेकिन "मनुष्य के उत्कृष्ट और अविच्छेद्य गरिमा को समझते हुए जीने का एक तरीका है।" इसलिए यूरोपीय राजनीतिक परियोजना का केंद्र सिर्फ मानव होना चाहिए। लेकिन यह दृष्टिकोण एकता पर निर्भर करता है।

संत पापा ने भविष्य की ओर दृष्टि फेरते हुए कहा कि आज यूरोप अनेक संघर्षों का सामना कर कहा है-अर्थव्यवस्था का संकट, परिवार में संकट, संस्थानों में संकट, प्रवास संकट आदि।

इन सभी संकटों का जवाब उन स्तंभों में मिलनी चाहिए जिन पर यूरोपीय आर्थिक समुदाय का निर्माण करने के लिए निर्धारित किया थाः मानव की केंद्रीयता, प्रभावी एकता, विश्व के लिए खुलापन, शांति और विकास की खोज तथा भविष्य के लिए खुलापन।″

संत पापा ने अपने संबोधन के समापन में कहा कि यूरोपीय संघ की 60 वीं वर्षगांठ का अवसर आत्म परीक्षण का समय है संघ की उन बीमारियों की देखभाल करने की जरुरत है जो अनिवार्य रूप से उम्र के साथ आते हैं और संघ के चलाने के नये तरीके की खोज जारी रखनी चाहिए। यूरोपीय संघ की सफलता एक बार फिर से मिलकर काम करने की तत्परता पर निर्भर करेगा। संत पापा ने यूरोपीय राजनेताओं का आह्वान करते हुए कहा कि वे अपने आदर्शों और ठोस कार्यों द्वारा एक 'नए यूरोपीय मानवतावाद' के पथ को प्रज्वलित करें।








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