2017-03-25 14:50:00

मिलान की प्रेरितिक यात्रा में संत पापा खानाबदोश एवं विस्थापितों से मिले


मिलान, शनिवार, 25 मार्च 2017 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस मिलान की अपनी एक दिवसीय प्रेरितिक यात्रा पर, शनिवार 25 मार्च को मिलान पहुँचे जहाँ हज़ारों लोगों ने उनका स्वागत किया। अपनी इस यात्रा के प्रथम चरण में उन्होंने फोरलानिनी जिले स्थित वाईट हाउस के खानाबदोश, इस्लामिक एवं विस्थापित परिवारों से मुलाकात की।

उन्हें सम्बोधित कर उन्होंने कहा, ″आपके स्वागत के लिए धन्यवाद।...परिवारों एवं समुदायों से मुलाकात करते हुए शहर में प्रवेश करना मेरे लिए एक उपहार है।″ 

स्वागत के दौरान संत पापा को स्टॉल एवं माता मरियम की तस्वीर भेंट की गयी।    

संत पापा ने इन उपहारों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा, ″इन दो विशेष उपहारों के लिए धन्यवाद। पहला स्टॉल है, पुरोहित का एक विशिष्ट चिन्ह जो मुझे खास तौर पर प्रभावित कर रहा है क्योंकि यह मुझे स्मरण दिला रहा है कि मैं आपके बीच यहाँ एक पुरोहित के रूप में आया हूँ।″ संत पापा ने स्टॉल के लिए, विशेषकर इसलिए धन्यवाद दिया क्योंकि यह खरीदा नहीं वरन उन्हीं के हाथों बुना गया था। उन्होंने कहा, ″यह इसे अधिक मूल्यवान बना देता है। याद रखें कि ख्रीस्तीय पुरोहित लोगों में से चुने जाते एवं लोगों की सेवा हेतु समर्पित होते हैं। मेरी पुरोहिताई आपके पल्ली पुरोहित एवं अन्य पुरोहित के समान है जो यहाँ काम करते हैं वे ईश्वर के वरदान हैं।″ उन्होंने कहा, ″वे आपके द्वारा बुने गये हैं आपके विश्वास, मेहनत, प्रार्थना एवं आँसूओं के द्वारा जिसको में स्टॉल में देख सकता हूँ। पुरोहिताई ख्रीस्त का वरदान है किन्तु यह आपके द्वारा निर्मित होता है जिसको मैं इस चिन्ह में देख सकता हूँ।″

संत पापा ने दूसरे उपहार के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा, ″और आपने मुझे माता मरियम की तस्वीर भेंट की है।″ मैं जानता हूँ कि मिलान में माता मरियम महागिरजाघर के ऊपर से मेरा स्वागत कर रही हैं किन्तु यह उपहार मुझे एहसास दे रहा है कि शहर में प्रवेश करने के साथ ही वे मेरा स्वागत कर रही हैं।″ संत पापा ने माता मरियम की तत्परता का उदाहरण देते हुए कहा कि एलिजाबेथ की आवश्यकता को समझते हुए वे शीघ्रता से उनके पास चल पड़ी थीं। उन्होंने कहा, ″कलीसिया की एकात्मता एवं चिंता, रूककर इंतजार नहीं करती किन्तु सभी तक पहुँचती है, दूरवर्ती क्षेत्रों तक, गैरख्रीस्तीयों और अविश्वासियों तक। उन सभी को वह येसु की ओर ले चलती है येसु जो ईश्वर का प्रेम है जिन्होंने शरीर धारण किया, जीवन को अर्थ प्रदान की एवं हमें बुराई से बचाते हैं। माता मरियम हमसे मुलाकात करती है धर्मपरिवर्तन के लिए नहीं किन्तु जीवन की यात्रा में सहायता देने के लिए। जिसका उदाहरण जिसको हम अभी-अभी देख सकते हैं कि उन्होंने प्रवेश द्वार पर मेरा स्वागत किया है। जो मुझे उन दिनों की याद दिलाता है जब मैं स्कूल से घर वापस आता था तो माँ मेरा इंतजार करती थी। उसी तरह माता मरियम हमेशा हमारा इंतजार करती हैं। संत पापा ने याद किया कि माता मरियम की यह तस्वीर बचायी गयी है जैसा कि कलीसिया को उद्धार की आवश्यकता होती है क्योंकि यह हम पापियों से बनी है। संत पापा ने प्रार्थना की कि हम पापी हैं अपनी दया से ईश्वर हमारा उद्धार करे।

संत पापा ने चालीसा काल में पश्चाताप का अह्वान करते हुए कहा कि खासकर, इस चालीसा काल में हम अपने हृदय को शुद्ध करें। माता मरियम निष्कलंक थीं। माता मरियम हमें सिखलाती हैं कि हम ईश्वर की दया से अपने को शुद्ध करें ताकि येसु की पवित्रता का साक्ष्य दे सकें। उन्होंने इसके लिए मेल-मिलाप संस्कार में भाग लेने की सलाह दी। संत पापा ने अंत में सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया। 








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